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बिक्री कर विभाग व्यापारियों को कर रहा फोन, टैक्स भरने में आए दिक्कत तो बताएं

वैभव शर्मा हिसार। अर्थव्यवस्था को चलाने के लिये अर्थ या धन की आवश्यकता होती है। सरकार टैक्

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 02:19 AM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 06:21 AM (IST)
बिक्री कर विभाग व्यापारियों को कर रहा फोन, टैक्स भरने में आए दिक्कत तो बताएं
बिक्री कर विभाग व्यापारियों को कर रहा फोन, टैक्स भरने में आए दिक्कत तो बताएं

वैभव शर्मा, हिसार।

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अर्थव्यवस्था को चलाने के लिये अर्थ या धन की आवश्यकता होती है। सरकार टैक्स के जरिये अर्थव्यवस्था को संचालित करती आई है। ऐसे में लॉकडाउन के डेढ़ महीने बीतने के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए धन की आवश्यकत होगी। इसको लेकर सरकार का फोकस टैक्स पर है। सरकार ने जीएसटी (गुड्स एवं सर्विस टैक्स) रिटर्न भरने के लिये जरूर समय बढ़ा है। मगर टैक्स भरने में व्यापारियों को किसी प्रकार की दिक्कत न आए इसके लिए बिक्री कर विभाग व्यापारियों व टैक्स अधिवक्ताओं को फोन कर रहा है। उनसे पूछ रहा है कि टैक्स भरने में कहीं लॉकडाउन के नियम तो आड़े नहीं आ रहे हैं। समस्या होने पर इसका समाधान भी कराया जा रहा है। केस 1-----

टैक्स भरना था मगर अधिवक्ता का कार्यालय बंद था

बिक्री कर विभाग ने एक व्यापारी के पास टैक्स भरने के लिए फोन किया तो उन्होंने बताया कि वह टैक्स तो भरना चाहते हैं मगर जिस अधिवक्ता से वह अपना ऑनलाइन टैक्स भरवाते थे उनका कार्यालय नहीं खुल रहा है। लॉकडाउन में उन्हें कार्यालय खोलने की इजाजत नहीं है। ऐसे में बिक्री कर विभाग ऐसे मामले में प्रशासन से टैक्स भरने के लिए कार्यालय खोलने की इजाजत भी दिलवा रहा है। केस 2-----

कई व्यापारी बाद में भरेंगे टैक्स

लॉकडाउन के दौरान व्यापार बंद रहने से उद्योग भी प्रभावित हुए हैं, ऐसे में कुछ व्यापारी सरकार द्वारा तय की गई समय सीमा के भीतर टैक्स भरने की बात कह रहे हैं। क्योंकि अभी हाल ही में उद्योग और व्यापारी प्रतिष्ठान खुले हैं, अभी अच्छी तरह से बाजार मूवमेंट में भी नहीं आया है। ऐसे में बिक्री कर विभाग इनसे अपील कर रहा है कि जल्द ही से जल्द टैक्स जमा करें ताकि सरकार व्यवस्था को पटरी पर ला सके। इसके साथ ही कुछ व्यापारी घर से काम कर रहे हैं उनके दस्तावेज कार्यालय में रखे हैं। इस प्रकार की समस्या का समाधान पास जारी करा के कराया जा रहा है। जीएसटी रिर्टन 3बी में यह दी गई है छूट-----

5 करोड़ रुपये से अधिक का टर्नओवर होने पर

पांच करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर पर व्यापारियों को रिटर्न भरने की डयू डेट होने के बाद 15 दिन तक ब्याज में छूट रहेगी। इस समय के बाद 9 फीसद ब्याज देनी होगी। फरवरी, मार्च व अप्रैल महीने का जीएसटीआर- 3बी 24 जून से पहले-पहले भरा जा सकता है। 1.5 अधिक और 5 करोड़ तक का टर्नओवर होने पर

डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक और 5 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर होने पर व्यापारी को किसी प्रकार का ब्याज नहीं लगेगा। इसमें व्यापारियों को फरवरी व मार्च का जीएसटीआर-3बी भरने के लिए 29 जून तक का समय दिया गया है। वहीं अप्रैल माह का रिर्टन भरने को 30 जून तक का समय है। 1.5 करोड़ रुपये तक टर्न ओवर वाले

डेढ़ करोड़ रुपये तक का टर्नओवर रखने वाले व्यापारी जीएसटीआर-3बी फरवरी माह का 30 जून तक, मार्च माह का 3 जुलाई व अप्रैल का 6 जुलाई तक रिटर्न भर सकते हैं।

जीएसटी वार्षिक रिर्टन भरने के लिए 30 सितंबर तक दी है छूट

- केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने जीएसटी रिटर्न में छूट के साथ ई-वे बिल की अवधि भी बढ़ाई है।

- उद्योगपति 2018-19 के जीएसटी में वार्षिक रिटर्न को अब 30 सितंबर तक भर सकेंगे। पहले यह तिथि 30 जून थी।

- 24 मार्च से पहले ई-वे बिल की वैधता 20 मार्च से 15 अप्रैल के बीच थी, इसे भी बढ़ाकर 31 मई तक किया गया है। पहले यह वैधता 30 अप्रैल तक थी।

- इससे पहले सरकार ने 5 करोड़ रुपये के टर्न ओवर से कम कारोबार करने वाली कंपनियों को रिटर्न में देरी पर विलंब शुल्क या जुर्माना से छूट दी थी।

- वहीं अन्य कंपनियों के लिए विलंब शुल्क 18 से घटाकर 9 फीसदी कर दिया गया था। क्या है जीएसटीआर- 3बी

जीएसटी रिर्टन 3बी फॉर्म दरअसल एक स्वघोषित रिटर्न जैसा है। इसमें आपको अपने अनुमान से अपने कुल लेन—देन या बिक्री और खरीदारी का ब्योरा देना होता है। साथ ही उस पर बन रहे टैक्स का अनुमानित ब्योरा देना होता है। इसमें सौदों की न अलग-अलग डिटेल देने की जरूरत है और न ही उनकी रसीद या बिल दिखाने की जरूरत है। अपने आप ही हिसाब लगाकर हर मद की कुल कीमत ही इसमें दिखानी है। वर्जन---------

टैक्स भरने के लिए विभाग से व्यापारियों को फोन किया जा रहा है। उनसे पूछा जा रहा है कि अगर लॉकडाउन के किसी नियम के कारण उन्हें टैक्स भरने में दिक्कत आ रही है तो उन्हें प्रशासन की तरफ से पास आदि जारी करा दिया जाएगा ताकि वह टैक्स भर सकें।

--------एनआर फुले, डिप्टी कमिश्नर, बिक्री कर विभाग


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