पांच मुख्यमंत्रियों के शासन में 25 साल में 58 बार रोडवेज की हड़ताल, हर बार झुकी सरकार
1993 में भजनलाल सरकार में सभी संगठनों ने 14 दिन तक हड़ताल की थी जिसमें रोडवेज यूनियन शामिल थी। अब शायद ये रिकार्ड भी टूट सकता है।
हिसार [चेतन वर्मा] रोडवेज बसों की पहिए पिछले दस दिनों से थमे हुए हैं मगर ये सिलसिला बहुत पुराना है। अब तक पांच मुख्यमंत्रियों के राज में रोडवेज यूनियन 58 बार हड़ताल पर जा चुकी है। हर बार सरकार झुकी भी है, मगर इस बार एेसा नहीं हो सका। 1993 में कुछ मांगों को लेकर सभी जनसंगठनों ने सरकार के खिलाफ 14 दिन तक हड़ताल की थी, जिसमें रोडवेज यूनियन भी शामिल थी। लेकिन अकेले रोडवेज हड़ताल की बात करें तो बीते 25 सालों में इस बार की रोडवेज हड़ताल सबसे लंबी हड़ताल रही है।
16 अक्टूबर से शुरू हुई इस नौ दिन की हड़ताल ने रोडवेज की अब तक के पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस त्योहार के सीजन में नौंवें दिन में भी रोडवेज हड़ताल प्रवेश कर चुकी है। सरकार के साथ दो बार रोडवेज यूनियनों की बातचीत भी विफल हो चुकी है। इससे यह प्रतीत होता है कि इस बार की हड़ताल कहीं 1993 में हुई हड़ताल का रिकॉर्ड न तोड़ दें।
1993 से लेकर 2018 तक के आंकड़े के अनुसार अभी तक विभिन्न मांगों को लेकर 58 बार रोडवेज यूनियनें हड़ताल पर जा चुकी है, अकेले रोडवेज हड़ताल की बात करें तो 2004 से लेकर 2014 तक की हुड्डा सरकार में सबसे अधिक दिन की हड़ताल चार दिन तक चली थी। उसके बाद दो दिन से अधिक कोई हड़ताल नहीं चल सकी। हर बार सरकार ने हड़तालियों के आगे घुटने टेके। इतना ही नहीं, रोडवेज कर्मचारियों को हड़ताल में शामिल होने के बावजूद भी पूरा वेतन मिला, जिस कारण रोडवेज को 25 सालों में करोड़ों रुपये तक का घाटा लग चुका है। इस बार भी दस दिन तक रोडवेज हड़ताल चल रही है लेकिन अभी तक हड़ताल को रोका नहीं जा सका है।
25 साल में एक बार भी हड़तालियों पर नहीं हुई सख्त कार्रवाई
1993 में बंसीलाल की सरकार ने ही हड़ताल पर जाने वाले रोडवेज कर्मचारियों पर सख्ती दिखाई थी। उस दौरान सरकार ने प्रदेश स्तर पर 35 हजार से अधिक कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था और लाखों को जेल भेज दिया गया था, लेकिन उसके बाद सरकार की विफलता इस कदर रही कि 1993 के बाद एक बार भी सरकार हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों पर शिकंजा नहीं कस सकी।
हुड्डा सरकार में चार दिन तक चली थी हड़ताल
2004 से 2014 में हुड्डा सरकार के दौरान मांगों को लेकर रोडवेज यूनियन ने चार दिन तक हड़ताल जारी रखी थी। लेकिन सरकार की विफलता इस कदर रही कि उस दौरान भी रोडवेज कर्मचारियों पर शिकंजा नहीं कसा गया। नतीजतन, हर बदलती सरकार में एक से दो बार हड़ताल की गई। सरकार को करोड़ों रुपये का घाटा हुआ। लेकिन रोडवेज कर्मचारियों का हड़ताल कर रवैया ऐसे ही बरकरार रहा।
इन सरकारों में यह रही हड़तालों की संख्या
साल : सीएम : हड़ताल की संख्या
- 1991-96 : चौधरी भजनलाल : 18
- 1996-1999 : चौधरी बंसीलाल : 12
- 1999-2004 : चौधरी ओमप्रकाश चौटाला 10
- 2004-2014 : भूपेंद्र सिंह हुड्डा : 10
- 2014-2018 : मनोहर लाल : 8
1993 में 14 दिन तक चली थी हड़ताल
परिवहन विभाग के मुख्य अतिरिक्त सचिव धनपत सिंह ने कहा 1993 में सभी जनसंगठनों ने हड़ताल की थी, जोकि 14 दिन तक चली थी। इस बार की हड़ताल नौ दिन तक चल चुकी है। अभी तक रोडवेज को करोड़ों रुपये की चपत भी लग चुकी है।