हाईटेक रेलवे में बिन कोच गाइडेंस भटक रहे यात्री
हिसार रेलवे स्टेशन पर हैं छह प्लेटफार्म
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हिसार रेलवे स्टेशन पर हैं छह प्लेटफार्म
सिर्फ प्लेटफार्म नंबर एक और तीन पर ही कोच गाइडेंस सिस्टम ज्ञानदीप पाण्डेय, हिसार
रेलवे को हाईटेक बनाने का दावा किया जा रहा है। ट्रेनों की समय सारिणी से लेकर छोटी-छोटी व्यवस्थाओं को डिजिटलाइज किया जा रहा है। सरकार की कवायद है कि रेल से जुड़ी पूरी जानकारी लोगों को एक क्लिक पर मिल सके। इसके बावजूद हिसार रेलवे स्टेशन पर पर्याप्त मात्रा में कोच गाइडेंस सिस्टम न होने के कारण यात्रियों को अपनी सीट तक पहुंचने में परेशानी होती है। कई बार लोग यात्रा भी नहीं कर पाते। यहां प्लेटफार्म नंबर एक और तीन पर ही कोच गाइडेंस सिस्टम है। शेष चार प्लेटफार्म पर अभी यह सुविधा नहीं है। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि इस पर काम चल रहा है।
दो प्लेटफार्म पर लगे हैं 50 कोच गाइडेंस
प्लेटफार्म पर यात्रियों को अपने कोच का स्थान पता लग सके इसके हिसाब से यह सिस्टम लगाए जाते हैं। अभी प्लेटफार्म नंबर एक पर 24 और प्लेटफार्म नंबर तीन पर 26 कोच गाइडेंस लगे हैं। ऐसे में दोनों प्लेटफार्म की बात करें तो कुल 50 कोच गाइडेंस ही लगे हैं, जबकि हिसार जंक्शन पर छह प्लेटफार्म है और सभी से ट्रेनों का पर्याप्त ट्रेनों का आवागमन होता है।
60 से अधिक ट्रेनों का होता है हिसार से आवागमन
हिसार जंक्शन के अलग-अलग प्लेटफार्म से करीब 60 से अधिक पैसेंजर, सुपरफास्ट और मेल एक्सप्रेस ट्रेनों को आवागमन होता है। कोच गाइडेंस न होने के कारण यात्री परेशान होते हैं। प्लेटफार्म नंबर एक से 17 और तीन से होकर महज 9 ट्रेन ही जातीं हैं। शेष ट्रेन अन्य प्लेटफार्म से जातीं हैं।
ऐसे समझें कोच गाइडेंस की जरूरत
प्लेटफार्म पर कोच गाइडेंस होने से यात्रियों को अपने कोच के स्थान का पता आसानी से चल जाता है। सिस्टम के न होने पर कई बार कोच ढूंढने के लिए पूरी ट्रेन के चक्कर लगाने पड़ जाते हैं। एक कोच की लंबाई करीब 23 मीटर होती है और ट्रेन में अधिकतम 24 तक लगाए जा सकते हैं। कोच गाइडेंस न होने से यात्री को आगे से पीछे तक आने में करीब 552 मीटर दूरी तय करनी पड़ती है।
यह भी जानें
कोच गाइडेंस सिस्टम एक ऐसी डिवाइस है जिसके माध्यम से रेल यात्रियों को प्लेटफार्म पर आने वाली ट्रेन के डिब्बों के स्थान का पता चलता है। यह प्लेटफार्म पर यात्रियों की सुविधा के लिए लगाए जाते हैं। इसमें लगी एलईडी बोर्ड में कोच नंबर डिस्पले होता है। इससे यात्रियों को ट्रेन आने से पहले ही उनके कोच का पता चल जाता है।