16 साल बाद देवीलाल परिवार से दुष्यंत क्यों बने नेता सदन, पढ़ें हरियाणा की राजनीति से जुड़ी खबरें
राजनीति में ऐसा बहुत कुछ होता है जो अक्सर सुर्खियों में नहीं आता। आइए साप्ताहिक कॉलम सफेद सच में कुछ ऐसी ही खबरों पर नजर डालते हैं।
हिसार [जगदीश त्रिपाठी]। हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र लगभग तीन घंटे भले ही चला, लेकिन इसने करीब 16 वर्ष बाद चौधरी देवीलाल के परिवार के किसी सदस्य को नेता सदन के रूप में कार्यवाही चलाने का अवसर दे दिया। अतीत में देखें तो जब भी चौधरी देवीलाल और उनके परिवार का कोई सदस्य सत्तारूढ़ हुआ तो भारतीय जनता पार्टी उनके साथ जूनियर पार्टनर के रूप में सदन में रही। लेकिन यह पहली बार हुआ कि चौधरी देवीलाल के परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी भाजपा के साथ जूनियर पार्टनर के रूप में थी। यद्यपि भाजपा चाहती तो नेता सदन के रूप में सदन की कार्यवाही चलाने का अवसर अपने वरिष्ठ नेता अनिल विज को दे सकती थी, लेकिन उसने उप मुख्यमंत्री होने के नाते दुष्यंत को यह अवसर दिया।
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि दुष्यंत को यह अवसर देने में यह निहितार्थ छिपा था कि भाजपा उन पर भरोसा करती है और उनके साथ लंबी पारी खेलेगी। दुष्यंत ने भी भाजपा को निराश नहीं किया और नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बाउंसर पर जोरदार बाउंड्री तो लगाई ही, अपने चाचा की गेंदों पर भी चौका जड़ने से नहीं चूके। वह सबसे कम उम्र में नेता सदन के रूप में कार्यवाही चलाने वाले नेता बने और अच्छी बात यह रही कि सदन की गरिमा भी बरकरार रही। कोई विवाद नहीं हुआ, अन्यथा कई बार तो सदन में विधायक शास्त्रीय से शस्त्रीय संग्राम पर उतर आते हैं। हालांकि इंडियन नेशनल लोकदल के इकलौते विधायक और दुष्यंत के चाचा अभय चौटाला आक्रामक रहे। कांग्रेस के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुछ विधायकों ने भी विपक्ष की परंपरा निभाते हुए थोड़ा बहुत हंगामा किया, बहिर्गमन किया। लेकिन दुष्यंत ने दोनों को यथोचित जवाब दिया और कहीं से भी अनुभवहीन नहीं नजर आए।
कोरोना से सीधी लड़ाई
मुख्यमंत्री मनोहर लाल विधानसभा के मानूसन सत्र से पहले संक्रमित हो गए थे। साथ में दो मंत्री परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा और कृषि मंत्री जेपी दलाल भी संक्रमित थे। बाद में बिजली मंत्री चौधरी रणजीत चौटाला भी कोरोना की गिरफ्त में आ गए। इनमें परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा तो कोरोना को हरा चुके हैं, बाकी भी उसको हराने की तैयारी में हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती हैं और वहीं से अधिकारियों को मार्गदर्शन देते रहते हैं। अपने दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं से भी संवाद करते हैं। बाकी दोनों मंत्री रणजीत चौटाला और जेपी दलाल का स्वास्थ्य भी ठीक है। कुछ विधायक भी संक्रमित हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि ये सभी कोरोना को पराजित करने की तरफ बढ़ रहे हैं और हरियाणा के नेता समेत यहां की जनता भी कोरोना को पराजित करने में जुटी है।
पीने वालों ने रखा अर्थव्यवस्था का ध्यान
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री, जो वित्त विभाग एवं आबकारी विभाग के भी मंत्री हैं, के दावे पर विश्वास करें तो इस बार आबकारी एवं कराधान विभाग को कोरोना संक्रमण की पहली तिमाही में अपेक्षा से अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है। हालांकि लोग इस पर व्यंग्य भी कर रहे हैं कि पीने वालों ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत करने में अपनी तरफ कोई कसर नहीं छोड़ी। यह भी रेखांकित करने वाली बात है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के दौरान करोड़ों का शराब घोटाला हुआ था। प्रदेश सरकार ने विशेष जांच समिति गठित कर उसकी जांच भी कराई और अब जांच समिति की रिपोर्ट पर घोटाले की जांच इंटेलिजेंस को सौंपी गई है। लेकिन दुष्यंत लगातार इस बात से इन्कार करते रहे हैं कि प्रदेश में कोई शराब घोटाला हुआ। उन्होंने आंकड़े भी पेश कर दिए हैं। उनकी दलील है कि जब पिछले वर्ष इस अवधि में जो राजस्व मिला था, उससे कई गुणा अधिक कोरोना संक्रमण के दौरान उसी अवधि में मिला, तो यह घोटाला कैसे हुआ। बात तो उनकी तर्कसंगत है, पर प्रदेश के गृह मंत्री विज का क्या करें, जो यह मानने को तैयार ही नहीं कि शराब घोटाला नहीं हुआ।
कंक्रीट से आच्छादित होता अरावली पर्वतीय क्षेत्र
अरावली पर्वतीय क्षेत्र कंक्रीट से आच्छादित होता जा रहा है। यदि आप अरावली के संरक्षित वन क्षेत्र की गूगल की सेटेलाइट इमेज देखें तो यह हर छह महीने बाद आपको बदली दिखाई देगी। चूंकि गूगल वर्ष में दो बार ही सेटेलाइट इमेज अपडेट करता है, इसलिए वर्ष में दो बार ही दिखती है। यदि वह अरावली क्षेत्र की छवि मासिक अथवा पाक्षिक अपडेट करे तो भी यह बदली हुई मिलेगी और हर बार यह क्षेत्र हरीतिमा के बजाय कंक्रीट से और अधिक आच्छादित होता दृष्टिगोचर होगा। वैसे तो यह प्रविधान किया गया है कि पर्वतीय क्षेत्र में गैर वानिकी कार्य नहीं हो सकते। लेकिन मानता कौन है और जो नहीं मानते उन्हें रोकने वाला भी कोई नहीं है। कोरोना संक्रमण के दौर में जब कहीं निर्माण नहीं हो रहे थे, श्रमिक नहीं मिल रहे थे तब भी अरावली पर्वतीय क्षेत्र में बहुत से निर्माण हो गए। अब प्रदेश सरकार अवैध निर्माणों को तोड़ रही है। ठीक है। लेकिन कुछ ऐसा क्यों नहीं किया जाता कि अरावली को यह पीड़ा न ङोलनी पड़े। पर्यावरणविदों के इस प्रश्न पर प्रदेश सरकार को अवश्य विचार करना चाहिए।