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गरीबी से जूझ रहे खिलाडिय़ों को सहारा मिला तो ओलंपिक में पदक जीतने की जगा दी आस

रोहतक की माइक्रोन पृथ्वी फाउंडेशन ने की खिलाडिय़ों की मदद। दो एथलेटिक्स खिलाडिय़ों ने किया पैरा ओलंपिक क्वालीफाई। ओलंपिक क्वालिफाई करने वालों में एक अन्य महिला एथलीट भी

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 02:44 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 02:44 PM (IST)
गरीबी से जूझ रहे खिलाडिय़ों को सहारा मिला तो ओलंपिक में पदक जीतने की जगा दी आस
गरीबी से जूझ रहे खिलाडिय़ों को सहारा मिला तो ओलंपिक में पदक जीतने की जगा दी आस

रोहतक [रतन चंदेल] मैदान पर पसीना बहाने वालों में कितने ही ऐसे खिलाड़ी भी होते हैं जो प्रतिभावान होने के बावजूद आर्थिक दिक्कतों के कारण खेलों में कॅरियर नहीं बना पाते हैं। जबकि ऐसे खिलाडिय़ों को अगर समय पर आर्थिक मदद मिल जाए तो वह देश ही नहीं बल्कि दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने का दम रखते हैं। रोहतक में ऐसी ही तीन खेल प्रतिभाएं हैं। गरीबी से जूझ रहे इन खिलाडिय़ों को आर्थिक सहारा मिला तो वे अब आसमान छू रहे हैं।

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तीनों खिलाडिय़ों ने ओलंपिक क्वालिफाई कर लिया है और अब टोकियो में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। ये तीनों खिलाड़ी एथलीट हैं। जिनमें रोहित कुमार, अमित कुमार व अंजलि शामिल हैं। अंजलि ने ओलंपिक खेलों में क्वालिफाई किया है वहीं, रोहित व अमित ने पैरा ओलंपिक खेलों के लिए क्वालिफाई कर नाम रोशन किया है। रोहतक में अभ्यास करने वाले तीनों खिलाडिय़ों की मदद रोहतक की माइक्रोन पृथ्वी फाउंडेशन ने की है, जिसके संस्थापक रोमेश विग जबकि इसके वाइस प्रेसिडेंट कर्ण विग हैं।

फाउंडेशन के खेल निदेशक कर्नल एसएस मान ने बताया कि होनहार और जरूरतमंद खिलाडिय़ों की तलाश कर उनकी मदद फाउंडेशन कर रहा है। ताकि कोई भी प्रतिभावान खिलाड़ी आर्थिक कमी के कारण खेलों में न पिछड़ सके। वहीं, खिलाडिय़ों का कहना है कि सही समय पर आर्थिक मदद मिलने से उनकी प्रतिभा को और निखार मिल रहा है।

रोहित की उपलब्धियां हैं अनेक

मूल रूप से रोहतक किलोई गांव निवासी पैरा एथलीट रोहित ने मार्च 2017 में ओपन पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में डिस्कस थ्रो में गोल्ड जबकि शाट पुट में सिल्वर मेडल जीता। उसी साल चीन में हुए जीपी ओपन पैरा एथलेटिक्स के डिस्कस थ्रो में उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया। जुलाई 2018 में बैंगलौर में हुई ऑल इंडिया ओपन पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में डिस्कस थ्रो में उन्होंने फिर गोल्ड मेडल जीत कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वहीं, शाट पुट में सिल्वर मेडल भी जीता। 2019 में हुई नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड व सिल्वर मेडल जीते। रोहित जब करीब डेढ़ साल के थे तो उनकी दाई कलाई में दिक्कत हो गई थी। उनका यह हाथ तभी से दिव्यांग है।

अमित ने दुनिया में किया नाम रोशन

मूल रूप से पंजाब के मंडी गोङ्क्षबदगढ़ निवासी अमित ने 2018 में चीन में हुई वल्र्ड जीपी पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल जीत कर नाम रोशन किया। उसी साल जकार्ता में हुए एशियन खेलों में भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। वहीं, उसी वर्ष बैंगलौर में हुई नेशनल ओपन पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 और 200 मीटर की दौड़ में उन्होंने गोल्ड मेडल जीत कर अपने इरादे जाहिर कर दिए। गत वर्ष नवंबर में दुबई में हुई वल्र्ड चैंपियनशिप में भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। अमित जब करीब दो साल के थे, तो छत से गिर गए थे। तभी से वे दाएं हाथ व पैर से दिव्यांग हैं।

अंजलि का जुनून नहीं कमजोर

मूल रूप से जींद के कालवा गांव निवासी अंजलि की आर्थिक स्थिति कमजोर है। लेकिन खेल के प्रति उनका जुनून कतई कमजोर नहीं है। अब उन्होंने ओलंपिक में 400 मीटर दौड़ के लिए क्वालिफाई किया है। गत दो वर्षाें में ही अंजलि ने 400 मीटर में अब तक की अनेक उपलब्धियां हैं। 58वीं नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल, 59वीं नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में एक गोल्ड व दो कांस्य पदक जीते, वल्र्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लिया। 59वीं इंटर स्टेट एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है।


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