फ्यूचर मेकर सहित बिना लाइसेंस के चल रहीं चिटफंड कंपनियाें पर कसेगा शिकंजा
हिसार में फ्यूचर मेकर कंपनी का मामला सामना अाने के बाद बिना माइक्राे फाइनेंस लाइसेंस लिए चल रहीं कपंनियों पर शिकंजा कसेगा। इसकी जांच के लिए प्रशासन ने कमेटी बनाई है।
हिसार, [अमित धवन]। लोगों को जाल में फंसाकर उनके खून-पसीने की कमाई जमा करने वाली कई चिटफंड कंपनियां सरकार से बिना लाइसेंस लिए ही चल रही हैं। फ्यूचर मेकर भी ऐसी ही कंपनियों में से एक थी। सरकार की तरफ से ऐसी कंपनियों को माइक्रो फाइनेंस का लाइसेंस जारी होता है, लेकिन कई ऐसी कंपनियां एक्ट से बचने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रही हैं। प्रशासन ने अब जिले में ऐसी कंपनियों की जांच करवाने का निर्णय किया है। इन कंपनियों की एडीसी की अध्यक्षता में बनी कमेटी जांच करेगी।
प्रशासन ने कहा है कि जिन कंपनियों के पास लाइसेंस नहीं होगा उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि जिले के आदमपुर ब्लॉक के सीसवाल गांव के रहने वाले राधेश्याम सुथार ने अपने साथियों के साथ मिलकर फ्यूचर मेकर कंपनी शुरू की थी। बताया जाता है कि इसके लिए समुचित लाइसेंस नहीं लिया गया था। इस तरह की कंपनी के लिए माइक्रो फाइनेंस का लाइसेंस लेना जरूरी होता है। लेकिन, इससे बचने के लिए कंपनियों के संचालक कई तरह के पैंतरे आजमाते हैं।
बताया जाता है कि इन कंपनियों की तरफ से बिजनेस में पैसा लेने तक की बात कहकर उस एक्ट से बचने का रास्ता निकाला जा रहा है। वे इस बिजनेस को चेन सिस्टम चलाने की बात कहते हैं। बाद में कंपनियां लोगों से पैसा एकत्रित कर गायब हो जाती है। इन कंपनियों के पास लाइसेंस है या नहीं इसकी जांच के बाद पता चलेगा।
उपायुक्त फ्यूचर मेकर के मामले में भी जांच के बाद कार्रवाई शुरू करेंगे। एडीसी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी जल्द अपना काम शुरू कर जिले में चल रही ऐसी कंपनियों का डाटा एकत्रित करेगी। यह कमेटी यह भी जांच करेगी कि ये कंपनियां कैसे काम कर रही हैं।
फ्यूचर मेकर कार्यालय के बाहर काफी संख्या में रोज पहुंच रहे हैं निवेशक
हिसार के रेड स्क्वेयर मार्केट स्थित फ्यूचर मेकर कंपनी के कार्यालय के बाहर हर रोज सैकड़ों निवेशक पहुंचते हैं। वे कंपनी का कार्यालय खुलने की उम्मीद में सैकड़ों लोग वहां पहुंचते हैं और घंटों इंतजार करने के बाद लौट जाते हैं। निवेशक कंपनी के कार्यालय के सील होने से ज्यादा परेशान हैं। उनको पैसा वापस खाते में आने की बात कही गई थी वह अभी आना शुरू नहीं हुआ है।
बता दें कि तेलंगाना पुलिस ने फ्यूचर मेकर लाइफ केयर प्राईवेट कंपनी को शुक्रवार शाम सील कर दिया था। तेलंगाना पुलिस रेेंज के एसीपी सुधीर कुमार ने अपनी टीम सहित फ्यूचर मेकर कंपनी के रेड स्कवेयर मार्केट में हेड ऑफिस पर पहुंचकर इसे सील किया। तेलंगाना पुलिस टीम ने कंपनी के कुछ जरूरी कागजात व लैपटॉप अपने कब्जे में लिये।
हिसार के रेड स्कवेयर मार्केट में फ्यूचर मेकर कंपनी के कार्यालय के बाहर लगी भीड़।
इस मामले में तेलंगाना पुलिस ने कंपनी संचालकों पर निवेशकों से धोखाधड़ी का आरोप में केस दर्ज किया था। पुलिस ने कंपनी के दो लोगों के खिलाफ आईपीसी धारा 420, 4, 5, 6, 3 के तहत केस दर्ज किया था। इसके बाद तेलंगाना पुलिस रेेंज के एसीपी सुधीर कुमार अपनी पुलिस टीम के साथ हिसार के रेड स्कवेयर मार्केट पहुंचे थे। पुलिस टीम ने अपने साथ हिसार सिटी थाना पुलिस को भी साथ लिया हुआ था।
पुलिस टीम ने आफिस के अंदर करीब आधे घंटे तक छानबीन की। पुलिस ने आफिस लैपटॉप व कुछ कागज अपने पास ले लिए। रिकार्ड को लेने के बाद कर्मचारियों को आफिस से घर भेज दिया गया। पुुलिस टीम ने आफिस के शटर को डाउन कर तीन अलग अलग ताले लगाए। सभी तालों पर सील लगाई।
साढे तीन साल पहले कंपनी के सीएमडी राधेश्याम ने लोगाें के पैसे कई गुना करने की बात कहकर बिजनेस शुरू किया था। कंपनी के ऑफिस में तेलंगाना पुलिस ने सबसे पहले छापेमारी की थी फिर सीएमडी के घर को खंगाला था और सीएमडी को गुरुग्राम से गिरफतार किया था। आराेप है कि लोगों को सेमिनार कर अमीर बनने के सपने दिखाए जाते थे और बताया जाता था कि कंपनी कई तरह के बिजनेस में निवेशकों के धन का निवेश किया है।
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'' सरकार की तरफ से कंपनी चलाने के लिए माइक्रो फाइनेंस लाइसेंस दिया जाता है। कंपनियां लाइसेंस से बचने के लिए अपने बिजनेस को चेन सिस्टम से चलाने की बात कहकर बचती हैं। फ्यूचर मेकर भी इसी तरह काम कर रही थी। अब एडीसी के नेतृत्व वाली कमेटी ऐसी कंपनियों की जांच करेगी जो बिना लाइसेंस के चल रही हैं।
- अशोक कुमार मीणा, जिला उपायुक्त, हिसार।
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कई राज्यों में हैं फ्यूचर मेकर कंपनी की शाखाएं
फ्यूचर मेकर कंपनी की कई राज्यों में शाखाएं हैं। इसके संचालकों का दावा था कि कंपनी 10 राज्यों मेंं चल रही थीं। साल 2019 तक के सेमिनारों के प्लान बनाए जा चुके थे। बताया जाता है कि जनता के पैसे का प्रयोग करने को लेकर बड़े तरीके से प्लानिंग की जाती रही थी। यह भी बताया जा रहा है भारत में न्यूज चैनल और एक हजार पेट्रोल पंप खोलने की योजना बनाई जा रही थी। इसके अलावा आठ योजनाओं पर बड़ी तेजी से काम चल रहा था।
दूसरी ओर, राधेश्याम सुथार की विदेशों में व्यापार फैलाने की ख्वाहिश भी थी। चार देशों में मलेशिया, बैंकॉक, थाइलैंड और नेपाल उसकी प्राथमिकता में थे। नेपाल में नेटवर्क फैलाने के लिए क्षेत्रीय कार्यालय खोला जा चुका था।नेपाल में अपने नेटवर्क को फैलाने के लिए ही न्यूज चैनल, टूर ट्रेवल्स और लखपति बनाने वाली किताबों को प्राथमिकता पर रखा गया था। ताकि लोगों को अपनी कंपनी की ओर खींचा जा सके।
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यह था कंपनी का दावा
कंपनी के सीएमडी राधेश्याम सुथार और एमडी बंशीलाल सिहाग का दावा था कि कंपनी ने तीन साल पांच महीने में एक करोड़ 30 लाख लोगों को अपने साथ जोड़ा है। इनमें 2882 लोग करोड़पति हैं और आठ लाख लोगों की आय छह लाख रुपये है। कंपनी से जुड़े 35 लाख लोगों की आय एक लाख रुपये है। उनका दावा था कि राजस्थान के अलवर में पांच महीने में नौ लोगों को लखपति बना दिया था।
पांच प्रतिशत कंपनी के टर्न ओवर के हिस्से का देते थे लालच
बताया जाता है कि कंपनी के सोशल मीडिया पर दावा था कि दो लोगों को डायरेक्ट स्पांसर करने वाले को 24 माह तक हर महीने 2500 रुपये मिलेंगे। इसके साथ ही ऐसे लोगों को पूरी जिंदगी कंपनी की टर्नओवर का पांच फीसद हिस्सा दिया जाएगा। कंपनी से जुड़े एक कर्मचारी ने बताया कि कंपनी में 8500 रुपये से ऊपर पैसा लगाने वालों को 40 फीसद पैसा प्रोडक्ट के रूप में वापस किया जाता है। यह प्रोडक्ट आपको एमआरपी के हिसाब से लेना होता था। ज्यादातर लोग घरेलू सामान को प्राथमिकता देते थे। एमआरपी पर देने से कंपनी को सीधा लाभ पहुंचता था। जबकि खरीदने वाले व्यक्ति को लगता था कि उसका पैसा वापस हो गया है।