यहां तो पढ़ी-लिखी पंचायतों को भी गांव में जाम छलकाने पर नहीं एतराज, जानें क्या है मामला
अगर किसी गांव की पंचायत न चाहे तो गांव में शराब का ठेका नहीं खोला जा सकता, मगर फतेहाबाद जिले की 257 पंचायतों में से अभी तक एक भी पंचायत ने ठेका नहीं खोलने का प्रस्ताव नहीं भेजा
फतेहाबाद [राजेश भादू] जो प्रदेश दूध दही के खाने के लिए प्रचलित था वही हरियाणा अब नशे की गिरफ्त में फंसता जा रहा है। पंजाब की सीमा से सटे फतेहाबाद जिले में अशिक्षा और इससे उपजी बेरोजगारी ने पूरे जिले को नशा और नशे के कारोबार जैसी घृणित प्रवृत्ति की चपेट में ले लिया है। मगर हैरत की बात ये है कि पंचायती राज भी शराब की लत छुड़ाने को लेकर कतई संजीदा नहीं है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि ये तो आबकारी विभाग से मिले आंकड़े दर्शा रहे हैं। दरअसल आबकारी विभाग ने नियमानुसार व्यवस्था दी है कि जो पंचायत अपने गांव में शराब का ठेका नहीं चाहती, 20 दिसंबर तक प्रस्ताव भेज दे। लेकिन अब तक किसी ने अपने गांव में शराब का ठेका बंद करवाने अथवा नहीं खुलवाने का प्रस्ताव ही नहीं भेजा। मतलब साफ है कि यहां हर गांव की पंचायत शराब के ठेके पर मौन स्वीकृति दे रही है।
ऐसा तब है जबकि आबकारी विभाग ने इस बार पंचायतों को प्रस्ताव भेजने के लिए तकरीबन एक माह का अतिरिक्त समय भी दिया है। आमतौर पर ये प्रस्ताव प्रत्येक वर्ष 30 नवंबर तक मांगे जाते हैं। हालांकि पिछले प्लान में जिले की 257 पंचायतों में से सिर्फ गदली व भूथनखुर्द की पंचायत ने गांव में ठेका बंद करने के लिए प्रस्ताव भेजे थे। अधिकारियों का भी कहना है कि पहले पंचायतें बड़ी संख्या में प्रस्ताव भेजती थीं, लेकिन अब इनकी संख्या शून्य होकर रह गई है।
शराब से पंचायतों को होती है आय
जिन गांवों में शराब के ठेके हैं, उन गांवों में आबकारी विभाग पंचायतों को आर्थिक सहायता देती है। ग्राम पंचायतों को एक बीयर पर 3 रुपये, देशी शराब पर 5 रुपये व अंग्रेजी पर 7 रुपये की आय होती है। ऐसे में एक पंचायत को लाखों रुपये आय अकेले शराब के ठेके से हो जाती है। कराधान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये की ग्रांट पंचायती राज संस्थाओं को देती है। यह ग्रांट शराब से ठेके से हुई आय पर आधारित होती है।
सरकार को सबसे अधिक राजस्व शराब के ठेके से
प्रदेश सरकार को अब फतेहाबाद जिले से सबसे अधिक राजस्व शराब के ठेकों की नीलामी से होता है। इस वित्त वर्ष में जिले के 96 शराब के ठेकों की नीलामी से 68 करोड़ रुपये का राजस्व सरकार को मिला। पहले सबसे अधिक राजस्व खाद्यानों पर लगने वाले वैट से मिलता था। वैट के दौरान फतेहाबाद से 120 करोड़ रुपये से अधिक टैक्स सरकार को मिलता था। लेकिन जीएसटी में खाद्यान टैक्स फ्री हो गए हैं।
अवैध शराब बेचने के 840 से अधिक मामले आ चुके हैं सामने
जिले में अवैध शराब बेचने के मामले भी बड़ी संख्या में आए हैं। आबकारी एवं कराधान विभाग के अनुसार अब तक 840 मामले पकड़े गए हैं। पुलिस व आबकारी विभाग के अधिकारियों ने 78 हजार से अधिक शराब की बोतलें पकड़ी हैं।
आगामी वित्त वर्ष 2019-20 के लिए एक भी पंचायत ने शराब ठेका बंद करवाने के लिए प्रस्ताव नहीं भेजा। यदि कोई पंचायत अपने गांव में शराब ठेका नहीं खुलवाने देना चाहती वे पंचायतें 20 दिसंबर से पहले प्रस्ताव भेज दे। यदि उनके गांव में अवैध तरीके से शराब बेचने के मामला इस वर्ष नहीं आया है तो उनके गांव में शराब का ठेका नहीं खोला जाएगा।
- डा. वीके शास्त्री, उपायुक्त, आबकारी एवं कराधान विभाग।