आर्थिक आधार पर सामान्य श्रेणी को दस फीसद आरक्षण देने के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट दायर
इस याचिका पर बुधवार को जस्टिस आरके जैन व जस्टिस हरनरेश सिंह गिल की खंडपीठ ने केंद्र व हरियाणा सरकार को 13 मार्च के लिए नोटिस जारी किया गया है।
हिसार, जेएनएन। केंद्र सरकार द्वारा हाल में ही आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को दस फीसद आरक्षण देने के फैसले को हिसार के एक शख्स ने चुनौती दी है। फैसले को असंवैधानिक बताते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हिसार के आजाद नगर निवासी राकेश डूंडाडा की ओर से एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल व एडवोकेट एसके वर्मा द्वारा आरक्षण पर रोक के लिए रिट दायर की गई है। इस याचिका पर बुधवार को जस्टिस आरके जैन व जस्टिस हरनरेश सिंह गिल की खंडपीठ ने केंद्र व हरियाणा सरकार को 13 मार्च के लिए नोटिस जारी किया गया है।
एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने जो दस फीसदी आरक्षण दिया है, उसे इस वर्ग के लिए शैक्षणिक व प्राइवेट संस्थानों में भी लागू किया गया है, जबकि आज तक भी अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग को प्राइवेट संस्थानों में आरक्षण नहीं दिया जा रहा है। यह संशोधन गैर कानूनी है, क्योंकि भारतीय संविधान की प्रस्तावना को भारतीय संविधान की आत्मा कहा जाता है, जिसके साथ कोई भी छेडख़ानी नहीं कर सकता। इसलिए अनुच्छेद 15(6) व 16(6) के परिणाम में यह कानून की नजरों में टिक नहीं पाएगा। पहले भी ऐसे संशोधन किए गए थे, जो टिक नहीं पाए थे।
एडवोकेट खोवाल ने कहा कि राकेश डूंडाडा की तरफ से दायर की गई की गई रिट में कहा गया है कि अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग न केवल आर्थिक रूप से कमजोर हैं, बल्कि अछूत, आदिवासी, सामाजिक व शैक्षणिक रूप से भी पिछड़े हुए हैं। ऐसे में सामान्य वर्ग को दस फीसद आरक्षण देना गलत है।