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चार साल के बच्चे का ऐसा क्या गुनाह, माता-पिता ने ठुकरा दिया, 10 दिन बाद पहुंचे दादा तो निकले आंसू

रोहतक का मामला। बच्चा कोरोना संक्रमित था। मां-बाप पीजीआइ में छोड़ गए। पता भी गलत लिखवाया। पुलिस फिंगरप्रिंट से बच्चे के परिवार तक पहुंची। माता-पिता का दिल अब भी नहीं पसीजा। 10 दिन बाद बच्चे के दादा उसे मिलने पहुंचे। पोते को देख भावुक हो उठे।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 01:48 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 01:48 PM (IST)
चार साल के बच्चे का ऐसा क्या गुनाह, माता-पिता ने ठुकरा दिया, 10 दिन बाद पहुंचे दादा तो निकले आंसू
रोहतक पीजीआइ में चार वर्षीय मनीष से मिलने पहुंचे उसके दादा।

रोहतक, जेएनएन। रोहतक पीजीआइ वार्ड-14 में भर्ती चार वर्षीय मनीष को फादर्स डे का इल्म नहीं है। इस दिन की अहमियत नहीं मालूम, वह तो यह भी नहीं समझता कि किस गलती पर माता-पिता छोड़ गए। अस्पताल की एक इमारत से दूसरी इमारत में शिफ्ट होते-होते शायद माता-पिता से मिलने की आस ही खत्म हो गई थी। लेकिन, फादर्स डे चिकित्सकों ने बच्चे को खास तोहफा दिया गया। 10 दिन में पहली बार परिवार के किसी सदस्य से मिलकर खुशी से रो पड़ा। मां-बाप का दिल तो अब भी नहीं पिघला। दादा अपने पोते के लिए अस्पताल पहुंचे हैं। दादा ने रुआसी आवाज में पूछा घर चलें तो, मासूम ने हां में सर हिला दिया।

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बच्चे के स्वजनों का पता लगाने के लिए डीएमएस डा. महेश माहला ने उसके फिंगर प्रिंट्स लिए। बच्चे के आधार कार्ड नंबर से बिहार के एक गांव का एड्रेस ट्रेस हुआ। उक्त गांव से जानकारी मिली की बच्चे के स्वजन खरखौदा के एक ईंट-भट्टे पर काम करते हैं। सोनीपत पुलिस की मदद से बच्चे के दादा से संपर्क किया गया। मनीष के दादा के साथ आए व्यक्ति ने बताया कि रविवार दोपहर 12 बजे बच्चे की सूचना मिली। इसके बाद उन्हें यहां लाया गया है। बता दें कि मनीष को उसके माता-पिता ट्रामा सेंटर में भर्ती कराकर 10 जून की रात से गायब हैं। तभी से पहले ट्रामा सेंटर और बाद में पीडियाट्रिक विभाग के वार्ड-14 में चिकित्सकों व अन्य हेल्थ केयर वर्कर्स बच्चे के इलाज के साथ ही उसकी देखरेख कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण की वजह से मनीष के माता-पिता उसे छोड़कर चले गए। पीजीआइ पुलिस ने भी बच्चे के दादा से पूछताछ की। बच्चे के माता-पिता से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है।

बिहार के नवादा निवासी हैं बच्चे के माता-पिता

रविवार को शाम करीब सवा चार बजे बच्चे के दादा कन्हैया मांझी व एक अन्य व्यक्ति अस्पताल पहुंचें। यहां बीमार पोते को बेसहारा पाकर दादा भावुक हो गए। पोते ने भी उन्हें पहचान लिया। दादा ने बताया कि बच्चे के माता-पिता बिहार के नवादा स्थित गांव जा चुके हैं। पोते के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई थी। दादा ने बच्चे के पिता का नाम दीपक व माता का नाम धनवंती बताया।

यह था पूरा मामला 

मनीष को सांस लेने में तकलीफ होने पर तीन जून को शाम तीन बजे के करीब माता-पिता पीजीआइ इमरजेंसी लेकर पहुंचे थे। कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने पर माड्यूलर कांप्लेक्स में बच्चे को भर्ती किया गया।। 10 जून को माड्यलूर कांप्लेक्स से ट्रामा सेंटर शिफ्ट किया। माता-पिता दोपहर करीब एक बजे मनीष को ट्रामा सेंटर लेकर आए। यहां भर्ती कराते हुए सोनीपत के मंडौरा गांव का पता दिया, मोबाइल नंबर नहीं बताया। 10 जून की रात से माता-पिता अस्पताल नहीं पहुंचे। नियमों के 24 घंटे के इंतजार के बाद अस्पताल की ओर से पीजीआइ थाना पुलिस को शिकायत दी गई।

मंडौरा गांव का दिया था फर्जी पता

पीजीआइ थाना पुलिस ने खरखौदा पुलिस से संपर्क किया। खरखौदा पुलिस ने सरपंच की मदद से मंडौरा गांव में बच्चे के माता-पिता की तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं लग सका। कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आने पर 18 जून को दोपहर करीब 12 बजे बच्चे को वार्ड-14 में शिफ्ट कर दिया गया। 20 जून को शाम करीब सवा चार बजे बच्चे के दादा अस्पताल पहुंचे।

हालत सुधरने पर की जाएगी काउंसिलिंग

डीएमएस पीजीआइ रोहतक डा. महेश माहला ने कहा कि बच्चे और उसके दादा ने एक-दूसरे को पहचान लिया है। बच्चे की तबियत में सुधार है। बच्चे के स्वास्थ्य सुधार के बाद बच्चे और दादा की काउंसिलिंग की जाएगी। इसके बाद ही बच्चे को स्वजनों को सौंपा जाएगा। हमने बच्चे के फिंगर प्रिंट से उसके स्वजनों का एड्रेस ट्रेस किया था। बच्चे के दादा से संपर्क करने में सोनीपत पुलिस ने हमारी काफी मदद की।

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