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सांप्रदायिकता के मुंह पर तमाचा, एक ऐसा गांव जहां एक ही जगह मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा

ग्रामीणों की सोच धर्म और जाति से उपर उठ चुकी है। मंदिर मस्जिद और गुरुद्वारा एक ही जगह है बना लोगों ने भाईचारे का उदाहरण दिया है। इमारतों के नाम भी देशभक्‍तों के नाम पर रखे गए हैं।

By manoj kumarEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 12:06 PM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 08:28 AM (IST)
सांप्रदायिकता के मुंह पर तमाचा, एक ऐसा गांव जहां एक ही जगह मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा
सांप्रदायिकता के मुंह पर तमाचा, एक ऐसा गांव जहां एक ही जगह मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा

हिसार, जेएनएन। देश में बहुत सी ताकतें सांप्रदायिक रंग देकर देश को बांटने की जुगत में लगी रहती हैं। मगर कुछ लाेग ऐसे भी हैं जिनके लिए देशप्रेम सबसे महत्‍वपूर्ण है, ना कि धर्म और जाति। हरियाणा के भिवानी जिले में भी एक ऐसा ही गांव हैं जहां मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा एक ही जगह है। इतना ही नहीं गांव में इमारतों के नाम भी देशभक्‍तों के नाम पर रखे गए हैं। करीब 20 हजार की आबादी वाले भिवानी जिले के गांव बड़सी को सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है। 11वीं शताब्दी से पूर्व बसे इस गांव में देशभक्ति की मशाल भी अपना प्रकाश फैला रही है।

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इस गांव का नाम पहले बारसी था, लेकिन पूरे क्षेत्र में भाईचारे के लिए प्रसिद्ध होने के कारण इसका नाम बदलकर बड़सी रखा गया। हरियाणवी की बात करें तो ‘बड़सी’ का अर्थ सामूहिक रूप से आपस में सहयोग करना ही बड़सी कहलाता है। पहले लोगों का मुख्य धंधा खेती था, इसलिए फसल कटाई के दौरान बड़सी की जाती थी यानी उस कार्य में कई लोग इकट्ठा होकर एक-दूसरे का सहयोग करते थे। यहीं से गांव का नाम पड़ा बड़सी। राजस्थान से आए दलाल व भुमला गौत्र के लोगों ने इस गांव को बसाया था।

भैया चौक में लिए जाते हैं फैसले

गांव में दो पंचायतें हैं। एक पंचायत को बड़सी जाटान व दूसरी को बड़सी गुजरान के नाम से जाना जाता है। गांव के दोनों क्षेत्रों के बीच स्थित भैया चौक और पंजाबी चौक इस गांव की  शान हैं। भैया चौक में जहां दोनों गांवों के लोग सामूहिम रूप से फैसला लेते हैं, वहीं पंजाबी चौक में चहारदीवारी के अंदर एक ही जगह पर मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा हैं। यहां पर हर कोई आशीर्वाद लेने पहुंचता है।

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के नाम से हैं तीन पार्क

गांव में तीन पार्क हैं, जो  शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के नाम से हैं। इन पार्कों का नाम ही देशभक्ति का जज्बा पैदा करता है। इसके अलावा युवा पीढ़ी के लिए खेलने के लिए सुभाष चंद्र बोस स्टेडियम बना हुआ है।

नहीं भूलते सेवा और आतिथ्य भाव

गांव निवासी सुनील कुमार, उमेद कपूरिया, पूर्व सरपंच जोगीराम, प्रताप गुर्जर ने बताया कि गांव का इतिहास साथ लगते कस्बा हांसी से भी जुड़ा हुआ है, जो गांव से आठ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। हांसी में चार मुख्य गेट हैं, जिनमें एक बड़सी गेट भी है। गांव में जब भी कोई सार्वजनिक कार्यक्रम होता है तो भैया चौक में दोनों तरफ के ग्रमीण जुटते हैं। चुनावों में नेताओं के आने के समय भी यहीं सब एकत्रित होते हैं। उन्होंने बताया कि  चुनाव चाहे कोई भी हो, यहां के लोग राजनीति को दूर रखकर चुनाव में ड्यूटी लगे कर्मियों की खूब खातिरदारी करते हैं और साझे रूप से खर्च उठाते हैं।

पूर्व राष्‍ट्रपति से हो चुके हैं ग्रामीण सम्‍मानित

गांव के कैप्टन बलवान सिंह ओला सेना में अपने बेहतर कार्यों के लिए पर्वू राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से सम्मानित हो चुके हैं। गांव के स्व. तुलसी राम, स्व. उदमी राम प्रधान, प्यारा सिंह गुर्जर आजाद हिंद फौज के जवान रह चुके हैं। बड़सी जाटान के सरपंच फतेह सिंह और बड़सी गुजरान की सरपंच सुनीता देवी का कहना है कि शुरू से ही यह गांव पूरे क्षेत्र में भाईचारे का प्रतीक रहा है। भैया चौक और पंजाबी चौक भी बड़सी गांव के लोगों में सद्भावना भरने में  भी अहम हैं।


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