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धधकती आग से निकले धुएं से जहरीली हुई हिसार की आबोहवा, 430 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर हुआ प्रदूषण

हिसार का एयर क्वालिटी इंडेक्स औसतन 335 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया। वहीं पीएम (पर्टिकुलेट मैटर) 10 व पीएम 2.5 तो सर्वाधिक 400 का आंकड़ा पार गए। पीएम 10 430 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर तो पीएम 2.5 404 माइक्रो ग्राम प्रतिघन मीटर तक दर्ज किए गए।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 08:33 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 08:33 AM (IST)
धधकती आग से निकले धुएं से जहरीली हुई हिसार की आबोहवा, 430 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर हुआ प्रदूषण
इस स्तर के वायु प्रदूषण को गंभीर स्थिति में गिना जाता है।

हिसार, जेएनएन।  धधकती आग ने हिसार की हवा को पहले से भी अधिक खतरनाक स्तर पर पहुंचा दिया है। सोमवार को कई स्थानों पर आग की घटनाओं के कारण हिसार का एयर क्वालिटी इंडेक्स औसतन 335 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया। वहीं पीएम (पर्टिकुलेट मैटर) 10 व पीएम 2.5 तो सर्वाधिक 400 का आंकड़ा पार गए। पीएम 10 430 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर तो पीएम 2.5 404 माइक्रो ग्राम प्रतिघन मीटर तक दर्ज किए गए।

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इस स्तर के वायु प्रदूषण को गंभीर स्थिति में गिना जाता है। स्वस्थ लोगों के लिए भी यह हवा जहरीली ही है। इससे पहले भी रविवार को हिसार की हवाओं में प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान पर बहता दिखा। इसको कम करने के लिए अभी तक प्रशासन या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास कोई पुख्ता संसाधन नहीं हैं। फसल अवशेष जलाने के मामले देखें तो अभी तक 117 एक्टिव फायर लोकेशन सेटेलाइट ने पकड़ी हैं।

हिसार में एयर क्वालिटी इंडेक्स

औसत एक्यूआइ- 335

पीएम 10- 430

पीएम 2.5- 404

एनओ2- 58

एसओ2- 81

सीओ- 86

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पिछले 5 दिनों में हिसार का एक्यूआइ

21 अक्टूबर- 239

22 अक्टूबर- 267

23 अक्टूबर- 327

24 अक्टूबर- 344

25 अक्टूबर- 336

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एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) का मानक

0-50- अच्छा

51-100- संतोषजनक

101-200- सामान्य

201- 300- खराब ,

301- 400- बहुत खराब

401- 500- गंभीर

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क्या है प्रदूषण में पीएम 2.5 व पीएम 10

पीएम को पर्टिकुलेट मैटर या कण प्रदूषण भी कहा जाता है, जो कि वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है। हवा में मौजूद कण इतने छोटे होते हैं कि आप नग्न आंखों से भी नहीं देख सकते। कुछ कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके पता लगाना पड़ता है। कण प्रदूषण में पीएम 2.5 और पीएम 10  शामिल हैं जो बहुत खतरनाक होते हैं। पीएम 2.5 60 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। हवा में पीएम 10 का स्तर 100 से कम ही रहना चाहिए। पीएम 10 और 2.5 धूल, निर्माण की जगह पर धूल, कूड़ा व पुआल जलाने से ज्यादा बढ़ता है। जब इन कणों का स्तर वायु में बढ़ जाता है तो सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन आदि होने लगती हैं। पीएम 2.5 और पीएम 10 के कण सांस लेते समय आपके फेफड़ों में चले जाते हैं जिससे खांसी और अस्थमा के दौरे पढ़ सकते हैं। उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक और भी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बन जाता है, इसके परिणामस्वरूप समय से पहले मृत्यु भी हो सकती है।

प्रदूषण से प्रभावित होने पर यह दिखते हैं लक्षण

- सांस लेने में दिक्कत

- आंखें, नाक और गले में जलन

- छाती में ङ्क्षखचाव

- फेफड़ों का सही से काम ना कर पाना

- गंभीर श्वसन रोग

- अनियमित दिल की धड़कन और इत्यादि


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