बाबू गुलाब राय की जयंती पर हुई काव्य गोष्ठी
जागरण संवाददाता, हिसार : प्रसिद्ध निबंध लेखक बाबू गुलाब राय की जयंती पर ¨जदल कॉलोनी में उनके
जागरण संवाददाता, हिसार : प्रसिद्ध निबंध लेखक बाबू गुलाब राय की जयंती पर ¨जदल कॉलोनी में उनके सुपुत्र विनोद शंकर गुप्त ने एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। इसमें मजेदार बात यह रही कि उन्होंने सभी आमंत्रित साहित्यकारों को अपने पुस्तकालय से ही उनकी भेंट की हुई कृतियां सौंपी और उनमें से रचनाएं सुनाने का आग्रह किया। साथ ही निबंधकार 'बाबू गुलाब राय पुस्तक' भेंट कर कहा कि इसे आप भी संभाल कर रखिएगा। यही आशा करता हूं । इस काव्य गोष्ठी में कुमार रवीन्द्र ने नवगीत, सतीश कौशिक व महेंद्र जैन ने गजल, डा. मधुसूदन पाटिल ने व्यंग्य, डा. राधेश्याम शुक्ल ने दोहे व आई जे नाहल ने व्यंग्य कविताएं सुनाईं तो कमलेश भारतीय ने लघुकथा । अजीत ¨सह ने अपने ही अंदाज में हास्य रस पैदा किया । विनोद शंकर गुप्त ने बाबू गुलाब राय की स्मृतियां प्रस्तुत कीं । इस तरह एक अनोखा कार्यक्रम हुआ। सतीश कौशिक की पंक्तियां 'ये जो मिला है, अधूरा है ख्वाब मेरा, ये दौर है अपनों से जुदा होने का, डा. राधेश्याम शुक्ल ने कहा 'घर के बूढों का ख्याल रखना जी इनके आंसू न ढुलकने पाएं','ये दुआ, ये दवा, ये दौलत है, ये धरोहर संभाल के रखना जी।'