Move to Jagran APP

खराब फसलों का मुआवजा दे सरकार

अखिल भारतीय किसान सभा की जिला कमेटी के प्रधान शमशेर सिंह ने कहा कि सफेद मक्खी व बीमारी से कपास की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। वहीं पीले रतबा से मूंग सूंडी से बाजरा जलभराव व चेपा से धान और ग्वार की फसलें भी खराब हो चुकी हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 08:34 AM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2020 08:34 AM (IST)
खराब फसलों का मुआवजा दे सरकार
खराब फसलों का मुआवजा दे सरकार

जागरण संवाददाता, हिसार : खराब फसल के मुआवजे को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन में अब राजनीति संगठन भी शामिल हो रहे हैं। बुधवार को लघु सचिवालय में किसानों के साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी धरना दिया। इस दौरान किसानों ने चेतावनी दी कि छह सितंबर तक सरकार ने विशेष गिरदावरी के आदेश देकर नुकसान का आंकलन शुरू नहीं किया तो सात सितंबर से वह अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ जाएंगे।

loksabha election banner

अखिल भारतीय किसान सभा की जिला कमेटी के प्रधान शमशेर सिंह ने कहा कि सफेद मक्खी व बीमारी से कपास की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। वहीं पीले रतबा से मूंग, सूंडी से बाजरा, जलभराव व चेपा से धान और ग्वार की फसलें भी खराब हो चुकी हैं।

50 गांवों में 70 से 100 फीसद तक फसल खराब

प्रांतीय प्रधान फूलसिंह श्योकंद ने कहा कि जलभराव से जिले के 50 गांवों की फसल पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है। किसान सभा ने कृषि व कीट विज्ञानियों से जिले के प्रत्येक गांव की फसलों का निरीक्षण करवाया। उनकी रिपोर्ट के अनुसार फसलों व सब्जियों में 70 से 100 प्रतिशत तक नुकसान हुआ। इसलिए किसान सभा सरकार से मांग करती है कि प्रत्येक किसान को 50 हजार प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए।

इस अवसर पर जिला सचिव धर्मबीर कंवारी, प्रांतीय सचिव दयानंद पूनिया, जिला उपप्रधान सूबेसिंह बूरा, प्रदीप सिंह, हनुमान जौहर, बारुराम मुकलान, सतबीर धायल आदि उपस्थित रहे।

किसानों की अनदेखी कर रही सरकार

किसानों के साथ धरने पर बैठे कांग्रेस नेता रणधीर पनिहार ने कहा कि नरमा की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है, जिससे किसान वर्ग को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है। सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान करने के बजाय उनकी अनदेखी कर रही है। इस दौरान कांग्रेसियों ने उपायुक्त की अनुपस्थिति में तहसीलदार संजय ढुकिया को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के जरिये उन्होंने कहा कि पहले तो बीमा राशि 550 रुपये प्रति एकड़ थी, अब इसे बढ़ाकर 1600 रुपये कर दिया गया है। बढ़ाई गई बीमा राशि तो किसानों से समय पर वसूली जा रही है, लेकिन जब खराब फसलों का मुआवजा देने की बात आती है तो बीमा कंपनियां तरह-तरह की शर्ते थोप देती हैं। शारीरिक दूरी की उड़ी धज्जियां

इस धरना प्रदर्शन में कहीं शारीरिक दूरी नहीं दिखी। यहां तक कि लोगों ने मास्क तक नहीं पहन रखे थे। हिसार में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बावजूद इसके नियमों की पालना के लिए न तो प्रशासन गंभीर है और न ही लोग। लघु सचिवालय में कई दिनों से लगातार धरने-प्रदर्शन चल रहे हैं। इनमें दो गज की दूरी तो दूर की बात, मास्क पहनने वाले भी कम ही नजर आते हैं। प्रशासनिक अधिकारी रोजाना इनके सामने से निकलते हैं, लेकिन उन्हें यह सब नजर नहीं आता।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.