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कोरोना संक्रमित का शव न देने पर निजी अस्पताल के सामने स्वजनों का हंगामा

मॉडल टाउन स्थित एक निजी अस्पताल के सामने शनिवार सुबह 11 बजे कोरोना संक्रमित का शव न मिलने पर स्वजनों ने जमकर हंगामा किया। सूचना पर अर्बन एस्टेट थाना पुलिस और तहसीलदार ने मौके पर पहुंचकर उन्हें शांत करवाया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 07:41 AM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 07:41 AM (IST)
कोरोना संक्रमित का शव न देने पर निजी अस्पताल के सामने स्वजनों का हंगामा
कोरोना संक्रमित का शव न देने पर निजी अस्पताल के सामने स्वजनों का हंगामा

जागरण संवाददाता, हिसार : मॉडल टाउन स्थित एक निजी अस्पताल के सामने शनिवार सुबह 11 बजे कोरोना संक्रमित का शव न मिलने पर स्वजनों ने जमकर हंगामा किया। सूचना पर अर्बन एस्टेट थाना पुलिस और तहसीलदार ने मौके पर पहुंचकर उन्हें शांत करवाया।

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गांव पीरांवाली के पूर्व सरपंच जरनैल सिंह ने बताया कि उनके रिश्तेदार रतिया निवासी 45 वर्षीय युवक को शुगर की समस्या थी। जिसके चलते 20 दिन पहले रतिया में एक अस्पताल में गए थे। वहां डाक्टर ने हिसार में स्थित उनके भाई के निजी अस्पताल में दाखिल होने के बारे में कहा। जिसके बाद युवक को तोशाम रोड स्थित निजी अस्पताल में 30 सितंबर को दाखिल करवाया गया था।

जरनैल सिंह का आरोप है कि डाक्टर ने मरीज को 5 दिन बाद कोरोना संक्रमित बता दिया और उपचार के लिए दो लाख रुपये जमा कराने की बात कहीं। स्वजनों ने जब रुपये देने में असमर्थता जताई तो उन्होंने मरीज को छुट्टी देने के लिए कहा। जरनैल सिंह ने बताया कि डाक्टर ने उसे कहा कि वह कोरोना संक्रमित को छुट्टी नहीं दे सकते।

स्वजनों ने आरोप लगाया कि उनका मरीज 16 अक्टूबर तक वहां दाखिल रहा और उन्हें उससे मिलने नहीं दिया गया। स्वजनों से डाक्टर ने इलाज खर्च के तीन लाख रुपये मांगे। आरोप है कि डाक्टर ने रुपये न मिलने पर उपचार नहीं किया। शनिवार सुबह 5 बजे मरीज को मृत घोषित कर दिया गया। जब मरीज का शव मांगा तो डाक्टर ने पहले तीन लाख रुपये जमा करवाने की बात कही। स्वजनों का कहना था कि वे 80 हजार रुपये जमा करवा चुके थे। स्वजनों ने मामले में एसडीएम व तहसीलदार से मिलकर शिकायत की। इसके बाद तहसीलदार मौके पर पहुंचे और शव स्वजनों के सुपुर्द करवाया। तहसीलदार के आदेश पर कोरोना संक्रमित मृतक के शव को एंबुलेंस मंगवाकर शव रतिया भेजा गया। वहीं मामले में अस्पताल प्रशासन का कहना था कि मरीज कोरोना संक्रमित था। उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। इसके बाद भी स्वजन उपचार की फीस जमा नहीं करवा रहे थे।


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