Move to Jagran APP

सरसों के फूल खिले, हरियाणा के खेतों में आए दूसरे राज्यों से मधुमक्खी पालक, कूटेंगे चांदी

सीजन में मधुमक्‍खी पालकों को तो शहद मिलने से फायदा होता ही है मगर मधुमक्खियों के सरसों के फूलाें पर बैठने और परागकण छोड़ने से किसानों को भी फायदा मिलेगा। इससे फसल की पैदावार अच्‍छी होगी। शहद की हमेशा ही मार्केट में भारी मांग रहती है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 01:26 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 01:26 PM (IST)
सरसों के फूल खिले, हरियाणा के खेतों में आए दूसरे राज्यों से मधुमक्खी पालक, कूटेंगे चांदी
प्रजनन के लिए सरसों के फूल सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं, सप्ताह में ही बॉक्स मधुमक्खियों से भर जाता है

ढिगावामंडी [मदन श्‍योरान] खेतों में सरसों के फूल खिलते ही हरियाणा प्रदेश के अलावा दूसरे प्रदेशों के मधुमक्खी पालकों ने भी खेतों में डेरा डाल लिया है। इससे किसानों के चेहरे पर खुशी है। सरसों मधुमक्खियों के लिए शहद निर्माण में अहम भूमिका निभाती है। जगन्नाथ और सुरेंद्र कुमार मधुमक्खी पालकों ने बताया कि तीन माह तक यह धंधा मधुमक्खी पालन करने वालाें के लिए आय का अच्छा स्त्रोत साबित होगा।

loksabha election banner

मधुमक्खी पालक सड़कों के किनारे किसी भी क्षेत्र में डेरा डालकर बॉक्स को रख देते हैं। इसमें ढिगावा मंडी क्षेत्र में कई राज्यों के अलग-अलग स्थानों से लोग यहां आ रहे हैं। चार-पांच लोगों का समूह किसी भी खेत में डेरा डाल देता है और अपना काम शुरू करते हैं। इनके पास 20 से 30 बड़े बॉक्‍स भी होते हैं। इन्हीं बॉक्‍सों में यह लोग मधुमक्खियों के माध्‍यम से शहद को एकत्रित करते हैं।

क्षेत्र के लोग भी करते हैं मदद

दूसरे राज्यों से आ रहे मधुमक्खी पालको का स्थानीय लोग का खूब सहयोग कर रहे हैं, चाय, पानी, दूध, लस्सी और यहां तक की उनके रहने, मधुमक्खियों के बॉक्स रखने और उनकी देखभाल की भी जिम्मेवारी स्थानीय लोग खूब निभा रहे हैं। मधुमक्‍खी पालकों को तो शहद मिलने से फायदा होता ही है, मगर मधुमक्खियों के सरसों के फूलाें पर बैठने और परागकण छोड़ने से किसानों को भी फायदा मिलेगा। इससे फसल की पैदावार अच्‍छी होगी। शहद की हमेशा ही मार्केट में भारी मांग रहती है।

प्रजनन के लिए सरसों के पीले पीले फूल सर्वश्रेष्ठ

क्षेत्र में लहरा रही पीले पीले फूलों वाली सरसों की फसल मधुमक्खी पालकों के लिए सर्वश्रेष्ठ है। ऐसे में मधुमक्खी पालकों के लिए सरसों,  सब्जियों पर लगे फूल, मूली आदि के फूलों में पराग कण अधिक होने से उत्पादन भी अधिक होता है। ऐसे में एक सप्ताह में ही बॉक्स मधुमक्खियों से भर जाता है।

पंद्रह दिन में तीन किलो शहद

यूपी से आए जगन्नाथ, कुरुक्षेत्र से आए नरेंद्र कुमार, पंजाब से हरेंद्र सिंह ने क्षेत्र के कई गांव मधुमक्खियों के बॉक्स रखे हुए हैं। उन्होंने बताया कि मधुमक्खियों की भी कई नस्ल होती है। इसमें रानी, नर, सैनिक की अपेक्षा अमेरिकन इटेलियन नस्ल की एपीस मेलीफरा मधुमक्ख्यिां कम समय में अधिक शहद बनाती है। सरसों के फूल आने से कटने तक चलने वाले इस काम में मधुमक्खियों के बीच रहकर काफी मेहनत करनी पड़ती है। फिर भी प्रत्येक बाॅक्स में एकत्र शहद की मात्रा समान हो यह जरूरी नहीं है। मधुमक्खियों द्वारा अनुकूल वातावरण होने पर एक बक्से के छत्‍तों में 15 दिन में अधिकतम 3 से 3.5 किलो तथा सरसों कटने तक 20 से 30 किलो तक शहद एकत्र कर लिया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.