18 फीसद सर्विस टैक्स को लेकर पड़ी थी रेड, कंपनी का जवाब- हम दायरे में ही नहीं आते
100 करोड़ के पहाड़ पर खनन का ठेका चलाती है गोवर्धन माइंस
- 100 करोड़ के पहाड़ पर खनन का ठेका चलाती है गोवर्धन माइंस
- हाई कोर्ट में लंबित था मामला, अब भिवानी की गोवर्धन माइंस को मिला स्टे फोटो- 51
जागरण संवाददाता, हिसार : केंद्रीय माल एवं सेवा कर (सेंट्रल जीएसटी) की दिल्ली मुख्यालय की टीम ने सोमवार रात्रि 11 बजे तक गोवर्धन माइंस के हिसार और भिवानी स्थित ठिकानों पर जांच की। कंपनी संचालकों की मानें तो सेंट्रल जीएसटी की टीम को अधिक कुछ मिला नहीं बल्कि टीम को यहां से खाली हाथ ही लौटना पड़ा। इस मामले में एक नया तथ्य सामने आया है। दरअसल गोवर्धन माइंस और सेंट्रल जीएसटी के बीच 18 फीसद सर्विस टैक्स देने को लेकर मामला चल रहा था। सेंट्रल जीएसटी की तरफ से कहा जा रहा था कि 18 फीसद सर्विस टैक्स भरें जबकि कंपनी की तरफ से कहना था कि उन पर सर्विस टैक्स लागू ही नहीं होता है। कंपनी संचालकों की मानें तो इस मामले में कंपनी ने पांच फीसद सर्विस टैक्स देने की बात भी कह दी थी। जब सेंट्रल जीएसटी को बात नहीं जमी होगी तो मामले पर उन्होंने जांच शुरू कर दी। इसी को लेकर टीमें दिल्ली से हिसार और भिवानी आईं। हालांकि इस मामले में अभी तक सेंट्रल जीएसटी की तरफ से कोई जवाब जारी नहीं किया गया है। सेंट्रल जीएसटी का जवाब की साबित करेगा कि छापेमारी में क्या हाथ लगा या नहीं।
100 करोड़ के पहाड़ के खनन का ठेका
गोवर्धन माइंस के संचालक वजीर सिंह कोहाड़ ने बताया कि उनके पास भिवानी में 100 करोड़ रुपये के पहाड़ का खनन का ठेका है। वह समय से सरकार को रायल्टी भी भरते हैं। 10 करोड़ रुपये महीने का काम है। अधिकारियों ने देर रात तक जांच की मगर कुछ मिला नहीं। उन्होंने बताया कि सर्विस टैक्स को लेकर कंपनी की तरफ से हाईकोर्ट में प्रस्तुति भी दी गई है, जिस पर मंगलवार को हाईकोर्ट ने स्टे भी दे दिया है।
क्या था मामला
भिवानी में खनन का कार्य करने वाली गोवर्धन माइंस का खनन के क्षेत्र में बड़ा काम है। उनके हिसार के सत्या एन्कलेव स्थित 51 नंबर कार्यालय और 54 नंबर आवास पर सीजीएसटी की दिल्ली स्थित टीम ने छापेमारी की थी। टीम भिवानी स्थित कार्यालय पर भी पहुंची थी। रात्रि 11 बजे तक टीमें खनन से संबंधित कागजातों को खोजने का कार्य करती रहीं।