यहां रुपये-पैसों का नहीं, रोटी और दुआ के लेन-देन वाला अनोखा बैंक
बैंक शब्द सुनते ही हमारे जहन में रुपये-पैसों के लेन-देन की बात आती है। मगर हिसार में स्थित एक बैंक ऐसा भी है जहां रोटी मिलती है और उसके बदले में खाना खाने वाला दुआएं लौटाकर चला जाता है।
जेएनएन, हिसार : बैंक शब्द सुनते ही हमारे जहन में रुपये-पैसों के लेन-देन की बात आती है। मगर हिसार में स्थित एक बैंक ऐसा भी है जहां रोटी मिलती है और उसके बदले में खाना खाने वाला दुआएं लौटाकर चला जाता है। ये सिलसिला काफी समय पहले शुरू हुआ और अभी भी फल-फूल रहा है। भले ही लोगों के पास किसी भूखे और जरूरतमंद को खाना खिलाना और उसकी मदद करने के बारे में सोचने का वक्त नहीं है। मगर रेड स्कवेयर मार्केट में स्थित रोटी बैंक में ये बात बिल्कुल भी इत्तफाक नहीं रखती है। शहर में लाचार, असहाय और जरूरतमंदों को भोजन खिलाने में मदर रसोई और रोटी बैंक चैरिटेबल ट्रस्ट जैसी संस्थाएं लगी हुई हैं। ये शहर की ग्रीन बेल्ट में चल रही हैं। इन संस्थाओं को लेकर हर किसी का सोचने का नजरिया अलग अलग है। दोनों संस्थाओं का मकसद दो वक्त की रोटी और कपड़े की सुविधा गरीबों और असहायों को देना है। मदर रसोई :::
मदर रसोई की शुरुआत 20 जून को हिसार में हुई है। रेड स्क्वेयर मार्केट में गरीबों को घर जैसा खाना खिलाने की हर संभव कोशिश मदर रसोई की रहती है। मदर रसोई ने पूरे भारतवर्ष में अपनी ब्रांच खोली है। जिसका बस एक ही मकसद है। गरीब और असहाय लोगों को घर का खाना खिलाना। अधिक से अधिक लोगों को निशुल्क पौष्टिक भोजन मिले। नेटवर्क मार्के¨टग कंपनी फ्यूचर मेकर लाइफ केयर लिमिटेड द्वारा संचालित फ्यूचर चैरिटेबल ट्रस्ट के अधीन कंपनी के सीएमडी राधेश्याम व एमडी बंसी लाल सिहाग की ओर से मदर रसोई को चलाया जा रहा है। इस रसोई की देखरेख विनोद कड़वासरा करते है।
विनोद कड़वासरा ने बताया कि हर रोज 300 से ज्यादा लोगों को खाना खिलाया जाता है। खाना विशेष रूप से असहाय और गरीबों की खुराक को देखकर बनाया जाता है। जनता से कोई सहयोग या चंदा नहीं लिया जाता है। कंपनी के कर्मचारियों और कंपनी अपने स्तर पर ही पैसा वहन करती है। हमारा मकसद है कि कोई भूख से न मरे। हर किसी को दो वक्त की रोटी मुहैया हो। रोटी बैंक
हिसार में एक रोटी बैंक है, जहां जरूरतमंद लोगों को भरपेट खाना खिलाया जाता है। यह बैंक रोजाना सुबह 11 से 1 बजे और शाम 5 से 7 बजे खुलता है। यहां प्रतिदिन 200 से 300 लोगों को खाना खिलाया जाता है। यहां मैन्यू में रोटी के साथ दोनों पहर एक सब्जी या दाल व चावल खिलाए जाते हैं। इस रोटी बैंक को चलाने के लिए हर महीने लगभग एक लाख दस हजार रुपए खर्च होता है। नरवाना की एक निजी बीमा कंपनी में असिस्टेंट बैंक मैनेजर बल¨वद्र ने साल 2005 में श्रीबालाजी चेरिटेबल ट्रस्ट की नींव रखी थी। इसमें मेन रोल पेशे से किसान ह¨रदर, कोषाध्यक्ष बलजीत ने जिम्मेदारी संभाली। 3 सितंबर 2016 में रेड स्क्वेयर मार्केट में रेलवे स्टेशन से कुछ दूरी पर रोटी बैंक शुरू किया गया। बल¨वद्र नैन बताते हैं कि रोटी बैंक में खाना तैयार करने के लिए छह कर्मचारी लगाए गए हैं। इनमें तीन महिला व तीन पुरुष शामिल हैं। वह सुबह छह बजे से खाना बनाने का काम शुरू करते हैं फिर शाम को पांच बजे तक जुटे रहते हैं। सभी कर्मचारियों को ऑर्गेनाइजेशन की ओर से मासिक भुगतान किया जाता है।