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Organic Farming: आर्गेंनिक खेती की मिसाल बने चरखी दादरी के किसान सूर्यप्रकाश, खेती में इस तकनीक का करते हैं इस्तेमाल

चरखी दादरी के युवा किसान सूर्यप्रकाश फसल सिंचाई के लिए ड्रिप व स्प्रिंकलर सिस्टम से पानी की एक एक बूंद बचा कर एक जागरूक किसान होने का परिचय दे रहे हैं। साथ ही केंचुआ खाद व देशी खाद तैयार कर आर्गेंनिक खेती को बढ़ावा रहे हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 07:05 AM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 07:05 AM (IST)
Organic Farming: आर्गेंनिक खेती की मिसाल बने चरखी दादरी के किसान सूर्यप्रकाश, खेती में इस तकनीक का करते हैं इस्तेमाल
बाढड़ा : अपने खेत में की गई आर्गेनिक खेती की जानकारी देता किसान सूर्यप्रकाश।

पवन शर्मा, बाढड़ा(चरखी दादरी)। गांव काकड़ौली हट्ठी निवासी युवा किसान सूर्यप्रकाश फसल सिंचाई के लिए ड्रिप व स्प्रिंकलर सिस्टम से एक एक बूंद बचा कर एक जागरूक किसान होने का परिचय दे रहे हैं। रोजगार के बजाय अपने 10 एकड़ खेती में आधुनिक सिंचाई व्यवस्था अपना कर जल बचाओ अभियान को कामयाब करने में जुटे हैं। केंचुआ खाद व देशी खाद तैयार कर आर्गेंनिक खेती को बढ़ावा रहे हैं। सूर्यप्रकाश श्योराण ने बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सरकारी नौकरी करने के बजाय खेतीबाड़ी के सहारे ही आजीविका चलाने का निर्णय लिया। उन्होंने महंगे खाद बीज के बजाय अपने खेत में ही कृषि के साथ पशुपालन डेयरी आरंभ की और गोबर से केंचुआ खाद बनानी शुरू की। उनके देशी खाद से तैयार गेहूं, बाजरा जैसी फसलें और प्याज, टमाटर इत्यादि सब्जियों के उन्हें मन माफिक दाम मिलने लगे। रेतीले टीले में पहले जहां केवल खरपतवार ही मिलती थी वहां अब अच्छी किस्म के टमाटर का उत्पादन होने के बाद पेड़ पौधाें को भी जल्दी जल्दी सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता ज्यादा महसूस होने लगी।

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ड्रिप सिस्टम से सीधे पौधे की जड़ों तक पहुंचता है पानी

युवा किसान सूर्यप्रकाश ने केंद्र व प्रदेश सरकार के जल बचाओ मिशन के तहत ड्रिप सिस्टम को अपनाना और देखते ही देखते पानी सीधे पौधे की जड़ में पहुंचने लगा। कल तक सामान्य जीवन यापन करने वाला किसान आज ट्रैक्टर, बड़ी व छोटी मशीनों समेत सभी आधुनिक सुविधाएं प्रयोग कर समृद्ध किसानों में शामिल है। किसान सूर्यप्रकाश ने बताया कि किसान ज्यादा उत्पादन के लालच में भारी मात्रा में रासायनिक दवाएं, खादों का प्रयोग कर अपना ही भविष्य खराब कर रहा है।यही हालात रहे तो हम आने वाली पीढ़ियों के लिए जहर युक्त भूमि छोड़कर जाएंगे। किसान अगर मामूली जागरूकता से देशी खाद व ड्रिप सिस्टम से सिंचाई करे तो अपने ही खेत में उत्पादित अनाज महंगे भाव पर बेच सकता है। शहरों के लोग गांव में आकर सबसे पहले गेहूं, बाजरा, चने जैसे अनाज व प्याज टमाटर इत्यादि सब्जियों की खरीद करते हैं। युवाओं को रोजगार मिलने, उस पर ही निर्भर रहने या न मिलने पर उदासीन जिंदगी जीने के बजाय अपने आसपास ही स्वरोजगार की व्यवस्था करनी चाहिए।

कृषि क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं

दादरी कृषि विशेषज्ञ अधिकारी डा. चंद्रभान श्योराण ने कहा कि कृषि मानव जीवन के लिए अकेले जीवन यापन नहीं बल्कि विकास का आधार भी है। हमें कृषि को ज्यादा रासायनिक खादों पर निर्भर रखने के बजाय देशी व केंचुआ खाद का प्रयोग कर उत्पादन बढ़ाना चाहिए। इसके अलावा हमें परंपरागत फसलों के अलावा प्याज, टमाटर, गोभी, खीरा, ककड़ी, आंवला, माल्टा, किन्नू का भी उत्पादन करना चाहिए। किसान सूर्यप्रकाश जैसे कई युवा किसान ड्रिप सिस्टम व देश खाद का खेतों में प्रयोग कर बेहतर उत्पादन ले रहे हैं। 


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