जागरण संवाददाता, झज्जर। गणेश उत्सव के बाद श्राद्ध पक्ष आरंभ हो जाते हैं। इस दफा पितृ पक्ष 20 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। एक पक्ष तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष के दौरान अपने दिवंगत पुरखों को याद कर पूरे विधि विधान के साथ तर्पण किया जाता है। सर्व पितृ अमावस्या के दिन 6 अक्टूबर को समापन होगा। पूरी श्रद्धा के साथ पितरों की पूजा अर्चना करने के साथ तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
सच्ची श्रद्धा के साथ तर्पण किया जाता है
दुजाना गांव के निवासी रहे ब्रह्मलीन श्रीमज्जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य के ऋषिकेश स्थित श्री जगन्नाथ धाम की मूल गद्दी के गद्दीनशीन महंत लोकेशदास के मुताबिक हिंदू मान्यताओं के अनुसार देह त्याग करने के बाद हमारे पुरखे परलोक सिधार जाते हैं और उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ तर्पण किया जाता है, उसे ही श्राद्ध कहा जाता है। जिस मृत स्वजन को स्मरण कर तर्पण किया जाता है, उसे ही पितर कहा जाता है। ऐसे में श्रद्धापूर्वक अपने पितरों के प्रति दिखाए गए भाव से जीवन सफल होता है।
श्राद्ध पूजा की सामग्री
पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने और उनका श्राद्ध करने के लिए रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी , रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता , पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़ , मिट्टी का दीया , रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, चावल, मूंग, गन्ना आदि की पूजा में जरुरत होती है।
इन बातों का दिवस विशेष में रखें ध्यान
-अपने पूर्वजों की इच्छा अनुसार दान-पुण्य करना चाहिए। सर्वप्रथम गौदान को महत्व दिया जाता है। सामर्थ्य के अनुसार तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, गुड़, चांदी, पैसा, नमक और फल का दान कर सकते हैं। यह दान तिथि अनुसार करना चाहिए।
- यदि अनजाने से कोई गलती हो जाए तो उसके लिए अपराध बोध होना चाहिए और उस गलती के लिए पितरों से माफी भी मांगना चाहिए।
- जिस तिथि को आपके पितरों की मृत्यु हुई हो, उस तिथि को उनके नाम से अपनी श्रद्धा और यथाशक्ति के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन करवाएं, भोजन कौओं और कुत्तों को भी खिलाएं।
- यदि कोई मनुष्य श्राद्ध करने में असमर्थ होता है तो उसे पितृों की तिथि पर गाय को हरा चारा खिलाना चाहिए। यदि यह भी संभव न हो तो एकांत में जाकर दोनों हाथ ऊपर करके पितृों का स्मरण करने मात्र से भी श्राद्ध कर्म की पूर्ति हो जाती है।
पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होगा आरंभ
हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ होकर आश्विन मास की अमावस्या तिथि तक रहता है। भादो की पूर्णिमा 20 सितंबर 2021 को होगी, इसी दिन पितृ पक्ष शुरू हो रहा है और इसका समापन 6 अक्टूबर को होगा। ऐसे में अंतिम श्राद्ध 6 अक्टूबर को होगा।