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अब बर्ड फ्लू की जांच के लिए हरियाणा से बाहर नहीं भेजने पड़ेंगे सैंपल, लुवास में बनेगी पहली लैब

हिसार स्थिति लुवास में बर्ड फ्लू को लेकर प्रदेश की पहली लैब स्थापित की जा रही है। इसको लेकर हाल ही में सरकार ने 50 लाख रुपये की ग्रांट जारी की है। इस धनराशि से लैब में संसाधन बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 08:30 AM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 08:30 AM (IST)
अब बर्ड फ्लू की जांच के लिए हरियाणा से बाहर नहीं भेजने पड़ेंगे सैंपल, लुवास में बनेगी पहली लैब
लुवास में लैब एक बार तैयार हुई तो बर्ड फ्लू के 1500 सैंपल प्रतिदिन जांचे जा सकेंगे।

हिसार, जेएनएन। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में बर्ड फ्लू को लेकर प्रदेश की पहली लैब स्थापित की जा रही है। इसको लेकर हाल ही में सरकार ने 50 लाख रुपये की ग्रांट जारी की है। इस धनराशि से लैब में संसाधन बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही यहां स्टॉफ भी तैनात किया जा रहा है। बर्ड फ्लू की प्रथम फेज की टेस्टिंग के लिए पंजाब में रीजनल सेंटर में टेस्टिंग करानी होती है। जिसमें कई बार समय भी लग जाता है। लुवास के अधिकारियों की मानें तो एक से दो सप्ताह का समय लैब को पूरी तरह से बनने में लग सकता है। प्रदेश में बर्ड फ्लू फैलने के बाद से ही इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया था। यह लैब एक बार तैयार हुई तो 1500 सैंपल प्रतिदिन जांचे जा सकेंगे।

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पशुपालन विभाग ने ले रखे हैं सैंपल

लैब के निर्माण का पशुपालन विभाग इंतजार कर रहा है। समय समय पर पशुपालन विभाग बर्ड फ्लू के सैंपल लेता रहा है, ऐेसे में कई जिलों में पहले से ही सैंपलिंग की गई है। लैब के शुरू होते ही सैंपलों को हिसार स्थित लुवास में भेज दिया जाएगा।

एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू क्या होता है

बर्ड फ्लू, एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस एच5एन1 की वजह से होती है। यह संक्रामक वायरल बीमारी है, जो इन्फ्लुएंजा टाइप-ए वायरस से होती है। यह बीमारी आमतौर पर मुर्गियों और टर्की जैसे पक्षियों को अधिक प्रभावित करती है। यह वायरस पक्षियों के साथ-साथ इंसानों को भी अपना शिकार बनाता है। बर्ड फ्लू का संक्रमण मुर्गी, टर्की, गीस, मोर और बत्तख जैसे पक्षियों में तेजी से फैलता रहा है। यह वायरस इतना खतरनाक होता है कि इससे इंसान और पक्षियों की मौत भी हो सकती है। अभी तक बर्ड फ्लू का बड़ा कारण पक्षियों को ही माना जाता रहा है, लेकिन कई बार यह इंसानों से भी एक दूसरे को हो जाता है।

पक्षियों का मरा हुआ देखकर डरें न, पशुपालन विभाग काे दें सूचना

बर्ड फ्लू की रोकथाम पर कई वर्षों से काम कर रहे लुवास के डा. नरेश जिंदल बताते हैं कि अभी तक हिसार बर्ड फ्लू को लेकर सुरक्षित है। अगर कहीं पक्षी मरे हुए मिलते हैं तो घबराएं न क्योंकि जरूरी नहीं कि बर्ड फ्लू से मरे हों। कई बार ठंड के कारण पक्षियों में इस मौसम में निमोनिया हो जाता है तो वह मर जाते हैं। अगर कहीं पक्षी मरे हैं तो स्थानीय पशु पालन विभाग को सूचित करें।

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