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अधिकारी बेपरवाह, निगम कार्यालय में पांच पेड़ नष्ट, 20 नष्ट होने की कगार पर

प्रशासनिक अफसरों से लेकर पीसीबी के अफसर तक मौन। प्रतिदिन एक हजार से ज्यादा लोगों की निगम में आवाजाही फिर भी नष्ट हो रहे पेड़ बचाव में प्रयास नाकाफी।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 01:19 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 01:32 PM (IST)
अधिकारी बेपरवाह, निगम कार्यालय में पांच पेड़ नष्ट, 20 नष्ट होने की कगार पर
अधिकारी बेपरवाह, निगम कार्यालय में पांच पेड़ नष्ट, 20 नष्ट होने की कगार पर

जेएनएन, हिसार : जनता के सामने पर्यावरण बचाव की बड़ी-बड़ी बातें करने और शपथ लेने वाले निगम अफसर इन दिनों पेड़ों पर आरी चलने का कारण बन रहे हैं। दूसरों को नसीहत देने वाले अफसरों के कार्यालय में ही सितंबर माह में 5 पेड़ों पर आरी चली, जिसमें 3 पेड़ों की बड़ी टहनियां कटवा दीं और दो पेड़ सूखने के बाद कटवा दिए गए। वहीं करीब 20 पेड़ ऐसे हैं जो दिन प्रतिदिन कमजोर हो रहे हैं और नष्ट होने की स्थिति पर पहुंच गए हैं। हरे पेड़ों की सांसें थामने का कारण बनने वाले इन अफसरों पर कार्रवाई के नाम पर जिला प्रशासन से लेकर जिम्मेदार पीसीबी के अफसर तक मौन हैं। ऐसे में अब बड़ा सवाल ये बना हुआ है कि इन पेड़ों को अखिरकार बचाए तो बचाए कौन।

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अफसरों के द्वारा काम न करने के पीछे का कारण

दैनिक जागरण ने कंक्रीट की बेडियों से पेड़ों की जड़ों की जकडऩ को समाचार के माध्यम से दर्शाया। इसके बाद कई शहरवासी व संस्थाएं आगे आई और कई पेड़ों को कंक्रीट जड़कन से मुक्त किया। हरियाली बचाव में आगे आई तो अफसरों को मजबूरीवश काम शुरू करना पड़ा। मेयर ने भी सड़कों का भ्रमण कर फुटपाथ व अन्य स्थानों पर लगे पेड़ों को कंक्रीट की जकडऩ से मुक्त करने के आदेश दिए। लेकिन सूत्रों की माने तो अफसरों ने ईष्र्या के कारण पेड़ बचाव का काम रुकवा दिया, क्योंकि जनता के काम से अफसरों को श्रेय नहीं मिल पाया। ऐसे में जिम्मेदार अफसर पीछे हट गए। सूत्रों की बातें सच होती भी नजर आ रही हैं, कारण है कि विधायक के घर के पास से लक्ष्मीबाई चौक तक 50 से अधिक पेड़ों की जड़े कंक्रीट से जकड़ रखी हैं, जिससे पेड़ सूख रहे हैं। यहीं हाल निगम प्रांगण में है।

पर्यावरण बचाव के लिए निगम अफसर बाध्य

हरियाणा नगर निगम अधिनियम-1994 के अंतर्गत नगर निगम प्रशासन पर्यावरण बचाव के लिए हरियाली की सुरक्षा व बढ़ाने के लिए बाध्य है। जबकि निगम प्रांगण में करीब 25 हरे पेड़ों की जड़े व तने विकास के नाम पर कंक्रीट से जकड़ दिए गए, जो अब धीरे-धीरे सूखने लगे हैं। अगले साल तक निगम के लगभग सभी पेड़ कमजोर होकर नष्ट हो जाएंगे। यही नहीं बागवानी इंचार्ज भी इसी कार्यालय में बैठता है, जिसके अंतर्गत करीब 50 माली हैं। बावजूद इसके निगम प्रांगण में ही पेड़ों की बली दी जा रही है। इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के सीनियर वैज्ञानिक और एचएयू के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. आर के पानू ने कहा कि पेड़ों को कंक्रीट से मुक्त नहीं करवाया तो आगामी एक-दो साल में ये कमजोर होकर नष्ट हो जाएंगे।

ये भी जानें

- निगम ने फुटपाथ पक्के करने के लिए 1 अप्रैल 2017 से 9 मई 2019 तक 764 दिनों में 2,27,71,000 रुपये खर्च किए। जहां फुटपाथ पक्के हुए उन क्षेत्रों में करीब 90 फीसदी पेड़ कंक्रीट की बेडिय़ों में जकड़ गए।

- निगम प्रांगण के अलावा मुख्य मार्ग और मधुबन पार्क तक में रहे पेड़ काटे गए हैं।

विकास के नाम पर पेड़ों को काटना या नष्ट करना समाधान नहीं है। अगर हम अब भी नहीं जागे तो आने वाला समय भयानक होगी। पेड़ों के नष्ट होने से जल का संकट भी पैदा हो जाएगा। इसलिए पेड़ों को बचाने के लिए आगे आए।

- रेनू लाहोरिया, सदस्य, संस्कृति संस्था हिसार।

पेड़ों बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। पेड़ों को नुकसान पहुंच रहा है तो इस बारे में सुध ली जाएगी।

- प्रदीप हुड्डा, डीएमसी, नगर निगम हिसार।


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