रिहायशी दरों पर भुगतान कर गृहकर, बिजली और पानी की राशि गटक रहे पीजी मालिक
जबकि नियमानुसार कॉमर्शियल गतिविधियों में उनको टैक्स और बिल भी उसी हिसाब से सरकार को देना चाहिए। हालात यह हैं कि अवैध पीजी संचालकों का रिकार्ड निगम के पास ही नहीं है।
हिसार, जेएनएन। शहर के पीजी (पेइंग गेस्ट) मालिक रिहायशी इलाके में कॉमर्शियल एक्टिविटी कर सरकार के राजस्व को मोटा चूना लगा रहे हैं। गृहकर, बिजली और पानी की रिहायशी दरों पर अदायगी कर राशि तो गटक रहे हैं, साथ ही लाखों रुपये इनकम टैक्स भी बचा रहे हैं। जबकि नियमानुसार कॉमर्शियल गतिविधियों में उनको टैक्स और बिल भी उसी हिसाब से सरकार को देना चाहिए। हालात यह हैं कि अवैध पीजी संचालकों का रिकार्ड निगम के पास ही नहीं है। मालिक कौन है, अब उसको ढूंढने के लिए नगर निगम सड़कों पर उतरा है। इसके लिए शहर में कृष्णा और बैंक कालोनी से सर्वे शुरू किया है। मालिक का नाम-पता मिलने के बाद पहले चरण में उन्हें नोटिस भेजा जाएगा। पीजी पर मेहरबान अफसरों की कार्य की स्पीड इतनी धीमी है कि अब तक केवल 13 पीजी को ही नोटिस भेजने की कार्रवाई हो पाई है।
बता दें कि निगम कमिश्नर जेके अभीन ने अवैध पीजी के मामले पर संज्ञान लेते हुए निगम इंजीनियरों की क्लास लगाई तो शहर में सर्वे शुरू हुआ है। निगम इंजीनियर के अनुसार 87 अवैध पीजी चिह्नित कर उनको नोटिस भेजने थे, लेकिन किसी के मालिक का नाम नहीं है तो किसी का पता सही नहीं है। ऐसे में शहर में अवैध पीजी पर कार्रवाई के लिए उनका नाम व पता जानने के लिए सर्वे शुरू किया गया है। सर्वे कृष्णा नगर व बैंक कालोनी सहित आसपास के एरिया में कर दिया है।
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तीसरी बार निगम टीम शहर में कर रही सर्वे, शिकंजा कसने में बनाई जा रही दूरी
नगर निगम की टीम शहर में पीजी का सर्वे कोई पहली बार नहीं कर रही है। बल्कि इससे पहले भी दो बार अवैध पीजी की जानकारी जुटाई जा चुकी है। पहले नगर निगम की टीम ने निजी सर्वे कंपनी के माध्यम से शहर के पीजी की संख्या जुटाई। उसी दौरान निगम कर्मचारियों और सक्षम युवाओं के माध्यम से पीजी की जानकारी जुटाई। इन दोनों बार जुटाई जानकारी में निगम अफसरों का तर्क है कि पीजी की पहचान तो हुई लेकिन उन्हें नोटिस किसके नाम भेजें, इस बात की जानकारी टीम नहीं जुटा पाई। अब पीजी संचालकों के नाम व सही पते का रिकार्ड जुटाने के लिए शहर में पीजी का सर्वे शुरू किया है। पूर्व के आंकड़े के अनुसार शहर में 140 से अधिक पीजी हैं।
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पीजी के फैले जाल के लिए बिजली, जनस्वास्थ्य और एचएसवीपी भी जिम्मेदार, जानें कैसे
एचएसवीपी : हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) के अफसरों के अनुसार रिहायशी एरिया में पीजी खुलने का कोई प्रावधान एचएसवीपी के रूल में नहीं है। यदि कोई पीजी चलाता पाया जाता है तो उसका प्लाट रिज्यूम हो सकता है। उधर सेक्टर 13 सहित शहर के कई सेक्टरों में धड़ल्ले से पीजी चलना और कार्रवाई के नाम पर अफसरों का मूकदर्शक बने रहना, पीजी के खेल में उनकी मिलीभगत को दर्शाता है।
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जनस्वास्थ्य विभाग : रिहायशी एरिया में चल रहे अधिकांश पीजी में घरेलू पेजयल कनेक्शन हैं। सरकार जो पानी आमजन को अपने घर में प्रयोग करने की लिए कम दामों पर मुहैया करवाती है। पीजी भी उसी दर से पानी गटक रहे हैं। जबकि वे कॉमर्शियल कारोबार कर रहे हैं। ऐसे में पानी के बिल की दर भी कॉमर्शियल होनी चाहिए।
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बिजली निगम : कालोनियों में बने पीजी कई घरों में चलाए जा रहे हैं, जिसमें घरेलू कनेक्शन चल रहे हंै। ऐसे में उन्हें भी घरेलू रेट पर बिजली मिल रही है।
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नगर निगम : शहर में करीब 140 पीजी हंै, जिनकी प्रॉपर्टी का टैक्स कॉमर्शियल होना चाहिए। जबकि ये पीजी घरेलू टैक्स भुगतान कर रहे हंै। जबकि घरेलू टैक्स तो नाममात्र है। ऐसे में इन पर शिकंजा न कसके निगम अपना आर्थिक नुकसान भी कर रहा है।
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ये भी जानें
- 19 जुलाई 2019 को अवैध पीजी पर शिकंजा कसने के लिए नगर निगम हाउस की बैठक में नियम बना।
- 26 दिसंबर 2019 को अवैध पीजी पर कार्रवाई के लिए आदेश हुए।
- 87 पीजी पर कार्रवाई की तैयारी की लेकिन 13 के ही मालिकों के मिले नाम और भेजे नोटिस।
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शहर में नियमों को अनदेखा कर चल रहे पीजी पर निगम टीम कार्रवाई करेगी। इसके संबंध में स्टाफ को दिशा निर्देश दिए गए हैं।
- जेके अभीर, कमिश्नर, नगर निगम हिसार।