खुद को सेना का जवान बता ओएलएक्स पर ठगी करने के गिरोह का पर्दाफाश, आप रहें सतर्क
ओएलएक्स पर सस्ता सामान बेचने का लालच दे ग्राहक को ऑनलाइन ट्रांजक्शन करने के नाम पर ठगी का खेल चल रहा है। कुछ समय से ओएलएक्स पर सामान बेचने के नाम पर ठगी की शिकायतें आ रही थीं।
रोहतक [विनीत तोमर] ऑनलाइन कंपनी ओएलएक्स पर सामान बेचने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जो राजस्थान के भरतपुर जिले के कई गांवों से संचालित होता है। हैरानी की बात है कि गिरोह में सरगना से लेकर गुर्गे तक महज छठी और आठवीं पास हैं, जो कभी खुद को सेना का जवान बताते हैं तो कभी अधिकारी बताकर लोगों को शिकार बना रहे हैं। मगर अभी बहुत से ऐसे ठग हैं तो पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। एक आरोपित के पकड़े जाने से आगे की राह आसान हो सकती है। दरअसल ओएलएक्स पर सस्ता सामान बेचने का लालच दे ग्राहक को ऑनलाइन ट्रांजक्शन करने के नाम पर ठगी का खेल चल रहा है।
कुछ समय से ओएलएक्स पर सामान बेचने के नाम पर ठगी की शिकायतें सामने आ रही थीं। रोहतक पुलिस अधीक्षक ने विशेष टीम का गठन किया था। सीआइए-1 के सहायक उप निरीक्षक विनोद दलाल की टीम ने फरीदाबाद निवासी मुबारिक को गिरफ्तार किया था। रिमांड पर पूछताछ में अभी तक लगभग 10 से अधिक वारदातों का खुलासा हो चुका है। गिरोह का नेटवर्क हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब और यूपी समेत कई राज्यों में फैला है। आरोपित से पूछताछ के बाद सीआइए-1 की स्पेशल टीम राजस्थान के इन गांवों में दबिश के लिए भेजी गई है।
अब यह हुआ है खुलासा
पूछताछ में पता चला कि मुबारिक की ससुराल भरतपुर जिले के पाड़ला गांव में है। पाड़ला के अलावा ङ्क्षहगोटा, गैंगपुरी, कामा और टोड़ा गांव में कम पढ़े-लिखे लोगों की संख्या ज्यादा है। इन गांवों के अधिकतर लोग इसी तरह के धंधे में लगे हुए हैं। मुबारिक पहली बार दिसंबर माह में अपनी ससुराल गया था। वहां 5-6 दिन तक रूका और पूरे नेटवर्क को समझा। आरोपित उनके गिरोह का सदस्य बन गया और 5-6 दिनों में ही कई लोगों को अपना शिकार बना दिया। इसके बाद वह दूसरी बार फरवरी माह में वहां गया। दोनों बार में 11-12 दिन तक रुका और करीब 16 लोगों से लाखों की ठगी कर डाली।
ऐसे करते हैैं ठगी, तीन जालसाज बैठते हैं एक साथ
जांच अधिकारी एएसआइ विनोद दलाल ने बताया कि ठगी करने के लिए आरोपित मोबाइल, बाइक या फिर अन्य सामान का फोटो ओएलएक्स पर अपलोड करते हैं और अपना फर्जी नंबर छोड़ देते हैं। इसके बाद जब उनके पास कोई व्यक्ति फोन करता है तो उनके बीच सौदेबाजी तय हो जाती है। फिर कुछ घंटे या एक-दो बाद कॉल करने के लिए कहते हैं। तब इनका असली खेल शुरू होता है।
पीडि़त को झांसा देते हैं कि वह सेना का जवान या फिर अधिकारी और तबादला होने के कारण सामान बेच रहा है। इसके लिए पहले पेटीएम में कुछ रुपये डालने होंगे और यहां से सामान डिलीवर कर दिया जाएगा। रुपये डलने के बाद दूसरा व्यक्ति कोरियर वाला बनकर बात करता है। इसके बाद तीसरा व्यक्ति खुद को कोरियर का बड़ा अधिकारी बताकर शर्त लगा देता है कि पहले पूरी रकम जमा करनी होगी, तभी यह डिलीवर हो पाएगा। रकम मिलते ही उनके मोबाइल नंबर बंद हो जाते हैं।
20 फीसद लेता है फर्जी रजिस्ट्रेशन करने वाला दुकानदार
ठगी के बाद जब रकम उनके पीएटीम में पहुंच जाती है तब निर्धारित रकम का 20 प्रतिशत दुकानदार लेता है, जो उसी गांव का होता है और फर्जी आइडी पर सिम देता है। ओएलएक्स पर भी वही फर्जी रजिस्ट्रेशन करता है, जबकि 80 प्रतिशत राशि ठगी करने वाले अपने पास रखते हैं।
कई भाषाओं में करता है बात
गिरोह में शामिल सदस्य हिंदी, अंग्रेजी के अलावा कई अन्य भाषाओं में भी बात करते हैं। देश के किसी भी राज्य से उनके पास फोन आए तो वह उसी भाषा में बात करते हैं। यही कारण है कि उन्होंने कई प्रदेशों में लोगों को अपना शिकार बनाया है।
दैनिक जागरण की अपील
ओएलएक्स पर ठगी के लगातार आ रहे मामलों में आपको सतर्क रहना होगा। दैनिक जागरण आपसे अपील करता है कि ओएलएक्स पर कोई भी सामान खरीदने से पहले उसकी पूरी जानकारी लें। यदि कोई तबादले के नाम पर सामान बेचने की बात कहकर किसी एप के माध्यम से आपसे भुगतान करने की बात कहता है तो पुलिस को सूचना देकर उसकी जांच पड़ताल कराएं। क्योंकि आपकी सतर्कता से ही ठगों पर शिकंजा कसा जा सकता है।
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