पंजाब विधानसभा चुनाव : इनेलो के साथ मिलकर किसान आंदोलन, जातीय कार्ड का प्रयोग में जुटा अकाली दल
शिरोमणि अकालीदल फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। पूर्व सीएम 94 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल प्रचार अभियान में उतरे हुए हैं। रविवार को वे अबोहर रोड पर स्थित हल्का लम्बी के गांवों में प्रचार कर रहे थे। वहीं इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला बादल गांव में पहुंचे।
डीडी गोयल, डबवाली। इस बार पंजाब में राजनीतिक खिचड़ी पक रही है। शिरोमणि अकालीदल फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। पूर्व सीएम 94 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल प्रचार अभियान में उतरे हुए हैं। रविवार को वे अबोहर रोड पर स्थित हल्का लम्बी के गांवों में प्रचार कर रहे थे। ताऊ देवीलाल के समय से बादल से चली आ रही दोस्ती निभाने के लिए इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला बादल गांव में पहुंचे। वहां पूर्व सीएम नहीं मिले तो तेजिंदर सिंह मिड्डूखेडा से राजनीतिक चर्चा हुई। साफ हो गया कि इनेलो-शिरोमणि अकाली दल हरियाणा, राजस्थान सीमा से सटे पंजाब के इलाके में जातीय कार्ड खेलेंगे।
अकालीदल जातीय सूचियों को इनेलो से सांझा करेगा। जिसके बाद इनेलो 48 घण्टों में रणनीति बनाकर कार्यकर्ताओं की डयूटियां लगाएगा। वहीं किसान आंदोलन के समर्थन में इस्तीफा देने वाले देश के इकलौते विधायक अभय सिंह की छवि भुनाने का प्रयास होगा। चुनाव के दौरान इनेलो ऐसे कार्यकर्ताओं की भी पहचान कर रही है जिन्होंने दिल्ली सीमा पर आंदोलन में भाग लिया था। ताकि उन लोगों के पंजाब के किसानों से हुए संपर्कों का फायदा उठाया जा सकें।
----जब बादल ने अभय सिंह को गाड़ी में बैठाया
कोरोना के कारण पंजाब में चुनाव आयोग ने रैली आयोजित करने पर पाबंदियां लगाई हुई है। ऐसे में बादल अकेले गांवों में घूम रहे हैं। रविवार को जब वे घुमियारा में थे तो इनेलो नेता अभय सिंह पहुंच गए। बादल ने उन्हें गाड़ी में बैठाया। कुछ मिनट बात की। अभय सिंह के साथ सिरसा जिला के कुछ इनेलो नेता भी थे।
----काका तूं तां प्रचार करण औणा है
अभय सिंह के साथ पूर्व विधायक डॉ. सीता राम, इनेलो नेता जसवीर सिंह जस्सा भी थे। सीता राम ने जब राम-राम कही तो बादल ने ठेठ पंजाबी में बोले कि काका तूं तां अग्गे वी औणा प्रचार करण एस वार वी जरूर ओणा।
----2007 में सरूप चंद थे इनेलो की देन
इनेलो हरियाणा से सटे पंजाब इलाकों में प्रचार करती है। जिसमें बठिंडा, श्रीमुक्तसर साहिब, पटियाला का इलाका शामिल है। वर्ष 2007 में जब सरूप चंद सिंगला ने पहली बार बठिंडा से चुनाव लड़ा था तो वे मंत्री बने थे। राजनीति के जानकार बताते हैं कि सिंगला इनेलो के सजेस्ट किये हुए प्रत्याशी थे। सीमावर्ती इलाके में इनेलो का अच्छा प्रभाव बताया जाता है।