यहां तीन माह में उजड़ गए तीन परिवार, रखवाले ही बने मासूमों के कातिल
रोहतक जिले में बीते तीन महीने में सामने आए ऐसे ही तीन केस सोचने पर मजबूर करने वाले हैं। कहीं कर्ज और अंधविश्वास तो कहीं पति-पत्नी के बीच कलह में परिवार के परिवार खत्म हो रहे हैं
रोहतक [विनीत तोमर] कोई दूसरा किसी को मार दे, ऐसे किस्से सुनने को आमतौर पर मिलते हैं। मगर जब कोई अपना ही अपनों की जान का दुश्मन बन जाए तो क्या हो। रोहतक जिले में बीते तीन महीने में सामने आए ऐसे ही तीन केस सोचने पर मजबूर करने वाले हैं। कहीं कर्ज और अंधविश्वास तो कहीं पति-पत्नी के बीच होने वाली कलह में परिवार के परिवार खत्म हो रहे हैं। परिवार के मुखिया ने ना केवल खुद का खत्म किया, बल्कि अपने मासूम बच्चों को भी मौत की नींद सुला दिया। जनवरी में बहुअकबरपुर, मार्च में सुंडाना और अब महम कस्बे में हुई इस दर्दनाक घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है।
केस : 1
सुंडाना
पिछले माह 28 मार्च को कलानौर थाना क्षेत्र के सुंडाना गांव में 42 वर्षीय बिजेंद्र उर्फ नाहना ने अपनी 35 वर्षीय पत्नी सुनीता और दस साल के बेटे दीपांशु की कस्सी से काटकर हत्या कर दी थी। वहीं 12 वर्षीय बेटी जाह्नवी का शव भी मकान से सटे खेत में खून से लथपथ पड़ा मिला था। पत्नी और दो मासूमों की हत्या करने के बाद बिजेंद्र ने खुद भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मृतक के पास से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था, जिसमें इस दर्दनाक घटना का कारण कर्ज और अंधविश्वास बताया गया था। यह मामला भी काफी सुर्खियों में रहा था।
केस : 2
सात जनवरी को बहुअकबरपुर गांव में 30 वर्षीय संदीप, उसकी पत्नी ममता, पांच वर्षीय बेटी अन्नू और दो साल के बेटे गौरव का शव घर में ही पड़ा मिला था। इसमें सामने आया था कि ममता और दोनों बच्चों का गला घोंटा गया था, जबकि उनकी हत्या के बाद संदीप ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। ग्रामीणों का कहना था कि दंपती के बीच आपस में विवाद रहता था। परेशान होकर ही यह कदम उठाया है। यह मामला सदर थाने में दर्ज हुआ था।
केस : 3
उधर, महम में जहर निगलने से बलवान और उसके दो बेटे की मौत के मामले में भी पारिवारिक कलह सामने आई है। मृतका की बहन ने आरोप लगाया है कि पत्नी से परेशान होकर ही उसने बलवान ने खुद और बेटों को जहर दे दिया है। वहीं पत्नी पर कई संगीन आरोप भी लगाए हैं। इस प्रकरण में भी पुलिस ने पत्नी, साली और सास के खिलाफ केस दर्ज किया है।
यह बोले मनोवैज्ञानिक
एमडीयू काउंसलर व मनोवैज्ञानिक प्रो. प्रोमिला बतरा ने बताया अक्सर ऐसी घटनाएं तभी होती र्हं जब व्यक्ति का विश्वास टूटता है। उसे यह विश्वास नहीं होता कि मेरे बाद मेरा परिवार सुरक्षित रहेगा। इसीलिए वह ऐसा कदम उठाता है। कई बार मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से भी परेशान व्यक्ति को ऐसा आइडिया मिल जाता है। पारिवारिक कलह के कारण जब कोई व्यक्ति यह कदम उठाता है तो उससे पहले उसके हावभाव से पता चल सकता है, लेकिन परिवार के लोग अक्सर उसे अनदेखा कर देते हैं। ऐसे व्यक्ति की काउंसिङ्क्षलग होनी चाहिए। उसे लाइफ स्किल व सोशल स्किल के बारे में बताया जाना चाहिए।