हिसार जिले का पहला गांव जहां शहीदों की होती है पूजा, प्रतिमाएं भी स्थापित की
2019 में गांव के युवा मनोज जांगड़ा द्वारा अपनी शादी में आए हुए मेहमानों को 2100 फूलदार व फलदार पौधे भेंट किए वही बिना दहेज के शादी करने के कारण भी गांव सुर्खियों में रहा।
सिवानीमंडी/हिसार [सुभाष पंवार] वैसे तो हर गांव अपनी एक अलग कहानी के लिए मशहूर है। मगर कुछ गांव ऐसे हैं जो कई तरह की विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। इन्हीं में से एक जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर व उपमंडल मुख्यालय से 9 किलो मीटर दूर पश्चिम की ओर राजस्थान की सीमा पर स्थित है। गांव नलोई जो कि जिला में शहीदों की प्रतिमाएं लगाने वाला पहला गांव बन गया है।
जिला की जब भी कोई बात आती है तो इस गांव का नाम शहीदों के सम्मान में सबसे पहले लिया जाता है और अब आने वाली 12 जनवरी को गांव स्वामी विवेकानन्द सरस्वती की प्रतिमा भी लगाई जानी है। युवा क्लब के सदस्यों ने स्टेट अवार्डी मनोज जांगड़ा के नेतृत्व में इस कार्य किया गया।
गांव का ये है इतिहास
नलोई को 1800 इसवीं से पूर्व जीराम सिंधु ने गांव कोथ तहसील हांसी से आकर बसाया था। वर्ष 1863 के रिकॉर्ड में अनुसार गांव के रामधन की जमीन अंग्रेजों ने कुर्की कर ली और उसके घर को जला दिया गया था और रामधन के पुत्र लेखराज को फांसी की सजा दी गई थी । गांव नलोई रेतीले टीलों के बीच 4 हजार की आबादी वाले इस गांव को मिनी खाटू नगरी के नाम से जाना जाता हैं। गांव के पहली पंचायत के गठन के समय सेठ रामजीलाल पहले सरपंच चुने गए। गांव के लोग गांव बड़वा से अपनी जरूरत का समान लेकर आते थे इसलिए गांव बड़वा स्थित रेलवे स्टेशन का नाम नलोई बड़वा रखा गया। इस गांव में बिजली पहुंचाने का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बंसीलाल को जाता है। गांव ने लोगों ने देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में भी अपना योगदान दिया । गांव के सूबेदार इंद्र ङ्क्षसह ने आर्मी के भर्ती होकर एनएसजी कमांडो के तौर पर अपनी सेवाएं दी। गांव में सरपंच की जिम्मेवार एडवोकेट सूरजभान ङ्क्षसधू निभा रहे है जो कि दूसरी बार गांव के सरपंच का कार्य देख रहे है और गांव के विकास में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे है।
राजस्थान व हरियाणा के दो जिलों से जुड़ता है नलोई
नलोई एक ऐसा गांव है राजस्थान व हरियाणा के दो जिलों से जुड़ता है। राजस्थान के चूरू व हनुमानगढ़ व हरियाणा के भिवानी जिला का हिस्सा होने के साथ-साथ हिसार जिला से भी इस गांव की सीमा लगती है।
हरसेक का राज्य स्तरीय कार्यक्रम हुआ था नलोई में
प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग ने हरसेक का शुभारंभ वर्ष 2012 में पूरे भारत वर्ष में भूमि आनलाइन का काम नलोई से किया गया था जिसमें प्रदेश स्तर के बड़े अधिकारी इस गांव की छटा देखने आए जिनका गांव के लोगों ने बेहद स्वागत किया। हरसेक का गौरव भी इसी गांव के नाम है।
धार्मिक नगरी भी है नलोई
नलोई गांव को धर्म नगरी के रूप में भी जाना जाता है जिसमें मिनी खाटू के नाम से भी इसकी पहचान बनी है। गांव के मुख्य मार्ग पर शानदार श्याम द्वार गांव की शान बढ़ाने का काम करता है वही इसी द्वार के पास गांव का गौरव पट्ट भी लगा है । गांव में भव्य श्याम मंदिर के अलावा बाला जी मंदिर,दादी सती मंदिर,रामदेव मंदिर,काला मेहर मंदिर स्थित है। गांव में श्याम मंदिर में पूरे भारत का दूसरा श्याम कुंड नलोई में है।
यादगार हवेली व कुंड है गांव में
गांव के अंदर अनेक पुरानी हवेली, कुंड ,पानी के कुएं आज भी अपनी याद ताजा करते है । गांव के सबसे पहले गांव के सेठ रामजीलाल व ग्रामवासियों के सहयोग प्राथमिक स्कूल का निमरण करवाया,उसके बाद गांव के ही सेठ जयलाल परिवार द्वारा गांव में राजकीय वरिष्ठ विद्यालय का भवन बनाकर गांव को समर्पित किया।
गांव में युवाओं की अहम भूमिका
गांव के युवा क्लब के अध्यक्ष मनोज जांगड़ा को सामाजिक कार्य एवं नशा मुक्ति के लिए स्टेट यूथ अवॉर्ड द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा गांव के युवा जागृति क्लब को भारत सरकार के नेहरू युवा केन्द्र द्वारा जिला सर्वश्रेष्ठ क्लब के अवार्ड भी दिया गया है युवा जाग्रति क्लब के सदस्य पौधारोपण जल संरक्षण रक्तदान ओर शिक्षा एवं जागरूकता के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं । गांव के लोग मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है ।
गांव में है शहीदों की चार प्रतिमाए
गांव की सामाजिक संस्था युवा जाग्रति क्लब द्वारा गांव में शहीद भगत ङ्क्षसह सुखदेव, राजगुरु, सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित की जा चुकी है और अब गांव में 12 जनवरी को युवा दिवस के मौके पर क्लब द्वारा स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। युवा कल्ब ने गांव में 11 प्रतिमाएं लगाने का संकल्प लिया हुआ है।
शादी में मेहमानों को भेंट किए 2100 पौधे
मार्च 2019 में गांव के युवा मनोज जांगड़ा द्वारा अपनी शादी में आए हुए मेहमानों को 2100 फूलदार व फलदार पौधे भेंट किए वही बिना दहेज के शादी करने के कारण भी गांव सुर्खियों में रहा।
राजेन्द्र जांगड़ा गांव के पहले एचसीएच अधिकारी
गांव के युवा राजेन्द्र जांगड़ा गांव के पहले एचसीएच अधिकारी बने है जिससे भी इस गांव का गौरव बढ़ा है। वर्तमान में राजेन्द्र जांगड़ा सुगर मिल जींद में निदेशक के पद पर कार्यरत है।