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शोध : अब महीने भर खराब नहीं होगा बाजरे का आटा और ज्यादा प्रोटीन युक्त होगा बिस्किट

चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के छात्रों व प्राध्यापकों ने शोध किया है। शोध में बाजरे से स्टार्च को अलग कर इसकी गुणवत्ता बढ़ाई गई है। इसमें सामने आया कि अब बाजरे का आटा महीने भर खराब नहीं होगा। साथ यह सीलिएक रोगियों के लिए सबसे अधिक फायदेमंद होगा।

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 04:35 PM (IST)Updated: Fri, 16 Oct 2020 04:35 PM (IST)
शोध : अब महीने भर खराब नहीं होगा बाजरे का आटा और ज्यादा प्रोटीन युक्त होगा बिस्किट
शोध में बाजरे से स्टार्च को अलग करने और खाद्य वस्तुओं में इसकी उपयोगिता बढ़ाने पर जोर दिया गया।

सिरसा [सुधीर आर्य] सॢदयों में बाजरे की रोटियां गेहूं के बजाय ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक हैं। यह शारीरिक क्षमता भी बढ़ाती हैं। बड़ी समस्या यह है कि बाजरे का आटा ज्यादा दिन तक खाने योग्य नहीं रहता। इसके जल्द खराब होने की संभावना बनी रहती है। इसी पर चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के छात्रों व प्राध्यापकों ने शोध किया है। शोध में बाजरे से स्टार्च को अलग कर इसकी गुणवत्ता बढ़ाई गई है। इसमें सामने आया कि अब बाजरे का आटा महीने भर खराब नहीं होगा। साथ यह सीलिएक रोगियों के लिए सबसे अधिक फायदेमंद होगा। बाजरे में ग्लूटेन नामक तत्व नहीं होता, जोकि सीलिएक रोग ग्रस्त लोगों के लिए बहुत अच्छा है। पाचन क्रिया से संबंधित इस रोग में ग्लूटेन नाम तत्व विपरीत असर डालता है। गेहूं, जौ, राई में यह तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जबकि बाजरे में यह नहीं होता।

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शोध में बाजरे से स्टार्च को अलग करने और खाद्य वस्तुओं में इसकी उपयोगिता बढ़ाने पर जोर दिया गया। बाजरे से रस्क, बिस्किट, कुकीज और ब्रेड तैयार किए गए। फिर आटे को खराब होने से बचाने के लिए उपचार किया गया। इससे आटे की मियाद एक महीने तक बढ़ गई। डा. कंवलजीत सिंह सिद्ध्ू, डा. अंजू नेहरा, डा. अनिल कुमार सिरोहा और डा. स्नेह पूनिया का इस शोध में विशेष योगदान रहा।

आटे के बिस्किट में प्रोटीन ज्यादा

बच्चे रोटी के बजाय बिस्कुट अधिक खाते हैं। ऐसे बच्चों में प्रोटीन की काफी कम रहती है। गेहूं के आटे से बने बिस्कुट में पांच से छह फीसद प्रोटीन होता है। विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इसे नौ से दस फीसद तक पहुंचा दिया। खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से किए गए शोध में आटे के बिस्किट में प्रोटीन के बेहतरीन स्रोत अंडा व दलहन पर फोकस किया गया। इसके बाद उच्च प्रोटीन युक्त बिस्किट बनाने में सफलता भी मिली। पहली विधि में गेहूं के आटे के साथ अरहर के आटे को मिलाकर बिस्किट बनाया गया और ऐसा कर बिस्किट में प्रोटीन की मात्रा छह से नौ फीसद हो गई। अंडे से बिस्किट बनाया गया। इसमें अंडे के सफेद हिस्से का पाउडर बनाकर उसे आटे में मिलाया गया। इससे प्रोटीन की मात्रा छह से बढ़कर 10  फीसद हो गई।

बच्चों में हो रही प्रोटीन की कमी

विवि की प्राध्यापिका डा. मंजू नेहरा ने बताया कि बच्चों में प्रोटीन की मात्रा बहुत कम हो रही है। इससे स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। बच्चे रोटियां व अन्य खाद्य पदार्थ कम खाते हैं, बल्कि उन्हेंं बिस्किट ज्यादा अच्छे लगते हैं। इसी लिए बिस्किट में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने पर शोध किया गया। यह पूर्ण रूप से सफल रहा। उन्होंने बताया कि एमएससी के छात्रों ने गेहूं के आटे के साथ उबले हुए अरहर के आटे को मिलाकर प्रयोग किया।

प्रोटीन की कमी से मांसपेशियों से संबंधित रोग बढ़ रहे

डा. नेहरा ने बताया कि 73 फीसद भारतीय बच्चे प्रोटीन की कमी से मांसपेशियों से संबंधित बीमारियों से जूझते हैं। इंडियन डाइटिक एसोसिएशन के अनुसार 64 फीसद भारतीय प्रोटीन के उचित स्रोत व उसकी शरीर में उपलब्धता से अनभिज्ञ हैं। इनमें से 93 फीसद लोगों को प्रोटीन की दैनिक रिकमंडेडिड डेली अलाउंस के बारे में जानकारी नहीं है। इसीलिए विश्वविद्यालय ने प्रोटीन की मात्रा बढ़ाए जाने पर रिसर्च की है।


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