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दिल्ली में किसान आंदोलन में बवाल पर हिसार में अलर्ट, स्‍कूल कॉलेजों की छुट्टी, सड़कों पर पुलिस

हिसार में सभी जगह पुलिस रातभर से सड़कों पर है। पुलिस की छुट्टियां रद की जा चुकी है। दिल्ली में बवाल के बाद आज हिसार के सभी स्कूल- काॅलेज बंद किए गए हैं। इसके अलावा टोल नाकों पर किसानों के धरने के आसपास भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 27 Jan 2021 11:25 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jan 2021 11:25 AM (IST)
दिल्ली में किसान आंदोलन में बवाल पर हिसार में अलर्ट, स्‍कूल कॉलेजों की छुट्टी, सड़कों पर पुलिस
किसान आंदोलन में हुई हिंसा के बाद हिसार में सुरक्षा एजेंसियां भी चौकस हो गई हैं

हिसार, जेएनएन। दिल्ली में बवाल से जहां पूरे हरियाणा में सुरक्षा एजेंसिया चौकस हैं वहीं हिसार में भी चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गई है। उपद्रवी किसी भी सरकारी संपत्ति को नुकसान ना पहुंचाएं इसके लिए राज्य सरकार की ओर से जारी एडवाजरी का पालन किया जा रहा है। हिसार में सभी जगह जहां सरकारी संपत्ति है पुलिस सुरक्षा के बीच है। पूरे जिले की पुलिस रातभर से सड़कों पर है। पुलिस की छुट्टियां रद की जा चुकी है। दिल्ली में बवाल के बाद आज हिसार के सभी स्कूल- काॅलेज बंद किए गए हैं। इसके अलावा टोल नाकों पर किसानों के धरने के आसपास भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

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वहीं दूसरी ओर से दिल्ली में ट्रैक्टर परेड़ में हुई हिंसा पर राजनीतिक दलों ने बयानबाजी शुरू कर दी है। इस पूरे मसले पर कांग्रेस खेमे में अभी चुप्पी है तो दूसरी तरफ हिसार के विधायक डा. कमल गुप्ता और डिप्टी स्पीकरण रणबीर गंगवा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बयान में दिल्ली में दंगा भड़काने की साजिश को पुलिस द्वारा नाकाम करने की बात कही है। डा. कमल गुप्ता किसान आंदोलन के नाम पर  दिल्ली में  दंगा भड़काकर  अस्थिरता फैलाने की साजिश करने वाले दंगाइयों की करतूत की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा कि आज की घटना से एनआईए की सभी खुफिया रिपोर्ट भी एकदम सही साबित हो गई है, जिसमें कहा गया था कि किसानों के नाम पर किए जा रहे आंदोलन को देश को तोड़ने वाली ताकतें फंडिंग कर रही हैं।

अभी तक के आंदोलन में खर्च किए गए हजारों करोड़ रुपए कहां से आए, इस बात का जवाब आंदोलन का नेतृत्व कर रहे लोग नहीं दे पा रहे हैं। यह बात भी एकदम साफ हो गई है कि दिल्ली के आसपास आंदोलन कर रहे किसान नहीं बल्कि वे लोग हैं जो राष्ट्र विरोधी ताकतों के इशारों पर काम कर रहे हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में देश की चुनी हुई सरकार और सुरक्षाबलों से हथियारबंद होकर टकराने वाले  किसी भी सूरत में किसान नहीं हो सकते।

देश का वास्तविक किसान तो आज भी अपने खेतों में काम कर रहा है। डॉक्टर कमल गुप्ता ने कहा कि लाल किले की प्राचीर पर तलवारें लहराने और राष्ट्रीय ध्वज को अपने पैरों तले रौदने वाले लोगों ने सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक  शासन कर देश को गर्त में धकेलने वाले विपक्षी दल, जिन्हें इस देश की जनता ने सत्ता से उखाड़ कर बाहर फेंक दिया है, वे तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर अपनी बची-खुची राजनीतिक जमीन को बचाने का काम  कर रहे हैं।

दिल्ली के उपद्रवियों और देश विरोधी ताकतों के मंसूबे एक जैसे: डिप्टी स्पीकर

हरियाणा विधानसभा में डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र भारत, जहां के नागरिक मंगलवार को अपना 72 वां गणतंत्र दिवस समारोह धूमधाम से मना रहे थे, ऐसे में देश की साख पर बट्टा लगाने का कुत्सित प्रयास करने वाले उपद्रवियों की जितने कड़े शब्दों में निंदा की जाए वह कम है। उन्होंने कहा कि उपद्रवियों के काले कारनामों पर भारत के विरोधी राष्ट्र विशेषकर पाकिस्तान-चीन की तरफ से किए गए ट्वीट इस बात को साबित करते हैं कि इन उपद्रवियों और देश विरोधी ताकतों के मंसूबे एक जैसे हैं।

जो बात भारत सरकार की ओर से पिछले 2 महीनों से कही जा रही थी, वह आज एकदम सत्य साबित हो गई है। डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा ने दिल्ली में हुए घटनाक्रम को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस लाल किले की प्राचीर से देश के न जाने कितने ही महापुरुषों ने राष्ट्रीय एकता और अखंडता के संदेश दिए थे, उसी प्राचीर पर उपद्रवियों द्वारा किया गया तांडव यह साफ कर देता है कि यह लोग राष्ट्र विरोधियों के हाथों की कठपुतलियां बने हुए हैं। उपद्रवियों द्वारा दिल्ली के अनेक स्थानों पर जबरदस्त हिंसा की गई, किसी स्थान पर पुलिसकर्मियों पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की गई, तो कहीं लाठी, डंडे और तलवार से सुरक्षाकर्मियों पर जानलेवा हमला बोला गया।

अनेक स्थानों पर सरकारी संपत्ति को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया गया। यह कार्य देश के लोकतंत्र में विश्वास रखने वाला कोई नागरिक नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि आज जो काला अध्याय लिखा गया है, उसकी पटकथा लिखने में देश के विपक्षी दलों की अहम भूमिका रही है। देश के नागरिकों को ऐसे दलों की असलियत को समझना होगा।


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