वेंटीलेटर पर 60 फीट गहरे बोरवेल में जंग जीतने वाला नदीम, बायें फेफड़े में हुआ निमोनिया
60 फीट गहरे बोरवेल में गिरने के बाद 49 घंटे तक मौत से चली जंग जीतकर शुक्रवार शाम लौटे 15 माह के नदीम की हालत अभी नाजुक बनी हुई है।
जेएनएन, हिसार। 60 फीट गहरे बोरवेल में गिरने के बाद 49 घंटे तक मौत से चली जंग जीतकर शुक्रवार शाम लौटे 15 माह के नदीम की हालत अभी नाजुक बनी हुई है। अभी वह वेंटीलेटर पर है। चिकित्सकों के मुताबिक अगले 48 घंटे उसके लिए अहम साबित होंगे। उसके बायें फेफड़े में निमोनिया हुआ है। एंटी बायोटिक दवा दी जा रही हैं। यदि निमोनिया बिगड़ता है तो उसकी जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। मासूम नदीम को एक्सपर्ट डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। माता-पिता को छोड़कर किसी को उससे मिलने की इजाजत नहीं दी गई है। डीसी अशोक कुमार मीणा खुद हर घंटे डॉक्टरों से उसके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ले रहे हैं।
ध्यान रहे कि बालसमंद गांव में बुधवार शाम करीब साढ़े चार बजे नदीम बोरवेल में गिर गया था। 49 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उसे शुक्रवार शाम करीब सवा पांच बजे बाहर निकाला गया था। सेना, एनडीआरएफ, जिला प्रशासन और ग्रामीणों के संयुक्त अभियान चलाकर मिशन को बखूबी अंजाम दिया। बाहर निकालने के बाद नदीम को इलाज के लिए अग्रोहा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था।
सांस लेने में हो रही दिक्कत
नदीम को शुक्रवार रात अग्रोहा मेडिकल कालेज से हिसार के एक निजी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया था। यहां डा. विवेक गुप्ता की देखरेख में उसका इलाज चल रहा है। वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. उमेश कालड़ा स्वयं भी बच्चे को देख रहे हैं। निमोनिया ज्यादा होने के कारण नदीम के बाएं फेफड़े जम गए हैं। इस वजह से उसको सांस लेने में दिक्कत हो रही है। इसलिए उसे वेंटीलेटर पर रखा गया है और एंटीबायोटिक दवा दी जा रही हैं ताकि निमोनिया को दूर किया जा सके।
कैसे हुआ निमोनिया
चिकित्सकों का कहना है कि संभावना है कि बोरवेल में नदीम ने मिट्टी वाला पानी पीया और वह उसकी सांस की नली में चला गया। इससे निमोनिया हुआ। यह भी हो सकता है कि उसने मिट्टी खाई हो। डॉ. विवेक गुप्ता का कहना है कि बच्चे की ईको रिपोर्ट सही आई है। एक्सरे में निमोनिया का पता चला। अभी उसकी एंटीबायोटिक मेडिसिन शुरू कर दी गई है। अगले 48 घंटे बच्चे के लिए अहम हैं। वह निकलने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। वहीं, जिला उपायुक्त अशोक कुमार मीणा का कहना है कि बच्चे का स्वास्थ्य धीर-धीरे ठीक होगा। निमोनिया होने के कारण उसका प्रशासन की तरफ से शहर के निजी अस्पताल में इलाज करवाया जा रहा है। निमोनिया ठीक होने पर आगे का इलाज चलेगा।
डीसी लिखेंगे नदीम ऑपरेशन में हुए अनुभव की डायरी
बोरवेल में गिरे 15 माह के नदीम को बाहर निकालने के लिए चले संयुक्त ऑपरेशन इतिहास में दर्ज होगा। इस ऑपरेशन की पूरी जानकारी डीसी अशोक कुमार मीणा एक डायरी में लिखेंगे, ताकि उनके बाद आने वाले अधिकारी इस ऑपरेशन से भलीभांति परिचित हो सकें। बालसमंद का नदीम बुधवार शाम को 60 फीट गहरेबोरवेल में गिर गया था।
सूचना मिलते ही आर्मी, एनडीआरएफ, जिला प्रशासन और ग्रामीणों ने मिलकर नदीम को निकालने का ऑपरेशन चलाया था। इस ऑपरेशन से प्रशासनिक अधिकारियों को काफी कुछ सीखने मिला। साथ ही यह भी पता चला कि मौजूदा समय में ऐसे हादसों को रोकने के लिए कौन-कौन से आधुनिक यंत्र चाहिए होते हैं जो उनके पास नहीं थे फिर भी किस तरह उन्होंने हर उन यंत्रों का इस्तेमाल किया जो अन्य कामों में इस्तेमाल होते थे। मगर बोरवेल से नदीम को निकालने में उन यंत्रों की अहम उपयोगिता रही।
अंग्रेजों के समय पर कागजों पर जानकारी का फायदा
अंग्रेजों के समय में पूरी कागजी कार्रवाई होती थी। वह जहां भी जाते उस जगह के बारे में पूरी जानकारी लेते और उसे फाइल में रखते थे। इसके कारण आने वाले नए अधिकारी को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती थी। उसी प्रकार से उपायुक्त ने इस ऑपरेशन को कागजों पर लाने का निर्णय लिया। इसका मुख्य मकसद उनके बाद यदि कभी ऐसी या किसी अन्य प्रकार की घटना हो तो वह इस फाइल को देख सके।