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जिले के सभी 12 सरकारी कालेजों में नहीं स्थाई प्राचार्य, संस्थाओं के कालेजों में भी कार्यभार से चल रहा काम

हिसार अब कालेजों में दाखिले की प्रक्रिया अगले महीने शुरु होने वाली है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 09:47 AM (IST)Updated: Sun, 26 May 2019 06:43 AM (IST)
जिले के सभी 12 सरकारी कालेजों में नहीं स्थाई प्राचार्य, संस्थाओं के कालेजों में भी कार्यभार से चल रहा काम
जिले के सभी 12 सरकारी कालेजों में नहीं स्थाई प्राचार्य, संस्थाओं के कालेजों में भी कार्यभार से चल रहा काम

जागरण संवाददाता, हिसार : अब कालेजों में दाखिले की प्रक्रिया अगले महीने शुरु होने वाली है। जिले के कालेजों में प्राचार्यो की स्थाई नियुक्ति को लेकर हालात बद से बदतर हैं। जिले में 13 सरकारी कालेज हैं, जिनमें से एक भी कालेज में स्थाई प्राचार्य नहीं है। वहीं, शहर की बात करें तो दो सरकारी और तीन संस्थाओं के कालेज हैं। इनमें भी कोई स्थाई प्राचार्य की नियुक्ति नहीं की गई है। सरकार की और से लंबे समय से इन कालेजों में स्थाई नियुक्ति के लिए पहल नहीं की जा रही। कालेजों में स्थाई प्राचार्यों को त्वरित कार्रवाई की छूट रहती है। जबकि अस्थाई प्राचार्यों को लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। वहीं, खर्च को लेकर भी अस्थाई प्राचार्यों के पास सिमित अधिकार हैं। अधिक खर्च के लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है और विभिन्न तरह की लंबी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है।

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संस्थाओं के तीनों कालेजों में नहीं स्थाई प्राचार्य

शहर में छाजूराम मैमोरियल जाट कालेज, डीएन कालेज और एफसी ग‌र्ल्स कालेज तीन कालेज हैं, जो विभिन्न संस्थाओं के हैं। इन कालेजों में भी लंबे समय से स्थाई प्राचार्य नहीं है। जाट कालेज में करीब 2 साल से और डीएन कालेज में करीब 1 साल से कोई स्थाई प्राचार्य नहीं है। वहीं, एफसी कालेज में वर्ष 2002 से ही कोई स्थाई प्राचार्य नहीं है।

सात टीचर्स सीडीसी प्राचार्य बनने से कर चुके इंकार

सरकार द्वारा मोस्ट सीनियर टीचर को करंट ड्यूटी चार्ज के नाम से प्राचार्य का कार्यभार दिया जाता है। शहर के गवर्नमेंट पीजी कालेजों के सात टीचर ऐसे हैं, जिन्हें सरकार ने प्राचार्य का सीडीसी चार्ज दिया था। लेकिन टीचर्स ने इंकार कर दिया था। कार्यभार संभाल रहे प्राचार्यो को कोई अतिरिक्त भत्ते नहीं मिलते। दूर-दराज के कालेजों में आने-जाने का उनका पैसा खर्च होता है वो अलग। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में प्राचार्य का कार्यभार लेने से भी टीचर कतराते हैं।


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