जानें किस बात को लेकर लिखी गई रामपाल के अर्श से फर्श तक जाने की कहानी
हिसार कोर्ट में रोहतक के एक मामले में वीसी से पेशी के दौरान हुआ था वकीलों से दुर्व्यवहार, 5 नवंबर 2014 को हाई कोर्ट ने जारी किया था गैर जमानती वारंट जारी
जेएनएन, हिसार : सतलोक आश्रम संचालक रामपाल और उसके अनुयायियों का विवाद से पुराना नाता है। हिसार कोर्ट से रोहतक के करौंथा मामले में 14 जुलाई 2014 को वीसी से पेशी के दौरान वकीलों के साथ हुए अभद्र व्यवहार हुआ था। इस मामले में वकीलों ने याचिका लगाई थी, जिस पर हाई कोर्ट ने सख्ती की थी। रामपाल बीमारी की बात कहकर कोर्ट में नहीं गया था। समन जारी होने के बावजूद नहीं आने पर हाई कोर्ट ने 5 नवंबर 2014 को गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। इसके बाद पुलिस 19 नवंबर 2014 को रामपाल को गिरफ्तार कर ले गई थी। रामपाल को छुड़ाने के लिए उसके समर्थक पुलिस से भिड़ गए थे।
ज्ञात हो कि रोहतक के करौंथा मामले में रामपाल की हिसार कोर्ट से वीसी से पेशी हुई थी। कोर्ट में आने का पता चलने पर हजारों समर्थक हिसार पहुंच गए थे और लोग सड़कों और कोर्ट परिसर में जमा हो गए थे। कोर्ट में अन्य मामलों में वकीलों के जाने पर समर्थकों की तरफ से दुव्र्यवहार किया गया था। इसके बाद बार एसोसिएशन रामपाल के खिलाफ खड़ी हो गई थी। वकीलों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने समन भेजकर रामपाल को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन उसके नहीं आने पर 5 नवंबर 2014 को गिरफ्तारी वारंट जारी कर पुलिस को उसे कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए।
कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी होने पर हजारों लोग बरवाला के सतलोक आश्रम पहुंच गए और रामपाल को गिरफ्तार नहीं करने देने का एलान किया था। लगातार बातचीत के बावजूद रामपाल के नहीं आने पर 18 नवंबर 2014 को पुलिस रामपाल को गिरफ्तारी करने और आश्रम को खाली करवाने के लिए आगे बढ़ी। रामपाल के समर्थक पुलिस को रोकने के लिए पुलिस से भिड़ गए थे। इस दौरान काफी संख्या में पुलिस कर्मचारी और समर्थक घायल हुए थे। पहले दिन शाम तक आश्रम के आगे से समर्थक नहीं हटे थे।
19 नवंबर 2014 को भी पुलिस ने दोबारा बातचीत की। रामपाल रात करीब साढ़े 9 बजे आश्रम से बाहर निकला था और उसको पुलिस एंबुलेंस में बैठाकर सीधा पंचकूला ले गई थी। 20 नवंबर को हाई कोर्ट में रामपाल को पेश किया गया था। आश्रम से बाहर कई शव बाहर फेंक दिए गए थे, जिसमें रामपाल के मामले का फैसला आना है।
ऐसे हुई थी रामपाल की गिरफ्तारी
18 नवंबर 2014 को पुलिस सुबह करीब दस बजे आश्रम को खाली करवाने के लिए आगे बढ़ी। उस समय सैकड़ों समर्थक सतलोक आश्रम के गेट पर बैठे थे। पुलिस ने सभी को हटाया था। समर्थकों ने पुलिस पर हमला भी किया, जिसके बाद लाठीचार्ज भी हुआ था। उसी दौरान अंदर से किसी ने पुलिस पर गोली भी चलाई थी, जिसमें एक कर्मचारी घायल हुआ था।
उस दौरान समर्थक आश्रम की टीन की छतों पर खड़े हो गए थे। पुलिस ने जेसीबी से जब आश्रम की दीवार तोड़कर रास्ता बनाने का प्रयास किया तो समर्थकों ने पेट्रोल बम से हमला किया था। जेसीबी तक जला दी गई थी। वाटर कैनन का प्रयोग किया गया था। यह घमासान शाम तक चला था। बाद में उसे रोका गया था। इस दौरान सैकड़ों लोग घायल हुए थे।
आश्रम पुलिस ने किया हुआ है सील
20 नवंबर 2014 के बाद पुलिस ने आश्रम को खाली करवाकर उसको अपने कब्जे में लेकर सील कर दिया था। पुलिस ने आश्रम को खंगाला था। इसमें पेट्रोल बम की बोतलें मिली थीं। उन बोतलों में समर्थकों ने कील भी डाली हुई थीं।