अब हाथ-पांव के लकवे का रोबोट कर सकेगा इलाज, ऐसे करेगा काम
लंदन के अलस्टर विश्वविद्यालय के प्रो. गिरिजेश प्रसाद ने जीजेयू में रिसर्च किया साझा। जीजेयू में आयोजित किए गए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हुए शामिल बताया रोबोट कैसे करेगा काम।
हिसार [सुभाष चंद्र] ब्रेन स्ट्रोक के कारण पैरालाइज हुए हाथ-पांव को रोबोट के जरिये दोबारा से ठीक किया जा सकता है। यह जानकारी लंदन के अलस्टर विश्वविद्यालय के प्रो. गिरिजेश प्रसाद ने दी। दैनिक जागरण संवाददाता से बातचीत में उन्होंने बताया कि पैरालाइज हो चुके अंगों को दोबारा से चलाने के लिए उन्होंने एक रोबोट बनाया है। जो स्ट्रोक के कारण निष्क्रिय हो चुके अंगों को चलाने में सफल रहा है।
वे जीजेयू के रसायन विभाग तथा इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ फिजिकल साइंसेज के संयुक्त तत्वावधान में 'फिजिकल एंड बायोलॉजिकल साइंसेज एट क्रॉस रोड्स, इंटरडिस्पलीनरी एक्सप्लोरेशन्स एंड एक्जाइङ्क्षटग चैलेंजेज' विषय पर आयोजित किए जा रहे तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पहुंच थे। इसी दौरान उन्होंने रोबोट पर किया गया अपना रिसर्च साझा किया।
2008 में शुरू किया था रिसर्च
प्रो. गिरिजेश ने बताया कि उन्होंने यह रिसर्च 2008 में शुरू किया था, जिसके तीसरे चरण को पूरा किया जा चुका है। उनके 210 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित कर चुके हंै। वह अल्सर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर ऑफ इंटेलीजेंस के रूप में कार्यरत हैं।
ऐसे करेगा काम
प्रो. गिरिजेश ने बताया कि लंबे रिसर्च के बाद उन्होंने रोबोट बनाने में सफलता हासिल की है। इस रोबोट को ङ्क्षरग की शेप दी गई है। इसका प्रयोग करने के लिए पैरालाइज हो चुके हाथ में इसे पहनाया जाता है। रोबोट को सेंसर लगाकर दिमाग और कंप्यूटर से जोड़ा जाता है। रोबोट को चलाते हैं तो यह पैरालाइज हो चुके हाथ को मूव करने की एक्सरसाइज कराता है, जैसे किसी चीज को हाथों से उठाने की एक्सरसाइज होती है, ठीक वैसे ही यह उंगलियों को कोई चीज पकडऩे के लिए एक्सरसाइज करवाता है। प्रेक्टिकल एक्सरसाइज लगातार आधे घंटे तक करवाई जाती है। सप्ताह में दो से तीन बार रोबोट से इसकी प्रेक्टिस करवाई जाती है। प्रैक्टिस के दौरान रोबोट सिर पर लगाए गए सेंसर के जरिये दिमाग के सिग्नल भी चेक करता है कि जब उंगलियां मूव करती हैं तो क्या दिमाग हाथ को मूवमेंट के सिग्नल भेज भी रहा है या नहीं। यह सिग्नल हमें रोबोट से जुड़ी कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखाई देता है। रोबोट के जरिये यह भी पता लगाया जाता है कि दिमाग की कौन सी नसें हैं, जो ब्लॉक हो चुकी हंै और हाथ-पांव हिलाने के लिए सिग्नल क्यों नहीं भेज पा रहा है। डा. गिरिजेश का कहना है कि क्योंकि दिमाग से निकले सिग्नल ही हमारे हाथ-पांव के काम करने की वजह हैं, इसलिए इस रोबोट के जरिये दिमाग के सिग्नल पर फोकस किया गया है।
रोबोट दिमाग से निकले सिग्नल को करता है एनालाइज
रोबोट दिमाग से निकले सिग्नल को एनालाइज करता है। दिमाग में सोचने पर कौन से सिग्नल निकलते हैं। उंगलियों की ग्रिप बनाने व छोडऩे के दौरान दिमाग क्या सोचता है। इन सब बातों को रोबोट द्वारा एनालाइज किया जाता है।
डेढ़ लाख रुपये होगी शुरुआती कीमत
डा. गिरिजेश ने कहा कि यह रोबोट आम लोगों को भी उपलब्ध करवाया जाएगा। हालांकि अभी इसमें काफी समय लगेगा। इसकी शुरुआती कीमत डेढ़ लाख के करीब होगी। वहीं इसका छोटा वर्जन भी उपलब्ध करवाया जाएगा, जिसकी कीमत भी कम होगी।