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बीपी शर्मा कमेटी की अनुशंसा से खत्म हो जाएगा ओबीसी में आरक्षण : खोवाल

जागरण संवाददाता हिसार हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के प्रदेश चेयरमैन एवं ऑल इंि

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 08:51 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 08:51 AM (IST)
बीपी शर्मा कमेटी की अनुशंसा से खत्म हो जाएगा ओबीसी में आरक्षण : खोवाल
बीपी शर्मा कमेटी की अनुशंसा से खत्म हो जाएगा ओबीसी में आरक्षण : खोवाल

जागरण संवाददाता, हिसार : हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के प्रदेश चेयरमैन एवं ऑल इंडिया बैकवर्ड क्लास फेडरेशन के राष्ट्रीय कानूनी सलाहकार वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल ने केंद्र सरकार पर आरक्षण को निष्क्रिय करने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए बीपी शर्मा कमेटी की रिपोर्ट पर सवालिया निशान खड़े किए हैं। एडवोकेट खोवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने 9 मार्च 2019 को बीपी शर्मा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जिसका कार्य क्रीमीलेयर की सीमा 8 लाख से 15 लाख किए जाने बारे रिपोर्ट सरकार को सौंपना था। लेकिन इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार को राय दी है कि वार्षिक आय में वेतन से प्राप्त होने वाली आय को भी शामिल किया जाए। अगर केंद्र सरकार इस कमेटी की अनुशंसा को मान लेती है तो बड़ी संख्या में ओबीसी के लोग क्रीमीलेयर में शामिल हो जाएंगे और आरक्षण से वंचित कर दिए जाएंगे। ::::::::::::::::

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वेतन को वार्षिक आय में शामिल करने की अनुशंसा संविधान विरोधी

एडवोकेट खोवाल ने कहा कि इंदिरा साहनी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के नौ जजों के संवैधानिक पीठ के फैसले के मुताबिक उस समय केंद्र की कांग्रेस सरकार ने 8 सितंबर 1993 को क्रीमी लेयर को परिभाषित करते हुए वेतन व कृषि से आए को वार्षिक आय में शामिल नहीं करने की नोटिफिकेशन जारी की थी, लेकिन अब बीपी शर्मा की 4 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने वेतन को भी वार्षिक आय में शामिल करने की अनुशंसा की है, जो गलत और संविधान के अनुच्छेद 15(4) व (16)(4) की उल्लंघना है। इसमें आरक्षण सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ों को दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन मौजूदा कमेटी आरक्षण आर्थिक आधार पर देने की अनुशंसा कर रही है। इससे पहले हरियाणा की मनोहर लाल सरकार ने भी 27 अगस्त 2018 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें आरक्षण को निष्क्रिय करने के लिए ग्रोस इनकम को भी सालाना आय में शामिल कर दिया था। इसके खिलाफ पिछड़े वर्ग के लोग बार-बार आवाज उठा रहे हैं। :::::::::::::

सरकार पहले कराए जातिगत जनगणना

एडवोकेट खोवाल में कहा कि बीपी शर्मा की रिपोर्ट संविधान की भावना के विपरीत तथा मूल सिद्धांतों की अवहेलना करती है। सरकार को वास्तव में सभी वर्गों को अगर एक समान न्याय देना है तो सबसे पहले जातिगत जनगणना करानी चाहिए। खोवाल ने मांग की है कि केंद्र सरकार बीपी शर्मा कमेटी की अनुशंसा को तुरंत खारिज करें अन्यथा ओबीसी के संगठन सड़कों पर आकर आंदोलन शुरू करेंगे व अदालत का सहारा लेंगे।


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