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हिसार में कैंप चौक के पास कुछ घंटे रुके थे नेताजी, सुभाष चंद्र बोस रख दिया गया चौक का नाम

नेता जी की जयंती पर विशेष महान क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद 27 नवम्बर 1938 को हिसार आए थे। लुधियाना-हिसार ट्रेन मार्ग के रास्ते नेताजी संयुक्त पंजाब के पहले मुख्यमंत्री गोपी चंद भार्गव के घर हिसार पहुंचे थे।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 01:32 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 01:32 PM (IST)
हिसार में कैंप चौक के पास कुछ घंटे रुके थे नेताजी, सुभाष चंद्र बोस रख दिया गया चौक का नाम
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के हिसार दौरे के बाद मासिक अखबार में खबर भी प्रकाशित हुई थी

पवन सिरोवा, हिसार : तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा...नारा बुलंद करने वाले महान क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद 27 नवम्बर 1938 को हिसार आए थे। लुधियाना-हिसार ट्रेन मार्ग के रास्ते नेताजी संयुक्त पंजाब के पहले मुख्यमंत्री गोपी चंद भार्गव के घर हिसार पहुंचे थे। कैंप चौक के पास वे कुछ घंटे ही रुके थे और इस चौक का नाम ही सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रख दिया गया। वहां से वे कटला मैदान पहुंचे, जहां उनका स्वागत भाषण पढ़ा गया। उस समय देश में अकाल था और नेताजी अकाल के प्रभाव को देखने हिसार पहुंचे थे । उसका कारण था कि उस समय एक अनुमान के अनुसार करीब 50 हजार मवेशी हिसार में मर गए थे। उस समय की स्थिति देखने नेताजी हिसार पहुंचे और सारी स्थिति देखने के बाद वे 28 नवंबर 1938 को रोहतक के मार्ग से दिल्ली की ओर वापस लौट गए।

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लाला हरदेव सहाय के शिक्षा के क्षेत्र में किए कार्य को नेताजी ने सहारा

इतिहासकार डा. महेंद्र सिंह ने कहा कि लाला हरदेव सहाय ने पुराने हिसार यानि डबवाली से लोहारू तक में 76 शिक्षण संस्थान खोले थे। जिसमें गांव सातरोड में स्कूल खोला था। यह शिक्षण संस्थान एक शिल्पशाला थी, उसमें 28 नवंबर 1938 को नेताजी पहुंचे। इस शिल्पशाला में बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अक्षर ज्ञान के साथ साथ बुनाई, कढाई, मिट्टी से वस्तुएं बनाना सहित दस्तकारी सिखाई जाती थी। लाला हरदेव सहाय के शिक्षा के क्षेत्र में किए कार्यों की सराहना करते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि ऐसे संस्थान देश के दूसरे क्षेत्रों में भी खोले जाए।

अकाल में 50 हजार मवेशियों की हुई थी मौत

नेताजी 27 नवंबर 1938 को हिसार में अकाल के प्रभाव को देखने पहुंचे थे, क्योंकि उस समय अनुमानित हिसार में 50 हजार मवेशियों की मौत हो गई थी। जिसमें अधिकांश गोवंश था। रेल मार्ग से हिसार पहुंचने के बाद कटला मैदान में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि विश्व प्रभाकर ने स्वागत भाषण पढ़ा था। स्वतंत्रता सेनानी भिवानी निवासी पंडित नेकीराम शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की थी। नेताजी ने राजगुरु मार्केट के पास बनी श्री हरियाणा कुरुक्षेत्र गोशाला के क्षेत्र का भी भ्रमण किया था। इसके अलावा उन्होंने धान्सू, जुगलान और सातरोड का भ्रमण किया और वहां की स्थिति देखी थी। अखबार में यह खबर भी प्रकाशित हुई थी और राष्‍ट्रपति ने दौरा किया शीर्षक दिया गया था, क्‍योंकि अकाल पीडि़तों की स्थिति जानने के लिए बनाई गई कहत कमेटी के अध्‍यक्ष को उस वक्‍त राष्‍ट्रपति कहकर संबाेधित किय जाता था।

संस्मरण : प्रदेश की प्रथम महिला विधायक स्वर्गीय स्नेहलता की बेटी डा. भारती शर्मा ने कहा कि उनके पिता पूर्व पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी सेठ महेश चंद्र हमें बताते थे कि नेताजी उस समय हिसार हमारे घर आए थे। उनका हमने भोजन किया था। सेठ महेश चंद्र स्वतंत्रता में सक्रिय था आजादी के बाद उनकी पत्नी राजनीति में आई और वे विधायक बनी।

कैंप चौक पर है नेताजी की प्रतिमा

स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और जय हिंद का नारा देने वाले सुभाष चंद्र बोस की कैंप चौक पर प्रतिमा लगी है। यह चौक साल 1948-49 में बनाया गया। 23 जनवरी 1987 को मंडल आयुक्त महेंद्र सिंह राठी ने चौक पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा की स्थापना की। स्वर्गीय सेठ सोहन लाल की पुण्य स्मृति में सोहन लाल किशोरी देवी भगेला वाला चेरिटेबल ट्रस्ट सिली गुडी पश्चिम बंगाल राजेंद्र आयल मिल्स प्राइवेट लिमिटेड हिसार की ओर से उपायुक्त ओपी तनेजा की देखरेख में यह प्रतिमा लगी। यहां हर साल प्रशासन 23 जनवरी को नेताजी की जयंती मनाता है।

जयंती पर हिसार जिले में 417 स्थानों पर होंगे कार्यक्रम

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। उनके जन्म को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती के रूप में मना कर उन्हें याद किया जाता है। साथ ही उन्हें श्रद्धांजलि भी दी जाती है। भाजपा के जिला अध्यक्ष कैप्टन भूपेन्द्र, वीरचक्र ने कहा कि इस साल 23 जनवरी को हिसार जिले में 417 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित कर नेताजी की जयंती मनाई जाएगी। कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की है । पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ता नेताजी को याद करेंगे और आजादी का तराना गाकर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।


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