Move to Jagran APP

हिसार में अकाल से 1938 में 50 हजार गायों की हुई थी मौत, हाल जानने पहुंचे थे नेताजी

Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Special 1938 में हिसार समेत गांव सातरोड़ और धांसू में नेताजी सुभाष चंद्र ने दौरा किया था। उन्‍होंने कहा था सारे दुखों की जड़ गुलामी है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 12:23 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 12:23 PM (IST)
हिसार में अकाल से 1938 में 50 हजार गायों की हुई थी मौत, हाल जानने पहुंचे थे नेताजी
हिसार में अकाल से 1938 में 50 हजार गायों की हुई थी मौत, हाल जानने पहुंचे थे नेताजी

हिसार [मनोज कौशिक] Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Special : साल 1938,दिन 28 नवंबर। सुबह करीब साढ़े नौ बजे हिसार के रेलवे स्‍टेशन पर ट्रेन की सिटी बजी। मगर आज ये न तो ये सुबह आम थी और न ही रोजाना जाखल की ओर से आने वाली ट्रेन। क्‍योंकि ट्रेन में हिसार के रेलवे स्टेशन पर नेताजी सुभाष चंद्र पहुंचे थे। हाथों में फूल मालाएं लेकर हजारों की भीड़ स्वागत के लिए उमड़ पड़ी। जुलूस के साथ वे रेलवे स्टेशन के पास ही ठाकुर भार्गवदास के निवास स्थान पर पहुंचे और यहां से हिसार के रामलीला कटला मैदान में जनसभा को संबोधित करने निकल पड़े।

loksabha election banner

धोती कुर्ता और सिर पर खादी टोपी पहने नेताजी को हर कोई उम्मीद भरी नजरों से देख रहा था। वजह थी 1938 में हिसार जिले में पड़ा भयंकर अकाल। जिसमें भूख के मारे 50 हजार गायों ने दम तोड़ दिया तो चारे की कमी जूझ रहे हिसार के लोगों ने मजबूरीवश 2 लाख पशुओं को कोडिय़ों के भाव बेच दिया। ज्यादातर लोगों की हालत ऐसी थी कि शरीर पर चमड़ी कम और कंकाल ज्यादा नजर आ रहा था। कांग्रेस अकाल(कहत)कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते नेजाजी का हिसार आने का मकसद भी लोगों और पशुओं के हालात का जायजा लेना था।

कटला रामलीला मैदान में जब वे मंच पर पहुंचे तो शेख बदरूदीन ने उनके स्वागत में नज्म पढ़ी। बाबू पृथ्वीचंद ने स्वागत भाषण पढ़ा तो उनके साथ पंडित नेकीराम शर्मा, लाला हरदेव सहाय, लाला सतनारायण, पंडित कुंजलाल ने भी मंच साझा किया। संबोधन के दौरान नेताजी ने कहा कि हमारी सारी मुसीबतों और दुखों की जड़ गुलामी है। अगर हम गुलाम न होते तो अकाल अगर पड़ता भी तो इससे निपटने के इंतजाम पहले ही कर लेते। ब्रिटिश सरकार ने सुध ही नहीं ली।

अखबार में छपा हिसार में राष्ट्रपति ने किया दौरा

नेताजी जब हिसार पहुंचे तो अगले दिन लाला हरदयाल सहाय के अखबार ग्राम सेवक में शीर्षक प्रकाशित हुआ कि हिसार में राष्ट्रपति ने किया दौरा। डा. आरके श्रीवास्ताव सेवानिवृत सहायक निदेशक अभिलेखागार विभाग हरियाणा ने बताया कि उस समय अकाल (कहत) कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष को राष्ट्रपति कह संबोधित किया जाता था। उन्होंने बताया कि तब हिसार में करीब 80 लाख एकड़ जमीन में बस तीन लाख एकड़ भूमि पर ही खेती होती थी। 80 फीसद भूमि बंजर थी। ऐसा अकाल पड़ता था कि जमीन पर एक घास के हरे तिनके को देखने के लिए लोग तरस जाते थे।

धांसू गांव में अकाल से कुपोषित हो चुके चारपाई पर लेटे एक बुजुर्ग को देखते हुए नेताजी

कुपोषित लोगों को देख नेताजी हो गए थे द्रवित

रामलीला कटला मैदान की जनसभा के संबोधन के बाद नेताजी टिब्बा दानाशेर के लिए निकल गए। जहां पशुओं के इलाज और उनकी भोजन व्यवस्था करने के लिए बांबे शिव दया मंडल संस्था व्यवस्था संभाल रही थी। वहां देखरेख के बाद वे पास के ही गांव धांसू में पहुंचे और भूख से जूझ रहे कंकालनुमा हो चुके लोगों को देखा तो द्रवित हो गए।

टिब्‍बा दानाशेर में पशुओं के लिए इलाज और चारे की व्‍यवस्‍था को देखने पहुंचे नेताजी

जमीन पर बने पंजाब हरियाणा के नक्शे को देखकर हो गए थे खुश

हिसार में भोजन उपरांत उन्हें लाला हरदेव सहाय उनके गांव छोटी सातरोड के उस स्कूल में लेकर पहुंचे। जिसे 1930 में उनके दादा रामसुखदास ने बनाया था। गुलामी के दिनों में भी खुद के खर्च से चलाए जाने वाले इस स्कूल में निशुल्क शिक्षा के साथ बच्चों को एक वक्त का खाना भी दिया जाता था। साथ ही 1932 में बच्चों को स्वावलंबी बनाने के लिए शिल्पकला का निर्माण करवाया गया। जहां बच्चे पढ़ाई के साथ खुद सूत कातकर खद्दर के वस्त्र बनाते और इनको बेचकर जो भी राशि मिलती उसे बच्चों के भविष्य निर्माण में खर्च किया जाता। सातरोड निवासी मास्टर पंजाब और जिला पार्षद कृष्ण सातरोड ने बताया कि नेताजी ने यहां पहुंचकर जब जमीन पर बने हरियाणा पंजाब के नक्शे को देखा तो बेहद खुश हो गए। उन्होंने इस बात का जिक्र वहां रखी विजटिंग बुक में भी लिखकर किया। यहां से फिर वे हांसी के लिए निकल गए। हांसी से वे मुंढाल होते हुए भिवानी गए तो उसके बाद रोहतक पहुंचे। रोहतक में देर शाम उनके स्‍वागत में लोगों ने मशालें जलाकर रोशनी की। नेताजी ने रोहतक में लोगों से हिसार में अकाल पड़ने का जिक्र करते हुए हिसार के लोगों द्वारा बनाए गए वस्‍त्र खरीदने की अपील भी की थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.