नगर निगम ने कचरा बीनने वालों को इश्यू किए आइकार्ड
जागरण संवाददाता, हिसार : शहर में कचरे के ढेरों के आसपास कुछ लोग कचरा बीनते नजर आते हैं। इनमें बच्चों
जागरण संवाददाता, हिसार : शहर में कचरे के ढेरों के आसपास कुछ लोग कचरा बीनते नजर आते हैं। इनमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल होते हैं। ये वही लोग होते हैं जो पेट की आग को शांत करने के लिए कचरा बीनकर कुछ कमाई करते हैं। पहली बार नगर निगम इन लोगों को प्रोत्साहित कर रहा है। इसके तहत कचरा बीनने वालों के विशेष आइकार्ड बनाए जा रहे हैं।
भले ही यह कदम स्वच्छता सर्वेक्षण को देखते हुए उठाया गया है। लेकिन कहीं न कहीं अधिकारी इन्हें स्वच्छता के सच्चे प्रहरी मानते हैं। जो हर सुबह पांच बजे उठकर कचरा बीनने का काम करते हैं और हर महीने हजारों टन कचरा जमा करते हैं। बाद में वही कचरा री -साइकल होकर बाजार में लौट आता है।
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ढाई सौ लोगों के बनाए पहचान पत्र
नगर निगम प्रशासन ने शहर में कचरे की सफाई करने वाले इन लोगों के आइकार्ड बनाने का काम शुरू किया है। मौजूदा समय में सवा सौ लोगों के आइकार्ड बनाकर बांटे जा चुके हैं। जबकि सौ से ज्यादा लोगों के आइकार्ड बनकर तैयार हैं। ये सभी आइकार्ड उन लोगों के बनाए गए हैं, जिन्होंने अपने आवेदन फार्म जमा करवाए थे। ऐसे महिलाओं, पुरुषों की संख्या करीब ढाई सौ के आसपास है।
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प्रतिमाह शहर से करोड़ों का निकलता है कचरा
शहर में कबाड़ और कचरे का प्रति माह करोड़ों रुपये का व्यापार होता है। हिसार में करोड़ों रुपये का कचरा, जिसमें प्लास्टिक की बोतलें, थैलियां, गत्ते सहित अन्य सामान शामिल हैं। प्रतिमाह दिल्ली सप्लाई होता है और सभी री-साइकल किया जाता है। बाद में विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट बनाकर वापस बाजार में उतार दिए जाते हैं। जानकारी के अनुसार टनों में कचरा प्रतिमाह शहर से निकलता है, जिसको छांटने और इक्ट्ठा करने का काम कचरा बीनने वाले लोग करते हैं। जो खुद झुग्गियों में रहते हैं, परंतु कोठियों में रहने वालों के यहां से निकले कचरे की सफाई करते हैं।
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- कोट्स ---
- शहर में कचरा बीनने वाले लोगों के आइकार्ड बनाए गए हैं। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक कचरे को ये लोग उठाते हैं और पर्यावरण को दूषित होने से बचाते हैं। सफाई में योगदान देने वाले इन लोगों के पहली बार नगर निगम ने आइकार्ड बनाए हैं।
- सुभाष सैनी, सीएसआइ, नगर निगम।