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हिसार नगर निगम में मेयर समेत अफसरों ने चहेतों को दिलवाई जॉब, खतरे में पुराने कर्मियों की नौकरी

निगम में भर्ती के नाम पर खेल भी ऐसा खेला गया है जिसमें निचली कड़ी से मेयर तक पार्ट बन गए हैं अब पुराने कर्मचारियों के टेस्ट होंगे जिसमें अधिकांश कर्मचारी बाहर होने लगभग तय है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 12 Sep 2019 11:17 AM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 11:17 AM (IST)
हिसार नगर निगम में मेयर समेत अफसरों ने चहेतों को दिलवाई जॉब, खतरे में पुराने कर्मियों की नौकरी
हिसार नगर निगम में मेयर समेत अफसरों ने चहेतों को दिलवाई जॉब, खतरे में पुराने कर्मियों की नौकरी

हिसार, जेएनएन। नगर निगम में भर्ती के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है। ठेके के नाम पर मेयर के चहेतों की एंट्री हुई। वहीं यूनियन प्रधान ने अपने बेटे को भर्ती करवा दिया। सफाई शाखा के अधिकारी ने अपनी भाभी तो किसी ने अपने परिचित को बैक डोर एंट्री करवा दी। निगम में भर्ती के नाम पर खेल भी ऐसा खेला गया है, जिसमें निचली कड़ी से मेयर तक पार्ट बन गए हैं, यानि खेल में सभी अपने हैं। विपक्ष तो छोड़ा ही नहीं, अब बोले कौन। उधर, पुराने कर्मचारियों के टेस्ट होंगे, जिसमें अधिकांश पुराने कर्मचारी बाहर होने लगभग तय हैं।

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कारण है कि उनमें से अधिकांश आज तक अपनी टाइपिंग स्पीड तक दुरुस्त नहीं कर पाए। यानि उनमें भी अधिकांश अयोग्य हैं, जिन्हें विभिन्न कारणों के चलते निगम में एंट्री तो ले ली अब बाहर होंगे। यही नहीं कर्मचारी ठेका भी किसी बाहरी व्यक्ति के पास नहीं बल्कि भाजपा नेता के पास ही है। यानि भर्ती फैक्टरी से लेकर कर्मचारी नियुक्ति तक हर जगह सेटिंग पक्की है। ऐसे में जब अपने चहेते ही नौकरी पर होंगे तो जनता का काम कैसा होगा यह संभावना जताई जा सकती है।

पुराने समय से चल रहा अयोग्य को निगम में एंट्री करवाने का खेल

साल 2017 में पूर्व मेयर शकुंतला राजलीवाला ने निगम में अयोग्य कर्मचारियों की छंटनी के लिए टेस्ट रखा। जीजेयू में बाकायदा कर्मचारियों के टेस्ट भी लिए गए, जिसमें पहले बैच में 35 का टेस्ट हुआ। इसमें मात्र 6 कर्मचारी 15 की टाइपिंग स्पीड क्रॉस कर पाए। जबकि पास होने के लिए न्यूनतम 25 की स्पीड रखी गई। उसमें केवल दो ही पास हुए, जिसमें सर्वाधिक टाइपिंग स्पीड वाला युवक वर्तमान में निगम से बाहर कर दिया है। 35 में से अधिकांश निगम में फेल होने के बाद में एंट्री करवा दी गई। निगम में चर्चाएं रही की इनमें से कई कर्मचारी भाजपा के दो दिग्गज नेताओं की अप्रोच से लेगे थे, लेकिन ये चर्चाएं चर्चाओं तक ही सिमट गई और अयोग्य एंट्र हो गए। अब वर्तमान मेयर के चहेते एंट्री हो रही है। चहेते इसलिए कि उनकी एंट्री किसी पद पर और काम कोई सौंपा। ऐसे में उनकी एंट्री पहले से ही प्री-प्लान थी।

यूनियन प्रधान के बेटे से लेकर अफसर की भाभी तक की हुई एंट्री

नगर निगम में 32 ड्राइवर लिए गए, जिसमें यूनियन प्रधान के बेटे को इनमें लगाया गया। इसके अलावा निगम में स्टाफ की माने तो एक सफाई शाखा अधिकारी ने अपनी भाभी सहित परिवार के सदस्यों को बैक डोर एंट्री करवा दी। सूत्रों की मानें तो वह महम निवासी है। कब डयूटी पर आती हैं, कोई नहीं जानता। इसके अलावा कई और अफसरों व कर्मचारियों के परिचित भी भर्ती किए गए हैं।

मेयर से लेकर यूनियन प्रधान से किए सवालों पर उनके जवाब

सवाल : मेयर गौतम सरदाना : पुराने कर्मचारियों के टेस्ट लिए जा रहे हैं।

जवाब : हां मेरे कहने पर टेस्ट शुरू हुआ था। यह कदम योग्य स्टाफ निगम में काम करे इसके लिए उठाया गया था।

--सवाल : मौजूदा समय में जो भर्ती हुई उसमें कई आपके चहेते हैं।

जवाब : मेरे पास शहर के बहुत से लोग जॉब के लिए आते हैं। उन सबके रिज्यूम ठेकेदार को सौंप दिए जाते हैं। जो योग्य हैं, उन्हीं को ठेकेदार लगाता है। उसमें मेरी कोई अप्रोच रही है, जो योग्य होगा वही लगेगा।

---सवाल : यूनियन प्रधान प्रवीन कुमार : क्या आपका बेटा भी निगम में लगा है?

जवाब : हां, वह ड्राइवर की भर्ती में लगा है। उसका टेस्ट हुआ था।

सवाल : यूनियन प्रधान : किसी अधिकारी की भाभी भी लगी हैं?

जवाब : हां, एक स्वीपर नौकरी छोड़कर चला गया था, उसके स्थान पर लगाई गई हैं।

ये भी जानें : फायरमैन बना अकाउंटेंट, लाइट इंस्पेक्टर संभाल रहा बागवानी

निगम में 5 दमकल कर्मी सालों तक आग बूझाने वाली गाड़ी की पाइप छोड़कर निगम में लिपिक कार्यों की सीटों पर कुंडली मारे बैठे हैं। निगम अफसरों से उनकी सेटिंग ऐसी है कि शिकायत होने के बाद भी उन्हें आज तक दमकल में वापिस नहीं भेजा गया। यहीं नहीं शहर को हराभरा बनाने के लिए लाइट इंस्पेक्टर को बागवानी का इंचार्ज बना दिया। यानि डिग्री या डिप्लोमा बिजली के काम का और संभाल रहा बागवानी। इसके अलावा एक दमकल कर्मी तो सालों से अकाउंट का काम संभाल रहा है। वहीं माली टेलीफोन ऑपरेटर से लेकर कंप्यूटर ऑपरेटर तक के पदों पर काम कर रहे हैं, जिसकी जो योग्यता है उसे तो संभाल ही नहीं पाए। इनमें से कई तो अब पदोन्नति के इंतजार में हैं।


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