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NPA बचाने के लिए डिफाल्टरों की फेसबुक से तलाश कर रहा पीएनबी

बैंक की तरफ से दिए गए लोन की किश्त यदि 90 दिन में उपभोक्ता नहीं भरता है तो वह एनपीए कर दिया जाता है। बैंक अधिकारियों ने बताया कि ऐसे उपभोक्ता काफी है जो यह पैसा समय पर नहीं भर पाते

By manoj kumarEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 03:34 PM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 05:05 PM (IST)
NPA बचाने के लिए डिफाल्टरों की फेसबुक से तलाश कर रहा पीएनबी
NPA बचाने के लिए डिफाल्टरों की फेसबुक से तलाश कर रहा पीएनबी

हिसार [अमित धवन] बैंकों से लोन लेकर पैसा नहीं देना आम बात हो गई है। ऐसे लोगों की तलाश में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया का सहारा लेना शुरू कर दिया है। पीएनबी की तरफ से डिफाल्टरों को फेसबुक पर ढूंढने के बाद उन्हें पैसा जमा करवाने के लिए मेल की जा रही है। काफी डिफाल्टर ने पैसा बैंक में जमा करवाया है। पीएनबी का इस समय हिसार के अलावा सिरसा और फतेहाबाद में लोन के रूप में दिया नौ करोड़ रुपये एनपीए हो चुका है।

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पीएनबी की तरफ से हर साल करोड़ों रुपये के लोन जारी किए जाते हैं। इसमें मुख्य रूप से एजुकेशन, व्हीकल, हाउस लोन आदि रिटेल के लोन शामिल हैं। बैंक की तरफ से ऐसे उपभोक्ताओं को पैसा जमा करवाने के लिए घर के दरवाजे खटखटाने शुरू किए। एजुकेशन लोन में तो कुछ ने पैसा भर दिया तो कुछ परिवार का बैंक अधिकारियों को जवाब मिला उनका बच्चा अब उनके साथ नहीं रहता।

बच्चे को ही ढूंढ कर वह अपना लोन ले लें। इसके बाद बैंक ने नया तरीका निकाला और उन युवाओं को फेसबुक पर ढूंढना शुरू किया जिन्होंने एजुकेशन लोन लिया था। सोशल मीडिया पर मिले कुछ युवा दूसरे देश में नौकरी कर रहे हैं। उनको मेल की तो कुछ ने पैसा जमा करवा लेकिन कुछ युवा मेल का जवाब नहीं दे रहे।

90 दिन बाद किश्त नहीं तो एनपीए की कैटेगरी में

बैंक की तरफ से दिए गए लोन की किश्त यदि 90 दिन में उपभोक्ता नहीं भरता है तो वह एनपीए कर दिया जाता है। बैंक अधिकारियों ने बताया कि ऐसे उपभोक्ता काफी है जो यह पैसा समय पर नहीं भर पाते। इसलिए उनका पैसा एनपीए में चला जाता है।

सरकारी नौकरी में लगने के बाद नहीं दिया था पैसा, सरकार से बैंक ने किया संपर्क

पीएनबी की तरफ से एक युवक को एजुकेशन लोन दिया था। उस युवक की सरकारी नौकरी भी लग गई लेकिन वह पैसा भरने को तैयार नहीं था। बैंक अधिकारियों ने अपना पैसा वसूल करने के लिए संबंधित विभाग से संपर्क किया और उसका लोन का पैसा जमा करवाया।

4 लाख रुपये लोन का पैसा होता डिफाल्टर

बैंक अधिकारियों की माने तो 4 लाख रुपये तक लोन लेने वाले से बैंक कोई गारंटी नहीं लेता है। इसके अलावा चार से साढ़े सात लाख रुपये लोन तक थर्ड पार्टी गारंटी और साढ़े सात लाख रुपये से ऊपर का लोन लेने पर उससे सिक्योरिटी ली जाती हैं। इसमें चार लाख रुपये तक लोन लेने वाले ही पैसा नहीं भर रहे है।

--फेसबुक से ढूंढ कर कुछ युवाओं से डिफाल्टिंग अमाउंट भरवाया गया है। वह लगातार ऐसे युवाओं को ढूंढ रहे है जो पैसा नहीं भर रहे। अभी 9 करोड़ रुपये एनपीए में हैं।

- नीरा कटारिया, मंडल प्रमुख, पीएनबी


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