गरीबी और जिम्मेवारी ने डबवाली के अजय को बना दिया कलाकार, 4 घंटे बना रहता है स्टेच्यू
डबवाली के अजय ने खुद को गोल्डन रंग में रंगकर खुद को स्टेच्यू बना लिया। महज तीन माह में वह इतना पापुलर हो गया है कि डबवाली से लेकर श्रीगंगानगर (राजस्थान) तक उसे गोल्डन ब्वाय कहते है। लोग उसके साथ सेल्फी करवाते नजर आते है।
डीडी गोयल, डबवाली। 14 साल के अजय ने प्रतिभा और मेहनत के दम पर मुफलिसी पर विजय पाई है। क्योंकि उसे किसी के आगे हाथ फैलाकर भीख मांगना अच्छा नहीं लगता। तीन साल पहले की बात करें तो ढोल बजाता था, फिर जोकर बनकर भीख मांगता था। दुकानदार उसे टोकते थे, तंज कसते थे। वह ऊब चुका था। इंटरनेट के जमाने में सब कुछ स्टेच्यू सा लगने लगा है तो उसने खुद को गोल्डन रंग में रंगकर खुद को स्टेच्यू बना लिया। महज तीन माह में वह इतना पापुलर हो गया है कि डबवाली से लेकर श्रीगंगानगर (राजस्थान) तक उसे गोल्डन ब्वाय कहते है। लोग उसके साथ सेल्फी करवाते नजर आते है।
सेल्फी करवाने के बाद बालक अजय को पैसा देते है। अजय का दावा है कि वह लगातार चार घंटे तक स्टेच्यू बनकर खड़ा रह सकता है। उसे 1000-1200 रुपये आसानी से बन जाते है। वह किसी पर अपनी इच्छा भरा लालच नहीं थोपता, इस वजह से यह बालक सभी के दिलों में घर कर रहा है। डबवाली में तीन सूबों हरियाणा, पंजाब तथा राजस्थान को जोडऩे वाला सिल्वर जुबली चौक गरीबी पर अजय की विजय का गवाह बना हुआ है।
जिस बालक की हम बात कर रहे है, वो डबवाली के इंदिरा-सुंदर नगर में परिवार समेत रहता है। घर पर उसके पिता किशोर, बड़ा भाई कर्ण तथा छोटी बहन पायल है। मां सुनीता का काफी समय पूर्व देहांत हो चुका है। पिता की मानसिक स्थिति अच्छी नहीं है। बड़ा भाई पिता का पुश्तैनी काम ढोल बजाना संभाले हुए है, तो बहन घर संभालती है। यह परिवार श्रीगंगानगर में मीरां चौक के समीप रहता था। कुछ माह पूर्व ही डबवाली में बसा है। बताते है कि तीन माह पूर्व अजय ने दोस्त के मोबाइल पर इंटरनेट मीडिया में वायरल हो रही मुंबई के एक स्टेच्यू मैन की वीडियो देखी थी। उसे स्टार बनने का तरीका रास आ गया। प्रेक्टिस शुरु की तो शुरुआती दिनों में लडख़ड़ाने लगा। उसने हिम्मत नहीं हारी। लगातार प्रेक्टिस से वह स्टेच्यू के रुप में नजर आने लगा और कुछ ही दिनों में स्टार बन गया। बताते हैं कि डबवाली से पहले उसने श्रीगंगानगर में स्टेच्यू ब्वाय के तौर पर कुछ दिन बिताए थे।
कपड़ों को गोल्डन रंग में रंग लिया
लंबी प्रेक्टिस के बाद स्टेच्यू बने अजय ने वेशभूषा को आकर्षक बनाने का नायाब तरीका निकाल लिया। उसने सफेद रंग की शर्ट को गोल्डन रंग में रंग दिया। परिवार वाले क्या, यार-दोस्त उसके साथ मजाक करने लगे। बालक ने इसकी परवाह नहीं की। उसने ब्रश उठाया और नीले रंग की जींस पेंट को रंग दिया। काले रंग के बूटों का रंग भी सोने जैसा कर दिया। अब मुंह और सिर बचा था। हाथों पर दस्ताने तो सिर पर स्वर्णिम टोपी पहन ली। मुंह को भी रंग दिया। आंखों पर चश्मा लगाकर कड़कड़ती धूप में सिल्वर जुबली चौक पर खड़ा हो गया। किसी को आभास ही नहीं हुआ कि असली स्टेच्यू खड़ा है या फिर स्टेच्यू बना इंसान।
-मैं जोकर था, दुकानों पर जाकर लोगों को हंसाता था। लोग बाहर निकाल देते थे। उससे पहले ढोल बजाता था, काम कभी कभार मिलता था। एक वीडियो देखी तो स्टेच्यू मैन बनने का आइडिया मिला। सुबह दो रोटी खाकर सो जाता हूं। शाम को पांच से रात नौ बजे तक चौक पर आकर स्टेच्यू बन जाता हूं। मैं मानता हूं कि कला ही मुझे गरीबी से निकाल सकती है। मैंने मेहनत की, मैं चार घंटे तक स्टेच्यू बनकर खड़ा हो सकता हूं। लोगों ने मेरी प्रतिभा का सम्मान किया। सिर, आंखों पर बैठा लिया। मैं खुद को किसी स्टार से कम नहीं मानता। क्योंकि जब लोग मेरे साथ सेल्फी करते हैं तो मुझे सुपर स्टार जैसी फिलिंग होती है।
-अजय कुमार, स्टेच्यू मैन (गोल्डर ब्वाय) डबवाली