रोहतक में बैंक पालिसी किश्त के नाम पर एक लाख 37 हजार की ठगी, जानें पूरा मामला
रोहतक से बैंक बैंक पालिसी किश्त के नाम पर एक लाख 37 हजार की ठगी का मामला सामने आया है। किसान साल 2008 में उसने एचडीएफसी बैंक से इंश्योरेंस पालिसी करवाई थी। जिसमें उसे हर साल 25 हजार रुपये भरने थे।
रोहतक, जागरण संवाददाता। रोहतक के बलियाणा गांव निवासी एक किसान के साथ अज्ञात ने बैंक कर्मचारी बनकर एक लाख 37 हजार रुपये की ठगी की वारदात की है। पीड़ित की शिकायत पर आइएमटी थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। बलियाणा गांव निवासी किसान रणवीर पुत्र प्यारेलाल ने बताया कि वह खेतीबाड़ी करता है। साल 2008 में उसने एचडीएफसी बैंक से इंश्योरेंस पालिसी करवाई थी।
पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरु कर
जिसमें उसे हर साल 25 हजार रुपये भरने थे। तीन साल तक उसने पैसे भरे लेकिन उसके बाद उसने पैसे नहीं भरे। 13 दिसंबर को उसके पास किसी अर्जुन सिंघानिया का फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि आपकी एचडीएफसी पालिसी पूरी हो चुकी है। कंपनी ने यह पैसे शेयर मार्केट में लगा रखे हैं, इनको निकलवाने के लिए आप अपना आधार कार्ड पैन कार्ड और खाता न. भेजो तो उसने अपने वाटसअप से कागजात व खाता संख्या भेज दिया।
पीड़ित एचडीएफसी के कार्यालय पहुंचा
उसकी प्रोसेस उनके बताए अनुसार 17 नवंबर को 15,700 रुपये गूगल पे से भेज दिया। 18 नवंबर को उसने 25 हजार रपये भेजने के लिए कहा। उसके बाद फिर से 25 हजार व 20 हजार रुपये भेजने के लिए कहा गया। इस प्रकार से एक लाख 37,300 जमा करवा दिए। 29 नवंबर को उसके पास फिर से फोन आया कि 28900 रुपये और जमा करवा दो। उसके बाद उसे शक हुआ तो उसने पैसे जमा नहीं करवाए। उसने फोन करने वाले से पैसे वापस करने के लिए कहा तो उसने फोन काट दिया व उसके बाद उसे फोन नहीं उठाया। परेशान होकर वह दिल्ली स्थित एचडीएफसी के कार्यालय पहुंचा, जहां पर अर्जुन सिंघानिया नाम का कोई शख्स नहीं मिला तो उसे ठगी होने का आभास हुआ। उसने पता करवाया तो पैसे जमा होने वाला खाता नोएडा का पाया गया है। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।
जांच अधिकारी के अनुसार
पीड़ित किसान की शिकायत पर आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। आमजन से भी अपील है कि इस प्रकार से ठगों से सावधान रहें। आए दिन लोगों को इस प्रकार से ठगा जा रहा है।
---कुलदीप, एसएचओ, आइएमटी थाना रोहतक।