Road Safety: यातायात नियमों का सही तरीके नहीं हो रहा पालन, हादसों में बुझ गए कई चिराग, मन में है टीस
हरियाणा में प्रशासन सड़क हादसों को रोकने के बजाय चालकों को ही हादसे के लिए लापरवाह दिखाता है मगर सच यह है कि सिस्टम की खामी के कारण सड़क हादसे हो रहे हैं। इन हादसों में कई ऐसे परिवार हैं जिनकी पूरी जिंदगी ही बदल गई।
हिसार, जागरण संवाददाता। यातायात नियमों की का सही तरीके से पालन नहीं होने से सड़क हादसे बढ़ रहे हैं। सिस्टम सड़क हादसों को रोकने के बजाय चालकों को ही हादसे के लिए लापरवाह दिखाता है मगर सच यह है कि सिस्टम की खामी के कारण सड़क हादसे हो रहे हैं। इन हादसों में कई ऐसे परिवार हैं जिनकी पूरी जिंदगी ही बदल गई। अब इन परिवारों के मन में एक ही टिस है कि जिस तरह इनके घर का चिराग बुझ गया, ऐसा और किसी के परिवार में ना हो। आंकड़ों के अनुसार हर 10 में से आठ हादसे ओवरस्पीड के कारण होते हैं। मगर इन हादसों के लिए प्रशासन भी उतना ही उत्तरदायी है।
सड़क हादसों में बुझ गए कई चिराग
वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए हर महीने प्रशासन बैठकें करता है मगर यह कागजों तक ही सिमित है। बैठकों में तो दावे बड़े-बड़े किए जाते हैं मगर सच्चाई यह है कि यातायात नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जाती है। सड़कों पर ओवरलोड वाहन, तूड़े की ट्रालियां और बेसहारा पशु अकसर हादसों का कारण बनते हैं प्रशासन के पास इन पर नकेल कसने को कोई प्लान नहीं है। दैनिक जागरण ने ऐसे की तीन परिवारों से बातचीत की है जिसमें हादसों के कारण चिराग बुझ गए।
1. नए साल पर हुए हादसे में बुझ गया परिवार का इकलौता चिराग
बालसमंद के नजदीक गांव बुड़ाक सोनू जांगड़ा ने बताया कि साल 2022 के आगमन पर एक जनवरी को मेरे चचेरे भाई तरसेम की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। वह घर से जीजा का लाने के लिए बाइक लेकर हिसार जा रहा था। बालसमंद-हिसार रोड पर रावलवास खुर्द के पास बस स्टैंड से कुछ दूरी पर मोड़ पर बोलेरो गाड़ी ने उसकी बाइक को साइड से टक्कर मार दी थी। हेलमेट होने के बावजूद सिर पर गहरी चोट लगी, जिससे उसकी मौत हो गई। यह सदमा मैं और उसका परिवार आज तक नहीं भूला पाए हैं। तरसेम अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था और दो बहनों का भाई था। तरसेम के पिता सुंदर सिंह खेतीबाड़ी करते हैं।
2. सड़क के बीच खड़ा था तूड़े से भरा ट्राला, टकरा गई कार
मेलाग्राउंड निवासी राहुल पूनिया की कुरुक्षेत्र के ईलमाइलाबाद में सड़क हादसे में मौत हो गई थी। धीरेंद्र पूनिया ने बताया कि उनका भतीजा राहुल 11 अक्टूबर 2022 को हिसार से चंडीगढ़ जा रहा था। ईलमाइलाबाद के पास सड़क के बीच में ही एक तूड़ी से भरा ट्राला खड़ा था जिसमें राहुल की कार जा टकराई। इस हादसे में राहुल की मौत हो गई। राहुल के पिता वन अधिकारी हैं। इस हादसे ने पूरे परिवार को झकझोर दिया। धीरेंद्र पूनिया ने बताया कि सरकार व प्रशासन को ऐसे आेवरलोडिड वाहनों पर रोक लगानी चाहिए। तूड़े से भरे ट्रक व ट्रालियां सड़क पर गलत दिशा में चलती हैं। इनको कोई रोकने टोकने वाला नहीं है। इसके अलावा जगह-जगह बनाए ब्रेकरों को भी हटाना चाहिए। कार चलाते समय आजकल युवा मोबाइल पर वीडियो बनाते हैं यह गलत है।
3. सड़क हादसे में खो दिया था शहर के जाने माने डाक्टर
5 अप्रैल 2010 की बात है। कोटा से निकलने के बाद नेशनल हाइवे पर गलत दिशा से आ रहे ट्रक के साथ हुई टक्कर ने शहर के जाने माने डाक्टर वरूण क्वात्रा को शहर से छीन लिया था। उस हादसे में परिवार ने इकलौते बेटे कुलीन व उनके साथ रहने वाले जोगेंद्र का भी निधन हुआ था और स्व. डा. क्वात्रा की धर्मपत्नी डा. आशा क्वात्रा गंभीर रूप से घायल हुई थी। सड़क के नियम तोड़ते हुए नेशनल हाइवे पर गलत दिशा से आ रहे उस ट्रक के कारण परिवार ने अपना सब कुछ खोया। यदि ऐसे वाहन चालकों को रोका जाए तो हादसे भी रूक सकते हैं। डा. वरूण क्वात्रा के निधन के बाद उनकी बेटी ईशानी आई स्पेशलिस्ट बनी।