बहादुरगढ़ में फौजियों के आशियाने के लिए सस्ते दामों पर आवंटित हुई जमीन को बेचने की तैयारी
आशियाना मुहैया कराने के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (इडब्ल्यूएस) कोटे में आवंटित हुई जमीन को अब बेचने का निर्णय लिया गया है। बहादुरगढ़ में फ्लैट बनाने के प्रोजेक्ट से हाथ खींचकर आर्मी वेलफेयर हाउसिंग आर्गेनाइजेशन (एडब्ल्यूएचओ) ने इस जमीन का बेचने का निर्णय लिया है।
कृष्ण वशिष्ठ, बहादुरगढ़: शहर के सेक्टर सात में फौजियाें को सस्ते दामों पर आशियाना मुहैया कराने के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (इडब्ल्यूएस) कोटे में आवंटित हुई जमीन को अब बेचने का निर्णय लिया गया है। यहां पर फ्लैट बनाने के प्रोजेक्ट से हाथ खींचकर आर्मी वेलफेयर हाउसिंग आर्गेनाइजेशन (एडब्ल्यूएचओ) ने इस जमीन का बेचने का निर्णय लिया है। पिछले दिनों संगठन की उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। जय जवान आवास योजना के तहत आवंटित हुई करीब पांच एकड़ जमीन को एडब्ल्यूएचओ किसी प्राइवेट बिल्डर को बेचना चाह रहा है। संगठन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) से जमीन बेचने के लिए एनओसी लेना चाह रहा है। एनओसी के लिए आवेदन किया है या नहीं, इस पर एडब्ल्यूएचओ और एचएसवीपी फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं। एडब्ल्यूएचओ का इस जमीन को प्राइवेट बिल्डर को बेचने के पीछे मकसद है कि फौजियों को जो फ्लैट संगठन बनाकर देना चाह रहा था, वहीं फ्लैट जमीन खरीदने वाला प्राइवेट बिल्डर बनाकर फौजियों को दे दे।
इसके लिए जय जवान आवास योजना में आवेदन करने वाले फौजियों से प्राइवेट बिल्डर की ओर से पहले उनकी इच्छा भी पता कर ली जाए। हालांकि सस्ते दामों पर आवंटित हुई जमीन को इस तरह बेचना काफी मुश्किल है। मगर एडब्ल्यूएचओ अपने इस निर्णय में सफल रहता है तो फौजियों को सस्ते दामों पर आशियाना मिलना काफी मुश्किल है। दरअसल, वर्ष 2016 में एचएसवीपी ने यह जमीन एडब्ल्यूएचओ को करीब 4500 वर्ग मीटर के हिसाब से करीब नौ करोड़ रुपये में आवंटित की थी। यहां पर उस समय एक प्लाट की कीमत 19 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर थी। सेक्टर सात में इस जमीन की लोकेशन बहुत अच्छी है। अब यहां पर जमीन का मार्केट रेट 35 से 45 हजार रुपये प्रति वर्ग गज हैं।
गौरतलब है कि सेक्टर सात में पांच एकड़ जमीन पर फ्लैट बनाने के लिए 3 जून 2016 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल व तत्कालीन थल सेनाध्यक्ष दलबीर सुहाग ने भूमि पूजन किया था। यह प्रक्रिया होने के बाद जब आर्मी वेलफेयर हाउसिंग आर्गेनाइजेशन ने यहां पर फ्लैट निर्माण की प्रक्रिया शुरू की तो पता चला कि यह जमीन लो लाइन एरिया में है। यहां पर भूजल स्तर काफी ऊपर है। ऐसे में मिट्टी जांच के बाद पाइलिंग का काम करने में काफी समय लग गया था। इसके बाद सरकार ने यह भूमि सेना को देते समय फ्लैट आवंटन में एक शर्त लगा दी थी कि सिर्फ हरियाणा के ही फौजियों को फ्लैट मिले। इस शर्त को आर्मी पूरा नहीं कर सकती थी। इस शर्त को हटाने में भी डेढ़ साल का समय निकल गया था। इस वजह से पहले तो यहां पर फ्लैटों का निर्माण कई साल बाद शुरू हुआ था, लेकिन अब यहां भरा पानी फ्लैट निर्माण में बाधा बन गया। इसलिए एडब्ल्यूएचओ ने इस प्रोजेक्ट से अपने हाथ खींच लिए।
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एडब्ल्यूएचओ को दी गई जमीन को लेकर हमने अब तक कोई भी एनओसी जारी नहीं है। उनकी ओर से आवेदन किया गया है या नहीं यह तो फाइल देखकर ही पता लग सकता है। मैं फिलहाल चंडीगढ़ में हूं। एडब्ल्यूएचओ इस जमीन को बेच सकता है या नहीं यह भी फाइल में शर्त देखकर ही पता चल सकता है।
----सिद्धार्थ, संपदा अधिकारी, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, बहादुरगढ़।