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कभी क्रिकेट तक का नहीं था शौक, अब ऑस्‍ट्रेलिया में बेटी शेफाली का फाइनल मैच देखेंगे पिता

आइसीसी टी-20 महिला विश्‍व कप का फाइनल मैच ऑस्‍ट्रेलिया में आठ मार्च को होगा। कभी गली में खेलने वाले शेफाली आइसीसी टी-20 रैंकिंग में नंबर वन बन चुकी है। परिवार बेहद उत्‍साहित है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 11:24 AM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 11:24 AM (IST)
कभी क्रिकेट तक का नहीं था शौक, अब ऑस्‍ट्रेलिया में बेटी शेफाली का फाइनल मैच देखेंगे पिता
कभी क्रिकेट तक का नहीं था शौक, अब ऑस्‍ट्रेलिया में बेटी शेफाली का फाइनल मैच देखेंगे पिता

रोहतक [ओपी वशिष्ठ] आइसीसी टी-20 की नंबर वन खिलाड़ी रोहतक की बेटी क्रिकेटर शेफाली वर्मा के पिता संजीव वर्मा फाइनल में बेटी को  खेलते देखने के लिए आस्ट्रेलिया रवाना हो गए हैं। वे ग्राउंड में ही बैठकर मैच देखेंगे। यह बात बताते हुए शेफाली के पिता संजीव वर्मा भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि बेटी की बदौलत ही उन्हें इंटरनेशनल फ्लाइट में बैठने का मौका मिला है। बता दें कि आइसीसी महिला टी-20 का फाइनल मुकाबला 8 मार्च को होना है। बता दें कि शेफाली सबसे कम उम्र में अर्धशतक लगाकर सचिन तेंदुलकर का रिकार्ड तोड़ चुकी हैं। सचिन तेंदुलकर भी उनके मुरीद हैं।

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14 दिन पहले बना पासपोर्ट, मां का नहीं बन पाया

शेफाली की मां प्रवीण बाला भी आस्ट्रेलिया में महिला टी-20 वल्र्ड कप देखना चाहती थीं लेकिन उसके पास पासपोर्ट नहीं था। उन्होंने पासपोर्ट बनवाने का प्रयास भी किया, लेकिन समय पर नहीं बना। पिता संजीव वर्मा का भी 14 दिन पहले ही किसी तरह पासपोर्ट बन पाया। मां ने बताया कि अब टीवी पर ही फाइनल मैच देखेंगी। उन्हें उम्मीद है कि यह प्रतियोगिता भारत ही जीतेगा।

शेफाली की वजह से देखने लगे महिला क्रिकेट

संजीव वर्मा ने बताया कि पड़ोसी, सतीश, सतपाल, राहुल, अमन, सुदेश, शीला व नीरज कहते हैं कि शेफाली के खेल के कारण महिला क्रिकेट भी देखना शुरू कर दिया है। पहले कभी महिला क्रिकेट में रुचि नहीं थी लेकिन जिस तरह से शेफाली वर्मा ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर रही हैं, उससे इस खेल के प्रति लगाव बढ़ा है।

भाई बीमार हुआ तो शेफाली उनके स्थान पर खेलने पहुंच गई

संजीव वर्मा ने बताया कि एक बार मेरा बेटा बीमार होने के कारण क्रिकेट मैच खेलने के लिए नहीं जा सका। बेटे की जगह शेफाली को मैच खेलने के लिए बोला गया तो वह तुरंत तैयार हो गई। उसने लड़कों के मैच में बेहतर प्रदर्शन किया। इससे उसमें काफी आत्मविश्वास आया और इसके बाद लड़कों के साथ ही प्रेक्टिस शुरू कर दी। कभी मैच में चोटिल होने का डर उसे नहीं सताता था। यही कारण है कि आज शेफाली भारतीय टीम की अहम खिलाड़ी बन गई हैं।

फटे ग्लब्स किट बैग में छुपा लेती थी

शेफाली खुद मानती हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उसके बैटिंग ग्लब्स फटे और गंदे थे। मैच खेलने के तुरंत बाद ग्लब्स को किट बैग में छुपा लेती थी ताकि कोई देख न ले। बैट भी टूटा होता था, जिसे रिपेयर करके ही इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन, पहले जिस परिस्थितियों का सामना करके खेल पर ध्यान दिया, आज उसका परिणाम मिल रहा है।


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