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रिपोर्ट में खुलासा, हिसार गो-अभयारण्य में इसलिए हुई सैकड़ों गायों की मौत, आगे और भी खतरा

500 से ज्‍यादा गायों की हो चुकी मौत लुवास की टीम ने रिपोर्ट सौंपी। लुवास की चेतावनी अगर गो-अभयारण्य प्रशासन ने पशुओं को रखने की प्रैक्टिस नहीं बदली तो आगे और भी मरने की संभावना है

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 01:18 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 01:18 PM (IST)
रिपोर्ट में खुलासा, हिसार गो-अभयारण्य में इसलिए हुई सैकड़ों गायों की मौत, आगे और भी खतरा
रिपोर्ट में खुलासा, हिसार गो-अभयारण्य में इसलिए हुई सैकड़ों गायों की मौत, आगे और भी खतरा

हिसार, जेएनएन। गो-अभयारण्य मामले में लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के पशु चिकित्सकों की टीम की जांच के बाद बड़े तथ्य सामने आए हैं। लुवास के विशेषज्ञों की टीम ने देखा कि गो-अभयारण्य में गायों को रखने का प्रबंधन खराब था। शेड भी इतने ऊंचे बनवाए गए हैं कि सर्दी को रोक पाने में सक्षम नहीं मिले। सिर्फ यह नहीं बल्कि आइसोलेशन यानि एक बार संक्रमण से जिन पशुओं की तबीयत बिगड़ी, उन्हें दूसरे पशुओं से अलग तक नहीं रखा गया।

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यही वह कारण थे, जिसके कारण पशुओं की बहुतायात में मृत्यु हुई। इस रिपोर्ट के आने के बाद सभी सवाल नगर निगम प्रबंधन पर एक बार फिर से खड़े हो गए हैं। यह मामला इसलिए भी खास बन जाता है क्योंकि विधानसभा अधिवेशन में यह मामला उठना संभावित था। इसके लिए नगर निगम हिसार से इस मसले पर रिपोर्ट तक मांग ली गई थी। ताकि सरकार सत्र में जवाब दे सके। नगर निगम गोअभयारण्य में 529 पशुओं के मरने की बात कह रहा है, मगर आंकड़ा इससे भी बड़ा है।

पढि़ए...... वह छह बड़ी कमियां जो नगर निगम प्रशासन के गो अभयारण्य में गलत प्रबंधन को दर्शाती हैं

1- ऊंचे शेड और पर्दे, नहीं रोक पा रहे सर्दी

गोअभयारण्य प्रशासन ने वहां शेड तो बनवाए हैं, मगर इतने ऊंचे बनवा दिए कि वह ठंड को रोक नहीं पा रहे। वहीं पर्दे लगाने की व्यवस्था की गई मगर वह भी सर्दी रोकने में सक्षम नहीं हैं। सर्दी में हीटर या अलाव जैसे प्रबंध जरूरी होते हैं। बड़ी-बड़ी गोशालाओं में इसी प्रकार गायों को रखा जाता है।

2- पानी का प्रबंधन ठीक नहीं

टीम ने देखा कि गोअभयारण्य में सभी पशुओं के लिए एक ही प्रकार के पानी की व्यवस्था की गई है। जबकि नियमानुसार यहां छोटे व बड़े दोनों प्रकार के पशुओं के लिए अलग-अलग पानी पीने की व्यवस्था होनी चाहिए।

3- पशुओं का डाइट चार्ट नहीं मिला

गो अभयारण्य में पशुओं का अभी तक डाइट चार्ट ही नहीं है। उन्हें उनके चारे में प्रोटीन व अन्य पोषक तत्व मिलें, इसके लिए कोई विशेष प्रबंध ही नहीं है। निगम प्रशासन का इस पर तर्क है कि यहां पशुओं के चारे व गुड़ की व्यवस्था लोगों द्वारा होती है। इसके साथ ही आपातकालीन दवाओं की वर्षभर का स्टॉक भी यहां पर मौजूद रहना चाहिए।

4- सीवरेज की सुविधा न होने से संक्रमण का खतरा

लुवास की टीम ने देखा कि गोअभयारण्य में सीवरेज की व्यवस्था तक नहीं है। यहां सीवरेज व ड्रेनेज दोनों का अभाव है। साफ सफाई के अभाव में पशुओं को वैक्टीरियल या फंगल संक्रमण होने का खतरा है। इसके साथ ही गायों के शेल्टर को रोजाना साफ करने की आवश्यकता है।

5- पोस्टमार्टम के लिए कवर्ड कक्ष नहीं

लुवास की टीम ने बताया है कि गोअभयारण्य के निरीक्षण में उन्हें पोस्टमार्टम के स्थल पर कमियां मिली हैं। इस स्थान को किसी प्रकार से कवर किया ही नहीं गया। इससे भी दूसरे पशुओं में संक्रमण फैल सकता है। हालांकि निरीक्षण में पशु चिकित्सकों को एक भी मृत पशु नहीं मिला।

6- आइसोलेशन की कमी भी मिली

जब एक के बाद एक गाय मर रही थी, तभी गोअभयारण्य प्रशासन को इस मामले पर संज्ञान लेते हुए बीमार गायों को दूसरी स्वस्थ गायों से अलग रखना चाहिए था। पशु पालन विभाग की टीम को बुलाकर गंभीरता से मामले की जांच करनी चाहिए थी मगर इन गायों की मौत को रूटीन तौर पर लिया गया।

----मैंने रिपोर्ट के बारे में जानकारी ली है। जिस दिन मैं गो अभयारण्य गया था यही कमियां सामने आई थी और उसी दिन मैंने इन कमियों को दूर करने के आदेश दे दिए थे।

भानीराम मंगला, चेयरमैन, गोसेवा आयोग।

----राज्य सरकार के निर्देश पर हमारी टीम गो-अभयारण्य में गायों की मौत के कारणों की वजह जानने और बेहतरी के लिए सुझाव जानने के लिए गई थी, यह रिपोर्ट हमने प्रशासन के साथ साझा कर दी है।

--अशोक मलिक, प्रभारी प्रवक्ता, लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय।


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