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बाॉलीवुड में छाप छोड़ने को तैयार पीएलसी सुपवा का शशांक, संजय दत्‍त के साथ फिल्‍म में किया बतौर सिनेमेटोग्राफर डेब्यू

24 साल की उम्र में शशांक बालीवुड के बड़े स्टार संजय दत के साथ काम कर चुके हैं। संजय दत की फिल्म तोरबाज जोकि 11 दिसंबर को ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी में शशांक ने मशहूर सिनेमेटोग्राफर हीरू केशवानी को असिस्ट किया है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 09 Dec 2020 08:10 AM (IST)Updated: Wed, 09 Dec 2020 08:10 AM (IST)
बाॉलीवुड में छाप छोड़ने को तैयार पीएलसी सुपवा का शशांक, संजय दत्‍त के साथ फिल्‍म में किया बतौर सिनेमेटोग्राफर डेब्यू
तोरबाज फिल्म की शूटिंग के दौरान शशांक (बाएं से तीसरे), सिनेमेटोग्राफर हीरू केशवानी (शशांक से दाएं) संजय दत्‍त के साथ।

रोहतक [केएस मोबिन] रोहतक के स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन (वर्तमान में पंडित लख्मीचंद स्टेट यूनवर्सिटी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन का फिल्म एंड टेलीविजन विभाग) में रांची के 17 साल के शशांक विराग ने दाखिला लिया। पढ़ाई में औसत थे। लेकिन, क्रिएटिवटी गजब की थी। पिता विश्व मोहन विराग के कहने पर घर से दूर नए फिल्म संस्थान में दाखिला लिया।

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जोकि, खुद नेशनल अवार्डी सिनेमेटोग्राफर रह चुके हैं। शशांक संस्थान के पहले ऐसे छात्र बने जिसने बालीवुड में बतौर सिनेमेटोग्राफर डेब्यू किया है। सिनेमेटोग्राफी के अतिरिक्त वह स्क्रिप्ट राइटिंग एवं डायरेक्शन में भी महारत रखते हैं। सिर्फ 24 साल की उम्र में शशांक बालीवुड के बड़े स्टार संजय दत के साथ काम कर चुके हैं।

संजय दत की फिल्म तोरबाज जोकि 11 दिसंबर को ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी में शशांक ने मशहूर सिनेमेटोग्राफर हीरू केशवानी को असिस्ट किया। जिसके बाद हिंदी फिल्म को-अहम फिल्म में बतौर सिनेमेटोग्राफर काम किया। जिसका शूट नवंबर 2020 में पूरा हुआ है। पीएलसी सुपवा के शिक्षकों ने भी शशांक के पहले बड़े प्रोजेक्ट पर खुशी जताई है। शशांक का कहना है कि घर में जरूर फिल्म का माहौल था लेकिन उनके हुनर को सही पहचान सुपवा में मिली। संस्थान में पढ़ाई के दौरान हीरू केशवानी के संपर्क में आए।

शशांक बताते हैं कि एक्सपर्ट फैकल्टी के तौर पर आए हीरू केशवानी का प्रभाव उनपर ऐसा पड़ा कि उनके साथ ही काम करने लगे। उन्हीं की बदौलत संजय दत की फिल्म जिसे गिरिश मलिक ने डायरेक्ट किया है में काम करने का मौका मिला।

पिता से मिली सिनेमेटोग्राफी की पहली सीख

शशांक बताते हैं कि उनके पिता का प्रभाव उनपर व भाई पर रहा है। जब वह पांच साल के थे तो खोरठा भाषा (झारखंड में की एक स्थानीय बोली) की फीचर फिल्म ''''तोर किरया'''' रिलीज हुई थी। जिसमें सिनेमेटोग्राफी के लिए उन्हें नेशनल अवार्ड मिला था। उनसे सिनेमेटोग्राफी की पहली सीख मिली। उन्हीं के कहने पर पीएलसी सुपवा में दाखिला लिया। लॉकडाउन के समय में भाई के साथ बारिश का तोहफा फिल्म को-डायरेक्ट की। जिसे हाइफा फिल्म फेस्टीवल में बेस्ट फिल्म, बेस्ट सिनेमेटोग्राफी और बेस्ट फिल्म का अवार्ड मिला।

चार साल में सीख गए हरियाणवी

शशांक बताते हैं कि पीएलसी सुपवा में फिल्म की पढ़ाई के दौरान वह हरियाणवी भी सीख गए। हरियाणवी खान-पान उनको बेहद पसंद आया। रोहतक में इस कदर मन लगता था कि छुट्टियों में भी कई बार पीजी पर ही रुक जाते थे। 2018 में डिग्री पूरी होने के बाद भी संस्थान से उनका मोह ऐसा कि अपने जूनियर्स से मिलने अक्सर आते-जाते रहते हैं।

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केएस मोबिन


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