शिक्षा विभाग अतिरिक्त प्रधान सचिव बोले- कमी निकालनी हो तो मैं दिल्ली के कालेजों में निकाल दूं
हरियाणा शिक्षा विभाग अतिरिक्त प्रधान सचिव पीके दास ने केजरीवाल पर निशाना साधा। प्रदेश के सरकारी स्कूलों को बदनाम करने पर कहा केजरीवाल अपनी राजनीति चमकाने के लिए उल्लू सीधा कर रहे है
हिसार, जेएनएन। हरियाणा के शिक्षा विभाग के अतिरिक्त प्रधान सचिव पीके दास ने महावीर स्टेडियम में पत्रकार वार्ता के दौरान स्कूलों पर राजनीति करने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री पर जमकर निशाना साधा। प्रदेश के सरकारी स्कूलों को बदनाम करने पर उन्होंने केजरीवाल को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि केजरीवाल अपनी राजनीति चमकाने के लिए उल्लू सीधा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर कोई कमी निकालने पर आता है तो कोई भी कमी निकाल सकता है। मैं भी दिल्ली जाकर निरीक्षण करूं तो स्कूल ही नहीं कालेजों में भी कमी निकाल सकता हूं। उन्होंने कहा कि हरियाणा के स्कूलों का प्रदर्शन पहले की अपेक्षा सुधरा है। हमने शिक्षा में सुधार के लिए अनेक कदम उठाए हैं। पहले शिक्षक स्कूलों में नौकरी के लिए पढ़ाने जाते थे और विद्यार्थी गुरु को अपना दुश्मन समझते थे। वे समझते थे कि टीचर का काम सिर्फ मारना पीटना ही है।
हमने इस धारना को खत्म करने के लिए हर शनिवार को स्कूलों में ज्वायफुल एक्टिविटी शुरू की। इसमें विद्यार्थी बिना बस्ता लिए स्कूल आता है और जो उसमें खूबी है उसे शिक्षक के सामने रखता है। इससे शिक्षक और विद्यार्थी में तालमेल बढ़ता है जिसका असर परीक्षा परिणाम पर भी पड़ा है।
हरियाणा नकल के लिए बदनाम इसलिए एचटेट में कड़ी सुरक्षा
एचटेट परीक्षा के दौरान महिलाओं के कानों की बालियां और नाक के कोके तक उतरवाए जाने के प्रश्न पर पीके दास ने कहा कि हरियाणा प्रदेश नकल के लिए बदनाम माना जाता है। तमिलनाडु में भी कोई पेपर लीक हो तो उसके तार हरियाणा से जुड़ जाते हैं। ये स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए हमनें एचटेट परीक्षा में नकल न हो सके इसलिए सख्ती की थी। आजकल कोई पर्ची से नकल नहीं करता। इलेक्ट्रोनिक डिवाइस से नकल की जाती है। कान की बालियों में कोई भी डिवाइस को लगाकर नकल कर सकता है इसलिए सख्ती की जाती है।
भर्ती का इंतजार नहीं करेंगे, रेश्नेलाइजेशन पर रहेगा जोर
पीके दास ने कहा कि सरकार तीन से पांच साल के अंदर शिक्षकों की भर्ती करती है। हमारे पास प्राइमरी स्कूलों में स्टाफ की कोई कमी है। नियमों के हिसाब से हर 35 बच्चों पर एक शिक्षक की जरूरत होती है मगर प्रदेश में हर 25 बच्चों पर एक शिक्षक मौजूद है। मिडल से 12वीं तक के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। इसके लिए हमने रेश्नेलाइजेशन की नीति अपनाई है। शिक्षकों के हमने ट्रांसफर ड्राइव शुरू कर दी है।