नगर निगम चुनाव: बैठकों और मॉनिटरिंग तक सीमित नहीं होगी जनता के चुने मेयर की पॉवर
साल 2013 में हुए मेयर चुनावों के बाद मेयर की शक्तियों को लेकर सवाल खड़े होते रहे। हर मंच पर मेयर को शक्तियां क्यों नहीं दी जा रही हैं, यही सवाल उठता था। मगर अब ऐसा नहीं होगा।
हिसार, जेएनएन। साल 2013 में हुए मेयर चुनावों के बाद मेयर की शक्तियों को लेकर सवाल खड़े होते रहे। हर मंच पर मेयर को शक्तियां क्यों नहीं दी जा रही हैं, यही सवाल उठता था। पांच साल की लड़ाई के बाद पहली बार मेयर प्रत्याशियों को शक्तियां मिलेंगी। इस बार मेयर रबड़ स्टैंप नहीं होगा, बल्कि पावरफुल होगा। उसका काम बैठक लेना और सड़कों की मॉनिटरिंग तक सीमित रहना नहीं होगा। वह विकास कार्यों में विशेष भूमिका निभाएगा। जिसका प्रभाव आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में देखने को मिलेगा। यही वजह है कि राजनैतिक दलों ने सीधेतौर पर अपना मेयर प्रत्याशी जिताने की ठान ली है। रविवार को मतदान कर शहर की जनता मेयर प्रत्याशी के चयन का निर्णय करेगी। मगर, यह पक्का है कि इस बार मेयर शक्तियों के साथ कुर्सी संभालेगा।
मेयर को नई मिलीं तीन मुख्य शक्तियां
. एसीआर लिखने की मिलेगी पावर
. डीडी पावर भी मिलेगी।
. मेयर को स्पेशल ग्रांट दी जाएगी।
यह भी हैं मेयर की शक्तियां
. विकास कार्यों की मॉनिटरिंग करना।
. हाउस की बैठक में स्पेशल एजेंडे के लिए अन्य मद।
. अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगना।
. हाउस की बैठक बुलाना।
. विकास कार्यों सहित अन्य कार्यों की डेली रिपोर्ट की पावर।
शक्तियां न होने पर यह आती थी परेशानी
. अधिकारी मेयर के कामों के प्रति टरकाऊ रवैया रखते थे।
. मेयर को विकास कार्य करवाने के लिए अधिकारियों को पत्र लिखना पड़ता था।
. शहर के विकास की बैठकों के बारे में अधिकारी मेयर को सूचना तक नहीं देते थे।
. मेयर चाहकर भी निगम के भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कदम नहीं उठा सकती थी।