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फसल बीमा योजना में बड़ा बदलाव, किसानों के लिखित में मना करने पर नहीं कर सकेंगे बीमा

किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) धारक किसान भी अंतिम तिथि से 7 दिन पहले यानी 24 जुलाई से पहले अपने बैंक में स्वयं घोषणा पत्र देकर फसल बीमा न करवाने की सूचना दे सकते हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 05:08 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 05:08 PM (IST)
फसल बीमा योजना में बड़ा बदलाव, किसानों के लिखित में मना करने पर नहीं कर सकेंगे बीमा
फसल बीमा योजना में बड़ा बदलाव, किसानों के लिखित में मना करने पर नहीं कर सकेंगे बीमा

हिसार, जेएनएन। हरियाणा सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए नोटिफिकेशन जारी करते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को पूर्णतया स्वैच्छिक बना दिया है। अब किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) धारक किसान भी अंतिम तिथि से 7 दिन पहले यानी 24 जुलाई से पहले अपने बैंक में स्वयं घोषणा पत्र देकर फसल बीमा न करवाने की सूचना दे सकते हैं। जो किसान फसल बीमा में अपनी फसल बदलवाना चाहते हैं वह अंतिम तिथि से 2 दिन पहले तक बैंक को लिखित में सूचित कर सकते हैं।

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कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डॉ. विनोद कुमार फोगाट ने बताया कि फसलों को प्राकृतिक आपदा व जोखिम से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ  2016-17 से चल रही है। हरियाणा सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का नोटिफिकेशन खरीफ 2020 से रबी 2022-23 तक कर दिया है। नोटिफिकेशन में प्रधानमंत्री फसल बीमा में पूर्णतया स्वैच्छिक कर दिया है। उन्होंने बताया कि जिन किसानों ने बैंक के माध्यम से फसली ऋण लिया हुआ है और वे इस स्कीम में शामिल नहीं होना चाहते तो उन्हें एक घोषणापत्र बैंक में देना होगा।

उन्होंने बताया कि बैंक में अपनी फसल बीमा न करवाने का घोषणा पत्र बैंक मैनेजर को लिखित में 24 जुलाई 2020 से पहले देना होगा। इसके अतिरिक्त यदि किसान अपनी फसल बदलवाना चाहता है तो वह अंतिम तिथि से दो दिन पहले तक बैंक में लिखित रूप से दे सकता है। उन्होंने बताया कि जिन किसानों के केसीसी नहीं है वह सीएसएसी अथवा बैंक के माध्यम से अपने आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपनी फसलों का बीमा करवा सकते हैं। बीमा करवाने के लिए जमीन की फर्द, आधार कार्ड, बैंक की कॉपी, जमीन का किरायानामा, फोटो व फसल बिजाई का प्रमाण पत्र देना होगा।

उन्होंने बताया कि इस स्कीम के तहत तीन प्रकार के जोखिमों को कवर किया जाता है। इसमें प्रथम जोखिम खड़ी फसल में बीमारी, सूखा, बाढ़, जलभराव एवं तूफान के कारण होने वाले नुकसान को पैदावार के आधार पर कवर किया जाता है। इसमें फसल कटाई प्रयोग हर गांव में बीमित फसल के लिए किए जाते हैं। दूसरा जोखिम फसल कटने के 14 दिन तक यदि ओलावृष्टि, जलभराव, चक्रवाती बरसात या गैर मौसमी बरसात से नुकसान होता है तो व्यक्तिगत स्तर पर सर्वे उपरांत नुकसान भरपाई की जाती है।

उन्होंने बताया कि तीसरे जोखिम के अंतर्गत स्थानीय आपदाओं के तहत किसान की फसल कटाई से 15 दिन पहले ओलावृष्टि, जलभराव, बादल फटने व आसमानी बिजली के कारण हुए नुकसान के लिए 72 घंटे में सूचना देकर फसल का सर्वे नोटिफाइड कमेटी जिसमें खंड कृषि अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी, कंपनी का नुमाईंदे व स्वंय किसान की मौजूदगी में किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से हानि प्रतिशत व नुकसान का कारण लिखा जाता है।


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