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भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष बनते ही नई नीति पर चले ओपी धनखड़, रोहतक में हो रहा मंथन

भाजपा नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने संगठन की मजबूती के लिए जमीन पर उतरकर रफ्तार तेज कर दी है। शुक्रवार को प्रदेश के पदाधिकारी व जिला प्रभारियों के साथ विचार-विमर्श किया

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 01:28 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 01:28 PM (IST)
भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष बनते ही नई नीति पर चले ओपी धनखड़, रोहतक में हो रहा मंथन
भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष बनते ही नई नीति पर चले ओपी धनखड़, रोहतक में हो रहा मंथन

रोहतक, जेएनएन। भाजपा के नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने संगठन की मजबूती के लिए जमीन पर उतरकर रफ्तार तेज कर दी है। वीरवार को जिला अध्यक्षों के साथ मशविरा करने के बाद शुक्रवार को प्रदेश के पदाधिकारी व जिला प्रभारियों के साथ विचार-विमर्श किया। हिसार रोड स्थित निजी बैंकट हॉल में प्रदेशाध्यक्ष पहुंचे, जहां उनका पदाधिकारियों ने स्वागत किया। बैठक में संगठन महामंत्री सुरेश भट्ट के अलावा प्रदेश महामंत्री भी मौजूद थे।

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प्रदेशाध्यक्ष धनखड़ रोहतक आने से पहले दिल्ली में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकड़ी और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत से मुलाकात करने पहुंचे। राव इंद्रजीत से उनकी मुलाकात सबको साथ लेकर चलने की रणनीति से जोड़कर देखा जा सकता है। बता दें कि राव इंद्रजीत को प्रदेश संगठन की बैठकों में कम ही देखा जाता रहा है। लेकिन धनखड़ ने प्रदेशाध्यक्षता की कमान संभालने के बाद राव इंद्रजीत से मुलाकात करके यह दिखा कि वे संगठन को मजबूत करने के लिए सबको साथ लेकर चलेंगे।

अपनी नई टीम को लेकर भी ले रहे सुझाव प्रदेशाध्यक्ष धनखड़ प्रदेश में नई टीम को लेकर पुराने पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं से भी सुझाव मांग रहे हैं। साथ ही उन्होंने अपनी नई ईमेल आइडी भी तैयार करके कार्यकर्ताओं से सुझाव भेजने का आह्वान किया है। हर जिला में प्रवास की रणनीति है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते फिलहाल

रोहतक में लगातार दो दिन से पदाधिकारियों व जिला अध्यक्षों के साथ मंथन कर रहे हैं।

इसके दाे दिन पहले भाजपा कार्यलय के उद्घाटन के दौरान हिसार में पहुंचे ओपी धनखड़ उन नजदीकी कार्यकर्ताओं के यहां भी गए जो उनसे रूठे हुए थे। ऐसे में तब भी यही बात चली थी कि  ओपी धनखड़ अब सबको साथ लेकर चलने की नीति पर चल रहे हैं। विधानसभा चुनावों में हार के बाद भी यही बात सामने आई थी कि उन्‍होंने पांच साल कार्यकर्ताओं से दूरी बनाकर रखी तो उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा, मगर लगता है कि इस बार वे इस गलती को दोहराना नहीं चाहते हैं।


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