Move to Jagran APP

Parali Problem: किसानों के विरोध के कारण खेतों में कम जा रही कृषि विभाग की टीम, 40 जगह आग लगाने के मामले सामने

कृषि विभाग को लोकेशन मिलने के बाद उन्हें ट्रेस किया जा रहा है। अब तक 40 लोकेशन मिल चुकी है। किसानों को जागरूक किया जा रहा है। हर गांव में कैंप आयोजित किया जा रहा है। किसानों से अपील है कि पराली को जलाये ना।

By Naveen DalalEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 01:43 PM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 01:43 PM (IST)
Parali Problem: किसानों के विरोध के कारण खेतों में कम जा रही कृषि विभाग की टीम, 40 जगह आग लगाने के मामले सामने
रतिया के हुक्कवाली व अलीकां में कृषि विभाग की टीम पहुंची तो उनका घेराव कर लिया

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। हर साल अक्टूबर व नवंबर महीने में जिले की आबोहवा खराब रहती है। जिला प्रशासन की तरफ से किसानों को जागरूक भी किया जाता है, लेकिन इसका असर कुछ ही नजर आता है, हालांकि इस बार पिछले साल की अपेक्षा एयर क्वालिटी अच्छी है। लेकिन दो दिनों से जिस तरह एयर क्वालिटी बिगड़ रही है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले 10 दिनों के अंदर शहर में सांस लेना मुश्किल हो जााएगा। किसान पहले ही विरोध कर रहे है ऐसे में कृषि विभाग के अधिकारी खेतों में जाने से डर रहे है। एक दिन पहले रतिया के हुक्कवाली व अलीकां में कृषि विभाग की टीम पहुंची तो उनका घेराव कर लिया। एसडीएम ने मौके पर पहुंचकर समझाया तो किसान माने। 

loksabha election banner

देर रात को जिले में एक्यूआइ 242 तक पहुंच गया था। लेकिन शनिवार सुबह कुछ कमी अवश्य आई है। शनिवार को 205 एक्यूआइ दर्ज किया गया है। पिछले सात दिनों से लगातार एक्यूआइ बढ़ा है। जैसे-जैसे हवा में नमी बढ़ेगी वैसे ही पराली से निकलने वाला धुआं खतरनाक होता जाएगा। अगर 200 तक एयर क्वालिटी रहती है तो ठीक होती है कोई ज्यादा नुकसान नहीं होता। लेकिन अब जैसे जैसे एयर क्वालिटी बढ़ती जाएगी वैसे ही सांस लेना मुश्किल हो जाएगा। 

जिले में 40 जगह मिली फायर लोकेशन

किसान अगर खेतों में पराली जला रहे है तो हरसेक कृषि विभाग को लोकेशन भेज रहा है। उसके बाद कृषि अधिकारियों को इन लोकेशन को ट्रेस कर किसानों पर जुर्माना करना होता है। पिछले साल करीब 1200 से अधिक किसानों पर मामला दर्ज किया गया था। लेकिन इस बार केवल जुर्माना लगाया जा रहा है। जिले में 40 जगह लोकेशन मिल चुकी है। शुक्रवार को एक साथ 20 जगह लोकेशन मिली थी। ऐसे में जैसे-जैसे धान की कढ़ाई तेज होगी वैसे ही किसान पराली व फानों में आग लगाएंगे। 

इन आंकड़ों पर डाले नजर

एयर क्वालिटी :  205

पीएम 2.5    : 110

पीएम 10     : 220

पराली जलाने से ये होता है नुकसान 

एक टन धान की पराली जलाने से हवा में तीन किलो ग्राम कार्बन कण, 513 किलो ग्राम कार्बन डाई-आक्साइड, 92 किलो ग्राम कार्बन मोनो-आक्साइड, 3.83 किलोग्राम नाइट्रस-आक्साइड, दो से सात किलो ग्राम मीथेन और 250 किलो ग्राम राख घुल जाती है। धुएं से आंखों में जलन एवं सांस लेने में दिक्कत होती है। प्रदूषित कणों के कारण खांसी, अस्थमा जैसी बीमारियों को बढ़ावा मिलता है। प्रदूषित वायु के कारण फेफड़ों में सूजन, संक्रमण, निमोनिया एवं दिल की बीमारियों सहित अन्य कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

अब जाने एक्यूआइ बढ़ने से क्या होता है नुकसान 

0 से 50 के बीच एक्यूआई अच्छा माना जाता है

51 और 100 के बीच रहने पर हवा संतोषजनक मानी जाती है।

101 और 200 के बीच मध्यम श्रेणी का।

201 और 300 के बीच खराब।

301 और 400 के बीच बेहद खराब। 

401 से 500 के बीच एक्यूआई गंभीर माना जाता है। 

ये रखे सावधानियां 

-इस मौसम में हर किसी को मास्क का प्रयोग करना चाहिए।

-आंखों पर चश्मा अवश्य लगाये।

-अगर आंखें खराब है तो घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।

-घर की सभी खिड़कियां बंद रखनी चाहिए।

-छोटे बच्चों को दूषित हवा से बचाना चाहिए।

-दमा राेगियों को दवा अपने पास रखनी चाहिए। 

-दमा रोगी धूप निकलने के बाद ही घर से बाहर निकले।

पराली जलाने पर ये लगेगा जुर्माना

जिला में यदि कोई किसान पराली जलाता हुआ पाया जाता है तो वह पर्यावरण के नुकसान की भरपाई देने के लिए उत्तरदायी होगा। जिसके तहत दो एकड़ भूमि तक 2500 रुपये प्रति घटना, दो से पांच एकड़ भूमि तक 5000 रुपये प्रति घटना व पांच एकड़ से ज्यादा भूमि पर 15000 रुपये प्रति घटना जुर्माना देना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त जिला में धान के अवशेष फाने जलाने पर धारा 144 लगाई हुई है। जिसके तहत अवशेष जलाने पर पूर्णतया प्रतिबंध है। अगर फिर भी कोई व्यक्ति इन आदेशों की उल्लंघना करता पाया जाता है तो उसके विरूद्ध धारा 188-बी तथा वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत एफआईआर दर्ज करवाए जाने का भी प्रावधान है।

फतेहाबाद के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. राजेश सिहाग के अनुसार

कृषि विभाग को लोकेशन मिलने के बाद उन्हें ट्रेस किया जा रहा है। अब तक 40 लोकेशन मिल चुकी है। किसानों को जागरूक किया जा रहा है। हर गांव में कैंप आयोजित किया जा रहा है। किसानों से अपील है कि पराली को जलाये ना। अगर ऐसा करेंगे तो हम प्रदूषण को काफी हद तक रोक पाएंगे। पिछले साल की अपेक्षा इस बार अभी तक आगजनी की घटनाएं कम है।

फतेहाबाद के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. विनोद शर्मा के अनुसार

पिछले दो दिनों से जिले की हवा खराब हुई है। इस कारण आंखों में जलन अधिक हो रही है। बाहर निकलते समय आंखों को ठंडे पानी से धोना चाहिए और चश्में का प्रयोग करना चाहिए। अगर फिर भी आराम नहीं मिल रहा है तो चिकित्सक को दिखाना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.